दुनिया को कुल ऑक्सीजन का 20 फीसदी देने वाले अमेजन के जंगलों में पिछले कई दिनों से लगी भयानक आग ने खलबली मचा दी है. दुनिया का फेफड़ा कहे जाने वाले जंगल में इस भयंकर आग से निपटने के लिए अब जी-7 देशों के बीच जल्द ही समझौता होने वाला है. अमेजन के जंगलों का अधिकतर हिस्सा ब्राजील में है. कहा जा रहा है कि ब्राजील के जंगलों में लगी यह आग खुद नहीं लगी बल्कि लगाई गई है.
ब्राजील के राष्ट्रपति पर उठी उंगली
दुनिया भर के देश इस काबू को काबू पाने में नाकामी के लिए ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो की कथित पर्यावरण विरोधी नीतियों को दोषी ठहरा रहे हैं. जबकि बोल्सोनारो का कहना है कि पैसा न देने की वजह से कुछ एनजीओ ने यह आग लगाई है. अमेजन की इस आग से साओ पाउलो समेत ब्राजील के कई शहरों में धुंआ भर गया है और यह अब आसपास के देशों में फैल रहा है.
दुनिया के वर्षा वनों का आधा हिस्सा अकेले अमेजन के जंगल हैं. यह 55 लाख वर्ग किलोमीटर में है जो भारत के कुल क्षेत्रफल से भी अधिक है. यूरोपीय संघ के देशों का जो कुल क्षेत्रफल है यह उससे लगभग डेढ़ गुना बड़ा है. अमेजन के जंगलों में 400 से 500 से ज्यादा आदिवासी प्रजातियां रहती हैं. इनमें से करीब 50 फीसदी आदिवासी प्रजातियों का तो कभी बाहर की दुनिया से कोई संपर्क ही नहीं रहा.यहां 16 हजार से ज्यादा पेड़-पौधों की प्रजातियां हैं. अमेजन के जंगलों में करीब 39 हजार करोड़ पेड़ मौजूद हैं. यहां 25 लाख से ज्यादा कीड़ों की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं.
अंतरिक्ष से भी दिख रही है ये आग
अमेजन के जंगल पूरी पृथ्वी के करीब चार फीसदी क्षेत्र में फैले हुए हैं. यह आग इतनी भयानक है कि अंतरिक्ष से भी दिखाई दे रही है. 2019 में अब तक 74000 बार इन जंगलों में आग लग चुकी है. 2013 से आग लगने की घटनाओं में दोगुनी रफ्तार से वृद्धि हुई है. लेकिन दक्षिणपंथी राष्ट्रपति बोल्सोनारो के जनवरी में राष्ट्रपति बनने के बाद इसमें काफी इजाफा हुआ है. ब्राजील की नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च के सेटेलाइट डेटा के मुताबिक, 2018 में आग लगने की घटनाओं में 84% की वृद्धि हुई है.
लीड्स यूनिवर्सटी 2017 की एक स्टडी में कहा गया था कि अमेजन बेसिन इस क्षेत्र में मौजूद देशों का सारा कार्बन सोख लेती है. लेकिन अमेजन के जंगलों के जलने की वजह से इन देशों में कार्बनडाइक्साइड का स्तर काफी बढ़ जाएगा. साथ ही कार्बन सोखने की गति भी कम हो जाएगी. इससे इन देशों में भयंकर पर्यावरण विनाश देखने को मिल सकते हैं.
बोल्सोनारो के राष्ट्रपति बनने के बाद बढ़े हैं आग लगने के मामले
बोल्सोनारो के जनवरी में राष्ट्रपति बनने के बाद से आग लगने की घटनाएं काफी बढ़ी हैं. बोल्सनारो अमेजन में बड़े पैमाने पर खेती और खनन को बढ़ावा दे रहे हैं. वो जंगलों की कटाई को लेकर चिंतित नहीं दिखते. उन्होंने कहा कि ये खेती के लिए जंगलों की सफाई का मौसम है इसलिए किसान जंगलों को आग लगाकर जमीन तैयार कर रहे हैं. स्पेस एजेंसी का भी मानना है कि आग की इतनी घटनाएं प्राकृतिक नहीं हो सकती हैं.
अमेजन के जंगलों की आग अब अंतरराष्ट्रीय राजनीति का मुद्दा बनता जा रही है. फ्रांस समेत कुछ यूरोपीय देशों का कहना है कि इस आग पर काबू पाने के लिए जो गंभीरता राष्ट्रपति को दिखाना चाहिए वह नहीं दिखा रहे हैं. फ्रांस ने कहा है कि अगर ब्राजील ने इस आग को काबू नहीं किया तो उसके खिलाफ पाबंदी लगाई जा सकती है. दूसरी ओर बोल्सोनारो का कहना है कि ये देश औपनिवेशिक मानसिकता के शिकार हैं. बहरहाल, अमेजन के जंगलों में लगी यह आग पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बनता जा रही है. ऐसी दुनिया जो पहले ही पर्यावरण विनाश की मारी है. इस आग का रुकना हमारी मौजूदा और आने वाली पीढ़ी दोनों के लिए बेहद जरूरी है.
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