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इंदौर में पीटे गए चूड़ीवाले के तीन पहचान पत्रों का राज क्या है?

इंदौर में भीड़ का शिकार हुए चूड़ी वाले के पहचान पत्रों की असली कहानी

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''सुनो जल्दी से पापा का आधार कार्ड भेजो, और तस्लीम का भी जो कागज है उसे जल्दी व्हाट्सएप करो.'' तस्लीम का छोटा भाई जमाल ये बात यूपी के हरदोई में अपनी मां से फोन पर कहता है.

इंदौर (Indore) की एक जगह मुसाफिरखाने के एक 6 फीट के तंग कमरे में तस्लीम के 70 साल के दादा, 48 साल के चाचा, और उसके पांचों भाई उन जरूरी कागजातों को इकठ्ठा करने में लगे हैं जिसकी वजह से उनकी सही पहचान सामने आ सके. और उस आरोप को गलत साबित कर सकें जिसमें तस्लीम को बेवजह आरोपी बनाया जा रहा है.

22 अगस्त को बाणगंगा इंदौर की न्यू गोविंद नगर कॉलोनी में सिर्फ इसलिए उसे बुरी तरह से पीटा गया क्योंकि तस्लीम हिंदुओं के इलाके में चूड़ी बेच रहा था.

महज एक दिन बाद पुलिस ने उसे सात धाराओं के तहत धर लिया, जिसमे अलग-अलग नाम के कई सारे पहचान पत्र रखने के चलते धोखाधड़ी का आरोप भी शामिल था.
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तस्लीम के खिलाफ पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत एक एफआईआर भी दर्ज की गई. ये एफआईआर उन लोगों ने दर्ज कराई, जिन्होंने तस्लीम को बुरी तरह से पीटा था, और उसपर कॉलोनी की एक 6 साल की लड़की से छेड़छाड़ का आरोप लगाया जिसे वो चूड़ी बेच रहा था.

तस्लीम को बाद में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए एक मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने के बाद गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.

'लव जिहाद' के लिए किया दो आधार कार्ड का इस्तेमाल!, जबकि परिवार ने दोनों कार्ड को एक जैसा ही बताया.

मामले ने तूल तब पकड़ा जब इसपर सियासत भी उतर आई. ठीक एक दिन पहले मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ये बयान दिया की तस्लीम के पास से दो आधार कार्ड मिले और वो हिंदुओं के इलाके में अपनी असली पहचान छिपाकर चूड़ी बेच रहा था.

गृहमंत्री के इस दावे के बाद दूसरे कई नेताओं ने इस हादसे को लव जिहाद से जोड़ डाला. जिसमें स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और विधायक रामेश्वर शर्मा भी शामिल थे.

इन्होंने ये सवाल उठाया कि तस्लीम के पास से दो आधार कार्ड और हिंदू के नाम का एक वोटर आई कार्ड कैसे मिला? वीडी शर्मा ने तो इसे एक तरह का सॉफ्ट टेरोरिज्म तक बता दिया.
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इधर मुसाफिरखाना में हरदोई गांव से तस्लीम के परीवार द्वारा भेजे गए आधार कार्ड में तस्लीम की पत्नी नीता का कार्ड भी शामिल था. तस्लीम को बेगुनाह साबित करने की कोशिश में उसकी पत्नी नीता ने अपने ससुर यानी की तस्लीम के पिता का आधार कार्ड और वोटर आई कार्ड भी दिया.

जो दस्तावेज उसने भेजे उसके हिसाब से तस्लीम के पिता के भी दो अलग अलग पहचान पत्र सामने आए. 11 फरवरी 2001 को बने वोटर आईडी में अंग्रेजी में तस्लीम के पिता का नाम मेहर सिंह पुत्र आलम सिंह दर्ज है. लेकिन हिंदी में वही नाम मोहर सिंह के नाम से है. वही अगर आधार कार्ड की बात करें तो आधार कार्ड में तस्लीम के पिता का नाम हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में मोहर अली लिखा गया है.

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तस्लीम के पिता साल 2000 तक पशुओं का व्यापार करते थे. लेकिन उसके बाद सरकार ने गो व्यापार पर सख्ती की तो वो चूड़ी बेचने का काम करने लगे. तस्लीम के पांचों भाइयों के आधार कार्ड पर उनके पिता का नाम मोहर सिंह है जबकि बाकी दो भाईयों के आधार कार्ड पर जिसमे तस्लीम का आधार कार्ड भी शामिल है उनके पिता का नाम मोहर अली है.

तस्लीम के गांव के पूर्व प्रधान होरीलाल के मुताबिक तस्लीम के पिता का औपचारिक नाम मोहर सिंह पुत्र आलम सिंह है.और इसी नाम की पहचान के हिसाब से राज्य सरकार ने सन 1995 में 5 एकड़ की जमीन उसके नाम की.

जहां तक तस्लीम की पहचान की बात है उसके घरवालों का कहना है कि उसके तीन पहचान पत्र हैं.

