अफगानिस्तान (Afghanistan) भूकंप की चपेट में आने के बाद मुश्किलों का सामना कर रहा है. भूकंप की वजह से लगभग एक हजार नागरिकों की मौत हो चुकी है. इस बीच अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से सहायता के लिए आगे आने की अपील की है. तालिबान के एक सीनियर ऑफिसर अनस हक्कानी ने अपने ट्वीट में लिखा कि सरकार अपनी क्षमताओं के साथ काम कर रही है. हमें उम्मीद है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और सहायता एजेंसियां भी इस खतरनाक स्थिति में हमारे लोगों की मदद करेंगी.
संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी OCHA तुरंत सहायता एजेंसियों के साथ संपर्क करते हुए काम कर रही है.
लेकिन अफगानिस्तान के लिए मानवीय सहायता की अपीलों को इस साल सूखे और अर्थव्यवस्था के पतन के बावजूद खराब प्रतिक्रिया मिली है. देश में सक्रिय सहायता एजेंसियों की संख्या कम हो गई है.
इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी शायद सबसे बड़ी एजेंसी है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र या उससे भी अधिक कर्मचारी हैं. एजेंसी ने कहा कि वह स्वास्थ्य टीमों को तैनात कर रही है और सहायता व नकद सहायता प्रदान करने के लिए अधिकारियों के साथ काम कर रही है.
इटेलियन चिकित्सा सहायता समूह इमरजेंसी ने कहा कि उसने सात एम्बुलेंस और कर्मचारियों को भूकंप से प्रभावित इलाकों में भेजा है.
जिनेवा स्थित इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस ने कहा कि उसके आपदा राहत आपातकालीन कोष से धन जारी किया जाएगा. नकद सहायता के अलावा, अफगान रेड क्रॉस ने कहा कि वह 4,000 कंबल, 800 टेंट और तिरपाल, 1500 वाशिंग कंटेनर और सैकड़ों गद्दे, तकिए, कंबल व खाना पकाने के बर्तन भेज रहा है.
गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक काबुल अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का परीक्षण किया जाएगा. एयरपोर्ट के अंदर और बाहर फ्लाइट्स नियमित रूप से संचालित होती हैं लेकिन सुरक्षा एक समस्या साबित हुई है.
यह स्थिति अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह याद दिलाने का काम कर सकती है कि अफगानिस्तान में सामान्य सहायता के प्रयासों में कितनी कमी है. कुल मिलाकर डिप्लोमेटिक ट्रेजेक्ट्री तालिबान को मान्यता नहीं देने के लिए बना हुआ है, मुख्य रूप से महिलाओं के प्रति उनके भेदभाव की वजह से ऐसा हुआ है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने दो अफगान शिक्षा मंत्रियों को किसी भी शांति वार्ता के लिए विदेश यात्रा करने से प्रतिबंधित कर दिया, क्योंकि इसकी सुरक्षा परिषद ने उन्हें प्रतिबंध छूट सूची से हटा दिया था. संयुक्त राष्ट्र ने इस बात पर सहमति जताई है कि 13 अधिकारी अगले तीन महीने तक छूट लिस्ट में बने रह सकते हैं.
तालिबना ने नहीं पूरा किया वादा
तालिबान ने मार्च के दौरान हाईस्कूल क्लासेज में लड़कियों जाने पर प्रतिबंध हटाने के वादे से पीछे हटते हुए कहा कि जब तक इस्लामिक कानून के मुताबिक एक योजना नहीं तैयार हो जाती, तब तक स्कूल बंद रहेंगे. इस फैसले ने तालिबान को अपनी विदेशी संपत्ति और विश्व बैंक के बहुत से धन तक पहुंच से वंचित कर दिया है.
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