सोशल मीडिया पर पुलिस थाने से बाहर आती राणा अय्यूब का वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि राणा अय्यूब को हवाला (Money Laundering) केस में गिरफ्तार कर लिया गया है.
10 फरवरी, को इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने कथित तौर पर राणा अय्यूब के पास से 1.77 करोड़ रुपए जब्त किए थे. ये कार्रवाई एक एफआईआर के बाद हुई, जिसमें राणा पर ''आम लोगों के लिए चैरिटी के नाम पर आए गए पैसों को अवैध तरीके से इस्तेमाल करने'' का आरोप था.
हालांकि, राणा अय्यूब की गिरफ्तारी के बताए जा रहे इस वीडियो को इस केस से कोई संबंध नहीं है. वीडियो जुलाई 2021 का है जब राणा गाजियाबाद स्थिति पुलिस स्टेशन में 'लोनी असॉल्ट वीडियो' से जुड़े मामले में बयान देने गई थीं.
राणा अय्यूबब ने द क्विंट से बातचीत में पुष्टि की कि वीडियो उस वक्त का है, जब वो लोनी पुलिस स्टेशन से बाहर आ रही थीं.
दावा
CLAIM
वीडियो इस कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है "विदेशी पैसे ले कर पत्रकारिता के नाम पर देश में अफवाह और नफरत फैलाने वाली राणा अयूब धर ली गयी है, 1.77 करोड़ रुपए ED ने किए अटैच, मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप."
पड़ताल में हमने क्या पाया
हमने मीडिया रिपोर्ट्स सर्च कर ये पता लगाने की कोशिश की कि राणा अय्यूब किस मामले के सिलसिले में लोनी पुलिस स्टेशन गई थीं.
हमें ETV भारत की 2 जुलाई, 2021 की एक रिपोर्ट मिली, जिसके मुताबिक राणा अय्यूब न लोनी बॉर्डर पुलिस थाने में 72 वर्षीय वृद्ध के साथ हुए उत्पीड़न से जुड़े एक केस को लेकर बयान देने पहुंची थीं. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दौरान राणा अय्यूब से 2 घंटे पूछताछ हुई थी.
हमने राणा अय्यूब से भी संपर्क किया, उन्होंने क्विंट से बातचीत में बताया कि ''मैं लोनी पुलिस स्टेशन से एक केस को लेकर बयान देकर बाहर आ रही थी. ये केस मेरे, जुबैर और सबा के खिलाफ दर्ज किया गया था. केस एक ट्वीट से जुड़ा था जो मुस्लिम व्यक्ति की दाढ़ी काट दी गई थी.
क्या था लोनी पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ मामला
गाजियाबाद पुलिस ने 2021 में सात लोगों पर सांप्रदायिक सदभाव बिगाड़ने के लिए एक वीडियो शेयर करने के आरोप में केस दर्ज किया था. इनमें फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के को पाउंडर मोहम्मद जुबैर, पत्रकार सबा नकवी का नाम भी शामिल था.
वीडियो में कथित रूप से कुछ लोग 72 वर्षीय बुजुर्ग से जबरन ''जय श्री राम'' बुलवा रहे थे. इसके बाद जबरदस्ती वृद्ध की दाढ़ी भी काट दी गई है. हालांकि, पुलिस का दावा था कि जबरन धार्मिक नारा लगवाए जाने का आरोप गलत था.
पुलिस का कहना था कि ''द वायर, राणा अय्यूब, मोहम्मद जुबैर, डॉ. शमा मोहम्मद, सबा नकवी, सलमान निजामी ने बिना पूरे तथ्यों को जांचे मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की और दो संप्रदायों के बीछ सद्भाव बिगाड़ने के लिए वीडियो को शेयर किया.''
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