सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में कुछ लोग थैलों में नोटों की गड्डी भरते नजर आ रहे हैं. नोट भरने वाले लोग सिर पर टोपी और कुर्ता पजामा पहने दिख रहे हैं. देखने में ये वीडियो किसी इस्लामिक धार्मिक स्थल का लग रहा है.
क्या है दावा?: दावा है कि ये पैसा शिरडी साईं मंदिर (Shirdi Sai Mandir) की तरफ से इस्लामिक धार्मिक स्थल में दान किया गया. वीडियो के साथ शेयर हो रहा कैप्शन है ''शिरडी सांई की झोली में डाली गई हिन्दुओं की कमाई कहाँ जा रही है खुद ही देख लो ! इसको इतना वायरल करो कि देश के एक एक हिंदू तक पहुंचे जोकि आंखे होते हुए भी अंधे बने हैं.''
सच क्या है?: ये दावा सच नहीं है. वीडियो न तो महाराष्ट्र के शिरडी साईं मंदिर का है और न ही भारत का.
शिरडी साईं मंदिर ट्रस्ट ने क्विंट को दिए आधिकारिक बयान में पुष्टि की है कि उनकी तरफ से कोई दान किसी अन्य धार्मिक स्थल को नहीं दिया गया.
वीडियो बांग्लादेश का है. इसमें मस्जिद की जिन दान पेटियों से नोटों की गड्डी निकालते लोग दिख रहे हैं, ये दान पेटियां हर तीन महीने में खोली जाती हैं.
बांग्लादेश की स्थानीय पत्रकार ने क्विंट से पुष्टि की है कि ये वीडियो वहीं का है.
हमने सच का पता कैसे लगाया?: हमने प्लास्टिक बैगों में लिखे टेक्स्ट को गूगल लेंस के ट्रांसलेशन फीचर का इस्तेमाल कर देखा, तो पता चला कि ये बांग्ला भाषा में लिखा हुआ है.
अब हमने गूगल पर ''Bangla, mosque, Money'' जैसे कीवर्ड सर्च किए. हमें Daily Star पर 7 मई को छपी रिपोर्ट मिली.
रिपोर्ट में एक वीडियो का भी इस्तेमाल किया गया था, जिसमें वायरल वीडियो से मिलते हुए विजुअल देखे जा सकते हैं.
बांग्लादेश की मस्जिद में आती है चंदे की बड़ी रकम : हमें Business Standard पर 7 जनवरी की एक न्यूज रिपोर्ट भी मिली.
इस रिपोर्ट के मुताबिक, चंदे में आए नोट गिनने के लिए हर तीन महीने में मस्जिद की दान पेटी खोली जाती है. दान में मिले इस पैसे का इस्तेमाल दूसरी मस्जिदों और मदरसों के विकास में किया जाता है. साथ ही, इसका इस्तेमाल सामाजिक कामों में भी होता है.
हमने बांग्लादेश की स्थानीय पत्रकार हबीबा नाजनीन से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि किशोरगंज की पगला मस्जिद को मिले दान की गिनती हर तीन महीने में होती है.
हमें बांग्लादेश के न्यूज चैनल Somoy TV के यूट्यूब चैनल पर 6 मई को पोस्ट किया गया एक वीडियो भी मिला, जिसमें वायरल वीडियो जैसे विजुअल थे.
वीडियो का टाइटल बांग्ला में था जिसका गूगल ट्रांसलेटर की मदद से अनुवाद करने पर हिंदी इस प्रकार है, ''किशोरगंज पगला मस्जिद की दान पेटी फिर से खोली गई.''
शिरडी साईं मंदिर को लेकर भ्रामक दावे पहले भी हुए : मई में भी वायरल हुए एक मैसेज में दावा किया गया था कि शिरडी साईं मंदिर ट्रस्ट ने हज कमेटी को 35 करोड़ रुपए का दान किया, जबकि राम मंदिर में दान देने से साफ इनकार कर दिया.
राम मंदिर में शिरडी साईं ट्रस्ट की तरफ से दान देने से इनकार करने के दावे की पड़ताल क्विंट की वेबकूफ टीम 2 साल पहले कर चुकी है. रिपोर्ट यहां पढ़ सकते हैं.
शिरडी साईं ट्रस्ट ने दावों को गलत बताया ?: हमने श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट (शिरडी) के डिप्टी CEO राहुल जाधव से संपर्क किया. उन्होंने वायरल दावे को गलत बताया.
शिरडी साईं ट्रस्ट की तरफ से किसी भी अन्य धार्मिक स्थल को दान नहीं दिया गया है. न ही किसी धार्मिक स्थल ने हमसे पैसे की मांग की है. ट्रस्ट में भक्तों के जरिए आने वाले दान का ज्यादातर पैसा हमारे अस्पताल, शिक्षा और ट्रस्ट के रोजमर्रा के कामों में ही खर्च होता है.राहुल जाधव, डिप्टी सीईओ, श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट (शिरडी)
डिप्टी सीईओ ने आगे ये भी कहा कि अगर संस्थान का डेली रुटीन छोड़कर हमें किसी और को पैसा देना है तो हमें सरकार से अनुमति लेनी होती है. इसके साथ ही जहां हमने फंड खर्च किया, उसका पूरा ब्यौरा संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट में होता है, जो कि पब्लिक डोमेन में हैं.
निष्कर्ष: साफ है कि बांग्लादेश की एक मस्जिद का वीडियो शिरडी साईं मंदिर का बताकर गलत दावे से शेयर किया जा रहा है.
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