उसके वोटर आईडी में उसका नाम भूरा है जिस नाम से उसे घर में पुकारा जाता है. और इसके पिता का नाम इस आई डी में मोहर सिंह है.

अब तस्लीम के दो आधार कार्ड सामने हैं जिनमे से एक में उसका नाम तस्लीम है और उसके पिता का नाम मोहर अली है. वही दूसरे में उसका नाम असलीम है और उसके पिता का नाम मोहर सिंह है. हालांकि इसपर उसके घरवालों का ये कहना है कि ये दोनों अलग अलग पहचान पत्र नहीं है बल्कि एक ही आधार नंबर पर पुराने की जगह नए कार्ड में कुछ बदलाव किया गया था जो कि सही है.

ये बदलाव इसलिए किया गया क्योंकि तस्लीम का नाम पीएम जन आवास योजना में अस्लीम हो गया था, जिसकी एवज में उसके घरवालों को जमीन मुहैया कराई गई. उस लिस्ट में इसके पिता का नाम रिकॉर्ड के मुताबिक मोहर सिंह ही दर्ज है.
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जब तस्लीम का नाम पीएम आवास योजना के लाभार्थी की सूची में मोहर सिंह के पुत्र असलम के रूप में आया, तो उसने मौजूदा आधार में उन्हीं नामों में बदलाव किया, जो योजना का लाभ लेने के लिए सूची में छपे थे. नाना मोर सिंह ने समझाया.

ये लाजमी हैं कि तसलीम इस बात से चिंतित था कि अगर उसने लाभार्थी सूची में नाम सुधारने की कोशिश की, तो वो लाभ खो देगा जिसके लिए वो तकनीकी रूप से हकदार था. इसलिए उसने इसके बजाय आधार डेटाबेस में अपना नाम बदलने का विकल्प चुना.

70 साल के बुजुर्ग तस्लीम के दादा उसके साथ थाने गए थे, जब वह घटना के एक दिन बाद अपना बयान दर्ज कराने गया था. दादा के मुताबिक उन्हें लगभग 20 घंटे तक वहां इंतजार करने के लिए कहा गया, और फिर पुलिस ने तसलीम को गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद मोर सिंह बीमार पड़ गए.

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साहब, उसके दो आधार का नंबर एक ही है, वो दो नहीं है"

ये बात तस्लीम के मामा ने कही थी जो मोर सिंह के नाम से भी जाने जाते हैं. उन्होंने कहा, "तसलीम कुछ भी नहीं छिपा रहा था. दो आधार और वोटर आईडी कार्ड में सभी नाम सही हैं. यहां तक ​​कि दोनों आधार कार्डों में भी एक ही नंबर है."

अपने सरनेम के बावजूद, चाचा का हुलिया भी मुस्लिम वाला है. लंबी दाढ़ी और सिर पर टोपी. जो की रोजी रोटी के लिए चूड़ियां भी बेचता है.

जब उनसे ये पूछा गया कि लंबी दाढ़ी रखने वाला और सिर पर टोपी पहनने वाला मुसलमान कैसे 'मोर सिंह' हो सकता है, तो उन्होंने जवाब दिया, "हम जाहिल लोग हैं साहब जो सरपंच ने नाम दे दिया वोटर कार्ड में वही हमारा नाम हो गया".

उन्होंने तब भी यही जवाब दिया जब उनसे पूछा गया कि कैसे तसलीम के दादा और उनका और तस्लीम के पिता का एक ही नाम हो सकता है. मोर या मोहर सिंह.

"हमने 'असली नामों' के बारे में कभी सोचा ही नहीं, हम एक दूसरे को घर के नाम से ही बुलाते है. जब तसलीम के पिता को ये लगा कि मोहर सिंह जो नाम उनके वोटर आईडी में है उसे मुस्लिम नाम नही माना जाएगा तो उन्होंने 2017 में अपने आधार कार्ड में नाम बदलवाकर मोहर अली कारवा लिया.
इंदौर में भीड़ का शिकार हुए चूड़ी वाले के पहचान पत्रों की असली कहानी

तस्लीम के पिता का वोटर आई कार्ड

(फोटो- काशिफ ककवी)

इंदौर में भीड़ का शिकार हुए चूड़ी वाले के पहचान पत्रों की असली कहानी

तस्लीम के पिता का आधार कार्ड

(फोटो- काशिफ ककवी)

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इस बीच, तसलीम का भाई बोलने लगा कि अनपढ़ होने की वजह से ही कुछ भाइयों के पास दस्तावेजों पर मोहर सिंह का नाम है जबकि कुछ के पास अब मोहर अली है.

गांव में हर आदमी का कार्ड गलत नाम से बना हुआ है. हम तो पढ़े लिखे भी नहीं हैं कि सही और गलत समझें. अब पुलिस कह रही है के हम हिंदू नाम रख के गलत काम करते हैं. उसे फंसाया जा रहा है बाबूजी बचाओ"जमाल हाथ जोड़कर बोलने लगा.

