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सऊदी से आई ऑक्सीजन का क्रेडिट ले रहा रिलायंस? झूठा है ये दावा

एक सूत्र ने बताया कि वायरल वीडियो में दिख रहे टैंकर खाली हैं जिन्हें सऊदी अरब से मंगवाया गया था

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सोशल मीडिया पर सऊदी अरब के झंडे और रिलायंस के लोगो लगे टैंकरों की तस्वीर और एक वीडियो शेयर किया जा रहा है. इसे इस दावे से शेयर किया जा रहा है कि सऊदी अरब ने भारत को जिस लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति की है, उसका क्रेडिट रिलायंस ग्रुप ले रहा है.

हालांकि, एक सूत्र ने क्विंट को बताया कि सऊदी अरब और दूसरे देशों से जो टैंकर सप्लाई किए गए हैं वो खाली कंटेनर हैं. इनमें भरी लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन रिलायंस ने किया है.

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दावा

वीडियो में टैंकर में रिलायंस फाउंडेशन का लोगो और सऊदी अरब के झंडे का एक हिस्सा दिख रहा है. वीडियो के साथ शेयर किए जा रहे दावे में कहा जा रहा है कि सऊदी अरब की ओर से ऑक्सीजन की सप्लाई की गई है, लेकिन रिलायंस ग्रुप इसका क्रेडिट ले रहा है.

एक सूत्र ने बताया कि वायरल वीडियो में दिख रहे टैंकर खाली हैं जिन्हें सऊदी अरब से मंगवाया गया था
पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें
(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें भी शेयर की जा रही हैं जिनमें टैंकर में दिख रहे सऊदी अरब के झंडे को यूजर्स ने हाइलाइट किया है.

एक सूत्र ने बताया कि वायरल वीडियो में दिख रहे टैंकर खाली हैं जिन्हें सऊदी अरब से मंगवाया गया था
पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें
(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

कई सोशल मीडिया यूजर्स इन तस्वीरों और वीडियो को फेसबुक और ट्विटर दोनों जगह इसी तरह के दावों के साथ शेयर कर रहे हैं. इन पोस्ट के आर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.

क्विंट की WhatsApp टिपलाइन में भी इस वीडियो और तस्वीरें से जुड़ी कई क्वेरी आई हैं.

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पड़ताल में हमने क्या पाया

हमने रिलायंस ग्रुप की 1 मई को जारी की गई एक प्रेस रिलीज देखी. इसमें बताया गया था कि कंपनी ने मेडिकल ग्रेड लिक्विड ऑक्सीजन के प्रोडक्शन को बढ़ाया है.

इसमें आगे बताया गया है: “रिलायंस सऊदी अरब, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड और थाईलैंड से 24 ISO कंटेनर एयरलिफ्ट करके मंगवा चुका है. ऐसा करके कंपनी ने लिक्विड ऑक्सीजन के लिए 500 मीट्रिक टन परिवहन क्षमता को जोड़ा है.’’

इस प्रेस रिलीज में बताया गया है कि ISO कंटेनर की मदद से मेडिकल ग्रेड लिक्विड ऑक्सीजन के लिए परिवहन बाधाओं में कमी आएगी.

इस डेवलपमेंट के एक नजदीकी सूत्र ने बताया कि सऊदी अरब और दूसरे देशों से जो टैंकर सप्लाई किए गए हैं, ये वो खाली कंटेनर हैं. इनमें भरी लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन रिलायंस ने किया है. हमने ये कंटेनर इसलिए खरीदे हैं ताकि ऑक्सीजन को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जा सके.
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इसके अलावा, फैक्ट चेकिंग वेबसाइट BOOM ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के स्पोक्सपर्सन से बात की. उन्होंने बताया कि वायरल वीडियो में दिख रहा टैंकर सऊदी अरब से मंगाया गया है और इसमें सऊदी अरब का झंडा लगा हुआ था. उन्होंने बताया कि कंपनी ने इन टैंकर्स पर अपने स्टीकर लगाकर इन्हें काम पर लगा दिया है.

हालांकि, ये सच है कि सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारतीय दूतावास को 80 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में मदद की है और इसके लिए दूतावास ने अडानी ग्रुप और लिंडे के साथ साझेदारी की थी.

इससे पहले, क्विंट की वेबकूफ टीम ने इस तरह के एक और दावे को खारिज किया था. झूठा दावा किया जा रहा था कि सऊदी अरब की ओर से भारत को सप्लाई किए गए ऑक्सीजन टैंकरों पर रिलायंस अपना लेबल लगाकर इनका क्रेडिट खुद ले रहा है.

मतलब साफ है कि सोशल मीडिया पर कई यूजर्स गलत दावा कर रहे हैं कि रिलायंस ग्रुप सऊदी अरब की ओर भारत को सप्लाई की गई लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का क्रेडिट ले रहा है.

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