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मत बनिए वेबकूफ, नमाज अदा करने के लिए नहीं रोकी गई थी ट्रेन

सवाल उठाए गए, “अगर उनके लिए ट्रेनों को रोका जा सकता है, तो दशहरा समारोह के दौरान क्यों नहीं?”

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अमृतसर में दशहरा उत्सव के दौरान हुए ट्रेन हादसे में 60 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद कई लोगों ने सरकार और प्रशासन पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए. रावण के जलते हुए पुतले को देखते हुए रेलवे ट्रैक पर खड़े लोग तेजी से आती हुई ट्रेन को नहीं देख पाए थे.

हाल ही में तस्वीरों के साथ कुछ ट्वीट्स वायरल हुए, जिसमें एक रुकी हुई ट्रेन के सामने पटरियों पर नमाज अदा करते मुस्लिम समुदाय के लोग दिख रहे हैं. इन ट्वीट्स में सवाल उठाए गए, "अगर उनके लिए ट्रेनों को रोका जा सकता है, तो दशहरा समारोह के दौरान क्यों नहीं?" लेकिन ऐसे पोस्ट पर यकीन करने से पहले तस्वीरों की हकीकत जरूर जान लीजिए.

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सवाल उठाए गए, “अगर उनके लिए ट्रेनों को रोका जा सकता है, तो दशहरा समारोह के दौरान क्यों नहीं?”
सवाल उठाए गए, “अगर उनके लिए ट्रेनों को रोका जा सकता है, तो दशहरा समारोह के दौरान क्यों नहीं?”

ये है असलियत

रेलवे ट्रैक पर नामाज अदा करने वाले मुसलमानों की ये तस्वीरें दरअसल पिछले साल की है, जिसे टाइम्स ऑफ इंडिया के फोटोजर्नलिस्ट ने क्लिक की थी. साथ ही इसकी खबर भी छापी गई थी. फोटो उस वक्त खींची गई थी, जब ये लोग दिल्ली के अच्छन मियां मस्जिद में अलविदा नमाज (रमजान महीने के आखिरी शुक्रवार की नमाज) अदा कर रहे थे. अच्छन मियां मस्जिद नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और सदर बाजार रेलवे स्टेशन के बीच मौजूद है.

फोटोजर्नलिस्ट ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि इस इलाके में कुछ 'डेड ट्रैक' हैं, जिनका इस्तेमाल आमतौर पर ट्रेनों की आवाजाही के लिए नहीं होता. कभी-कभार ही कुछ ट्रेन इंजनों को इन ट्रैक्स पर लाया जाता है. लेकिन नमाज के लिए कोई ट्रेन नहीं रोकी गई थी.


इन तस्वीरों का इस्तेमाल इससे पहले भी फर्जी खबरें फैलाने के लिए किया गया था. इनमें कहा गया था कि पटरियों पर नमाज अदा करने की वजह से NEET परीक्षा के लिए स्टूडेंट्स को ले जा रही ट्रेन लेट हो गई. बाद में बेंगलुरू मिरर ने इस खबर के फर्जी होने का दावा किया था.

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