इंदौर में भीड़ का शिकार हुए चूड़ी वाले के पहचान पत्रों की असली कहानी

इंदौर में तस्लीम का परिवार

(फोटो- काशिफ ककवी)

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पुलिस ने आधार कार्ड पर दी विवादित जानकारी, पूर्व प्रधान ने परिवार के दावों का किया समर्थन

इंदौर पुलिस के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने क्विंट को ये जानकारी दी कि तसलीम के पास मिले आधार कार्ड में वही नंबर हैं, जिसका तसलीम के परिवार ने दावा किया था.

जब तस्लीम के आधार और वोटर आई कार्ड में अलग अलग नामों के होने का मुद्दा इंदौर के एसपी आशुतोष बागड़ी के सामने उठाया गया था, तो पुलिस ने दूसरे आधार कार्ड के होने की बात कही थी. यहां तक ​​​​कि पीएम आवास योजना में भी इस कार्ड के होने का ही दावा किया गया था.

पुलिस की एक टीम जिसे तसलीम के गांव हरदोई में उसके दावों और आपराधिक रिकॉर्ड को खंगालने के लिए भेजा गया था, उसने ये पुष्टि की कि आधार होने के बावजूद, उसने लाभार्थी की सूची में गलत नाम होने के बाद पीएम आवास योजना का लाभ उठाने के लिए एक और कार्ड बनाया."
आशुतोष बागड़ी, एसपी, इंदौर
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एसपी इंदौर आशुतोष बागड़ी ने कहा कि उनका वोटर आईडी कार्ड आधा जल गया है, इसलिए टीम उनके नाम की पुष्टि नहीं कर सकती जो उसमें छपी थी, लेकिन हम इसकी जांच कर रहे हैं," उन्होंने आगे कहा कि पुलिस को तसलीम के खिलाफ कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं मिला है.

तसलीम के 'अलग-अलग नामों' पर टिप्पणी करते हुए, पूर्व प्रधान होरीलाल ने कहा, "आप हमारे गांव में उनके नामों से हिंदू और मुस्लिम के बीच अंतर नहीं कर सकते क्योंकि हमारे आम नाम हैं. हमारे गांव में कई मुस्लिम परिवारों के हिंदू नाम हैं और वे इसके साथ बिना किसी समस्या के रह रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा, "मैंने तसलीम से अपने आधार और वोटर कार्ड की गलती को सुधारने के लिए कई बार कहा, जिसमें उसका नाम भूरा है और ये उन्हें परेशानी में डाल सकता है, लेकिन मेरी इन बातों पर कभी गौर नहीं किया गया.

पूर्व प्रधान ने आगे दावा किया कि गांव में एक दर्जन से ज्यादा लोगों के कई दस्तावेजों में तस्लीम की तरह ही गलतियां हैं, लेकिन तस्लीम की तरह किसी को भी नहीं फंसाया गया.

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अगर सांसदों के पास गलत पहचान पत्र हो सकते हैं, तो चूड़ी बेचने वाले के पास क्यों नहीं?'

तसलीम के खिलाफ की जा रही पुलिस कार्रवाई की कांग्रेस पार्टी ने आलोचना की, जिन्होंने पुलिस के व्यवहार को मनमाना और निराधार बताया. विधायक जीतू पटवारी ने भी 25 अगस्त को इंदौर में एक रैली के दौरान पुलिस की कार्रवाई की आलोचना की और न्याय की मांग की.

कांग्रेस नेता प्रेमचंद गुड्डू ने एक कदम आगे बढ़ते हुए गुरुवार को इंदौर के डीआईजी मनीष कपूरिया से मुलाकात कर असहमति दर्ज कराई.

क्विंट से फोन पर बात करते हुए उन्होंने कहा,

"मेरे पास अलग-अलग नामों के तीन आईडी कार्ड हैं. मेरे संसद पहचान पत्र में प्रेमचंद गुड्डू नाम है, जबकि मेरे प्रमाणपत्र में नाम प्रेमचंद है और बैंक खाते में ये नाम अलग है. जब हम ऐसी गलतियां कर सकते हैं, तो एक अनपढ़ चूड़ी बेचने वाला क्यों नहीं कर सकता?"

गुड्डू ने कहा कि इस तरह की घटना को सही ठहराने के लिए, बीजेपी सरकार और पुलिस ने अनैतिक रूप से एक गरीब चूड़ी बेचने वाले के खिलाफ मामला दर्ज किया है और यह दुनिया भर में मध्य प्रदेश पुलिस की गलत छवि पेश कर रहा है." गुड्डू ने काफी दर्द भरी आवाज में ये भी कहा कि किस तरह से तस्लीम को झूठे मामले में फंसाया गया और भीड़ ने उसे सिर्फ इसलिए पीटा क्योंकि वो मुस्लिम पहचान रखता था.

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