प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 22 अक्टूबर को देश के नाम किए संबोधन में ये दावा किया कि सरकार की तरफ से कोरोना वैक्सीन के सभी 100 करोड़ डोज मुफ्त दिए गए, लेकिन ये पूरा सच नहीं है.
7 जून 2021 को पीएम मोदी ने घोषणा की थी कि भारत में 21 जून से 18 साल से ऊपर के सभी नागरिकों को कोरोना वैक्सीन मुफ्त में लगाई जाएगी. इसके बाद से सरकार 75% वैक्सीन राज्यों को मुफ्त तो दे रही है, लेकिन बाकी 25% वैक्सीन पेड हैं.
दावा
ट्विटर हैंडल narendramodi.in पर पीएम मोदी के भाषण के लाइव प्रसारण का वीडियो है. 4:50 मिनट बाद पीएम को ये कहते सुना जा सकता है - ''भारत ने अपने नागरिकों को 100 करोड़ वैक्सीन डोज लगाई हैं और वो भी मुफ्त, बिना पैसा लिए''
क्या सच में 100 करोड़ वैक्सीन डोज मुफ्त मिले?
नहीं, मार्च में जब भारत में दूसरे चरण का वैक्सीनेशन शुरू हुआ, तब सरकार ने कहा था कि प्राइवेट अस्पताल में वैक्सीन पेड होगी.
मई में जब सरकार ने वैक्सीनेशन की नई नीति लॉन्च की, तब राज्य और प्राइवेट अस्पतालों को सीधे वैक्सीन कंपनियों से ही वैक्सीन खरीदने की अनुमति दे दी गई थी. इसके बाद एक दम वैक्सीन की कीमतें बढ़ गई थीं.
7 जून 2021 को अपने संबोधन में पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि भारत में 21 जून से 18 साल से ऊपर के सभी नागरिकों को कोरोना वैक्सीन मुफ्त में लगाई जाएगी. लेकिन इसी भाषण में पीएम ने ये भी कहा था कि 25% वैक्सीन निजी अस्पतालों को दी जाएंगी, ताकी जो पेड वैक्सीन लगवाना चाहते हैं, वो निजी अस्पतालों से लगवा लें. कई मीडिया रिपोर्ट्स में भी ये जिक्र है कि पीएम ने 25% वैक्सीन निजी अस्पतालों को दिए जाने की बात कही थी.
यानी 100 करोड़ वैक्सीन में से कुछ मुफ्त मिलीं कुछ पेड रहीं
साफ है कि जब 25% वैक्सीन प्राइवेट अस्पतालों को देकर उन्हें पेड रखने की बात खुद पीएम ने कही थी तो 100 करोड़ पूरे डोज मुफ्त मिलने का दावा भ्रामक है.
8 जून, 2021 की कुछ मीडिया रिपोर्ट्स भी हमें मिलीं, जिनसे पता चलता है कि सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों को एक निश्चित कीमत (फिक्स प्राइज) 150 रुपए प्रति डोज पर कोरोना वैक्सीन देने का फैसला किया था. जुलाई की मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि प्राइवेट अस्पतालों में 600 रुपए से 1200 रुपए की कीमत पर कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई.
द क्विंट पर 28 फरवरी, 2021 का एक आर्टिकल है, जिसके मुताबिक केंद्र सरकार ने कोविशील्ड वैक्सीन सीरम इंस्टीट्यूट से 210 रुपए प्रति डोज की कीमत पर और भारत बायोटेक से कोवैक्सीन 295 रुपए प्रति वैक्सीन की कीमत पर खरीदी थी.
COWIN वेबसाइट पर वैक्सीन स्लॉट खोजने पर देखा जा सकता है कि राजधानी दिल्ली में उपलब्ध अधिकतर वैक्सीन स्लॉट पेड ही उपलब्ध हैं. हालांकि अब वैक्सीन सेंटर पर भी जाकर रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं.
हेल्थ एक्सपर्ट्स ने भी उठाए थे पेड वैक्सीन पर सवाल
क्विंट से बातचीत में 'पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया' के प्रेसिडेंट के. श्रीनाथ रेड्डी ने भी वैक्सीन को निजी अस्पतालों में पेड किए जाने पर सवाल उठाए थे.
एक मिक्स्ड हेल्थ सिस्टम में प्राइवेट सेक्टर की मदद लेना समझ आता है. हालांकि, ये बहस का मुद्दा है कि नागरिकों से वैक्सीन के पैसे लेने की जरूरत है या नहीं. चूंकि पूरी दुनिया ने स्वीकारा है कि जनहित के लिए महामारी पर काबू पाना जरूरी है, तो वैक्सीनेशन भी सरकारी पैसे (Public Financing) से ही होना चाहिए.श्रीनाथ रेड्डी , पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया
फिर कितनी वैक्सीन मुफ्त लगीं और कितनी पेड?
‘Our World In Data’ पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, 20 जून तक लगभग 27.4 करोड़ वैक्सीन डोज लगाए गए थे. हालांकि, इस डेटा में प्राइवेट और सरकारी अस्पताल दोनों जगह लगी वैक्सीन के आंकड़े शामिल हैं. गौर करने वाली बात ये है कि सभी उम्र के लोगों के लिए वैक्सीनेशन 1 मई से शुरू हुआ था.
पहले चरण में वैक्सीनेशन सिर्फ हेल्थ वर्कर और गंभीर बीमारियों वाले 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए ही था. वहीं दूसरे चरण में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और 45 वर्ष से अधिक उम्र के उन लोगों के लिए था जिन्हें कोई गंभीर बीमारी है.
20 जुलाई को राज्य सभा में दिए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बताया था कि 1 मई से 15 जुलाई के बीच कुल वैक्सीन में से लगभग 7% वैक्सीन प्राइवेट सेक्टर यानी प्राइवेट अस्पतालों में लगी थीं.
एक अन्य सवाल के जवाब में बताया गया कि 16 जुलाई तक 18-44 उम्र के लोगों को 10.91 करोड़ वैक्सीन फ्री लगाई गईं.
मतलब साफ है, ये सच है कि केंद्र सरकार राज्यों को मुफ्त में कोरोना वैक्सीन दे रही है. लेकिन, पूरे 100 करोड़ डोज देशवासियों को मुफ्त मिलने का दावा सही नहीं है. क्योंकि 25% डोज केंद्र सरकार प्राइवेट अस्पतालों को बेच रही है, जहां से लोगों को पेड वैक्सीन मिल रही है.
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