सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में कुछ लोग एक महिला को बेरहमी से सड़क पर घसीटते दिख रहे हैं. वीडियो को सोशल मीडिया पर पाकिस्तान (Pakistan) में हिंदू महिला के साथ हुई बदसुलूकी का बताकर शेयर किया जा रहा है. न्यूज चैनलों ने भी इस वीडियो को पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हुए हमले का बताकर शेयर किया.
हालांकि, हमारी पड़ताल में सामने आया कि वीडियो में दिख रही घटना कोई सांप्रदायिक मामला नहीं है. पीड़ित महिला को बेरहमी से पीटते आरोपी उसके परिवार के ही सदस्य हैं, जिनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है.
दावा
बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने अपने वेरिफाइड ट्विटर हैंडल से वीडियो को पाकिस्तान में हुई हिंदू महिला के साथ बदसुलूकी का बताकर शेयर किया. इसके अलावा अश्विनी उपाध्याय ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से वीडियो को हिंदू-मुस्लिम एंगल देकर शेयर किया.
टाइम्स नाऊ के बुलेटिन में भी मामले को पाकिस्तान में हो रहे अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का बताकर शेयर किया गया. बुलेटिन पढ़ रहे एंकर को ये कहते सुना जा सकता है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हुए इन हमलों के बाद उन लोगों को जवाब देना चाहिए जो ''बातचीत'' की पैरवी करते हैं.
पड़ताल में हमने क्या पाया
वायरल वीडियो के विजुअल्स को की-फ्रेम में बांटकर गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें वीडियो से मिलते-जुलते विजुअल Pakistan Daily की 20 दिसंबर, 2021 की रिपोर्ट में भी हमें मिले
इस रिपोर्ट के मुताबिक, तलाक के लिए अदालत पहुंची एक महिला को अदालत से लौटते वक्त कुछ पुरुषों ने बेरहमी से सड़क पर घसीटा.
हीरचंद भील की 40 वर्षीय पत्नि तेजहन पति से झगड़े के बाद तलाक के लिए कोर्ट पहुंची थीं. लौटते वक्त 8 लोगों ने तेजहन को सड़क पर घसीटा और उसे किडनैप करने की कोशिश की. तभी पुलिस ने मौके पर पहुंचकर महिला को बचाया.
हालांकि, एक आरोपी को छोड़ सभी मौका-ए- वारदात से भागने में कामयाब हुए. पुलिस सिर्फ एक आरोपी हेमो भील को गिरफ्तार कर सकी.
क्या ये कोई सांप्रदायिक मामला है?
नहीं, सोशल मीडिया पर जरूर मामले को इस ढंग से पेश किया जा रहा है. लेकिन, असल में मामले में सभी आरोपी पीड़िता के परिवार के ही सदस्य हैं. पाकिस्तान डेली की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले में गिरफ्तार हेमो भील के अलावा सात अन्य आरोपियों पर मामला दर्ज किया गया है. ये आरोपी हैं पीड़िता का पति हीरचंज, हेमो, पहलाज, सोमजी, घमन, तोगो भील और जयपाल ठाकुर.
साफ है कि ये कोई सांप्रदायिक मामला नहीं है. पाकिस्तानी अखबार DAWN में भी इस मामले की रिपोर्ट है.
हमें पाकिस्तानी नेशनल असेम्बली के सदस्य लाल माल्ही का एक ट्वीट मिला, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि ये वीडियो उसी इलाके का है जहां वे रहते हैं और ये एक पारिवारिक विवाद था.
साफ है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय पर हुए हमले का बताकर शेयर हो रहा वीडियो असल में पारिवारिक विवाद का है. सोशल मीडिया पर वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा भ्रामक है.
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