अमेरिका की ओर से GSP के तहत मिलने वाली अहम कारोबारी सुविधाओं को खत्म कर देने के बाद भारत ने भी जवाबी टैरिफ लगाने की तैयारी कर ली है. इससे अमेरिका से भारत आने वाले बादाम, अखरोट और सेब समेत कई सामान महंगे हो सकते हैं.
भारत ने टाल रखा है अब तक यह फैसला
पांच जून को ट्रंप ने जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस यानी GSP के तहत भारत को मिलने वाली ट्रेड सुविधाएं खत्म कर दी थीं. इस स्कीम के तहत अमेरिका में भारत से ड्यूटी फ्री एक्सपोर्ट होता था. भारत अमेरिका की इस स्कीम के तहत 430 अरब रुपये का सामान निर्यात करता है. लेकिन अब यह सुविधा खत्म करने के बाद भारत भी जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है. हालांकि अमेरिका ने चेतावनी दी है कि भारत का कदम डब्ल्यूटीओ नियमों के खिलाफ होगा.
दरअसल भारत ने जवाबी कार्रवाई करने का फैसला पिछले जून में किया था. अमेरिका की ओर से कई भारतीय सामानों पर हाई टैरिफ लगाने के फैसले के बाद भारत ने कुछ अमेरिकी सामानों पर 120 फीसदी का टैरिफ लगाने का फैसला किया था. लेकिन अमेरिका से बातचीत में यह मुद्दा सुलझ जाने की उम्मीद को देखते हुए उसने हाई टैरिफ का फैसला टाल रखा था. दोनों देशों के बीच 2018 में 142 अरब डॉलर का कारोबार हुआ था.
ट्रेड पर ट्रंप के अड़ियल रवैये से रिश्ते खराब होने की आशंका
भारत और अमेरिका के बीच बेहतर राजनीतिक और रक्षा संबंध है. लेकिन ट्रंप की ओर से भारत के हाई टैरिफ को लेकर लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं.हाल में ट्रंप ने कहा था कि भारत ने भले ही अमेरिकी मोटरसाइकिलों पर लगने वाले इंपोर्ट टैरिफ को घटाकर 100 से 50 फीसदी कर दिया हो, लेकिन यह अभी भी बहुत ज्यादा है. ट्रंप ने कहा है कि उन्हें नया टैरिफ भी मंजूर नहीं है. इसके साथ ही ट्रंप ने कहा है कि उनके नेतृत्व में अमेरिका ऐसा देश है, जिसे अब और मूर्ख नहीं बनाया जा सकता.
ट्रंप के इस रवैये का असर भारत-अमेरिकी रिश्तों पर पड़ सकता है. क्योंकि अब भी वह टैरिफ के मामले में भारत के खिलाफ अपना रुख नरम करने को तैयार नहीं है. GSP को हटाया जाना इसका सबूत है.
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो जून में भारत आ सकते हैं. उनके साथ बातचीत में यह मुद्दा सुलझने की उम्मीद है. लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप के अड़ियल रवैये को देखते ऐसी संभावना कम है. ट्रंप भारत में अमेरिकी कंपनियों का दायरा और बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. अमेरिका का कहना है कि भारत के ई-कॉमर्स और डाटा लोकलाइजेशन से जुड़े नियम अमेजन.कॉम, वॉलमार्ट, मास्टरकार्ड और वीजा जैसी अमेरिकी कंपनियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
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