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अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़त के बीच भारत ने कंधार से अपने लोगों को निकाला

भारत ने चंद दिन पहले ही कहा था कि काबुल, कंधार और मजार-ए-शरीफ में अपने मिशन बंद करने की योजना नहीं है

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तालिबान (Taliban) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) के दक्षिणी शहर कंधार के आसपास के प्रमुख इलाकों पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद भारत ने वहां से करीब 50 राजनयिकों और सुरक्षा कर्मियों को भारतीय वायु सेना के विमान से निकाला है.

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चार दिन पहले कहा बंद नहीं करेंगे मिशन

हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक भारत ने इस निकासी से चार दिन पहले कहा था कि काबुल, कंधार और मजार-ए-शरीफ जैसे शहरों में वाणिज्य दूतावासों में अपने मिशन को बंद करने की भारत की कोई योजना नहीं थी.

हालांकि, अधिकारियों ने कहा था कि भारत अफगानिस्तान में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है और यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाए जाएंगे कि भारतीय अधिकारियों और नागरिकों को नुकसान न पहुंचे.

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के राजनयिकों, सहायक कर्मचारियों और गार्डों को नई दिल्ली ले जाने के बाद कंधार में भारतीय वाणिज्य दूतावास को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है.

ऐसा माना जा रहा है कि कंधार और हेलमंद के दक्षिणी प्रांतों में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा से बड़ी संख्या में आतंकवादियों की मौजूदगी की वजह से भारत ने राजनयिकों और सुरक्षा कर्मियों को बाहर निकलने का फैसला लिया है.

अफगान सुरक्षा एजेंसियों के हालिया अनुमान के अनुसार, माना जाता है कि 7,000 से अधिक लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी दक्षिणी अफगानिस्तान में तालिबान के साथ लड़ रहे हैं.

पूरे मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया

कंधार में पिछले सप्ताह से तालिबान और अफगान सुरक्षा बलों के बीच लड़ाई में तेजी देखी गई है, कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि आतंकवादियों ने शुक्रवार को कंधार शहर के आसपास के प्रमुख जिलों पर कब्जा करने के बाद प्रवेश किया. काबुल के पास बगराम हवाई अड्डे को अमेरिकी सेना द्वारा छोड़े जाने के कुछ ही दिनों बाद, कंधार प्रांत का रणनीतिक जिला, पंजवाई, तालिबान के कब्जे में आ गया.

तालिबान ने शुक्रवार को कंधार के सातवें पुलिस जिले में घरों को जब्त कर लिया, जिसके बाद शनिवार तक भीषण संघर्ष जारी रहा. अफगान सेना ने कहा कि सातवें पुलिस जिले और पास के डांड जिले में हुई लड़ाई में करीब 70 तालिबानी मारे गए. सातवें पुलिस जिले के लगभग 2,000 परिवारों को उनके मूल स्थान से हटा दिया गया जिसके चलते वह कंधार के अन्य हिस्सों में शरण लेने के लिए मजबूर हो गए.

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कंधार, अफगानिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और ये लंबे समय से रणनीतिक और व्यावसायिक महत्व का रहा है. इसने 1990 के दशक के मध्य से 2001 तक तालिबान के मुख्यालय के रूप में काम किया, जब समूह को अमेरिकी आक्रमण द्वारा सत्ता से हटा दिया गया था.

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