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Brazil Riots: क्या ब्राजील में हुई हिंसा के संकेत पहले से मिल रहे थे?

क्या ब्राजील में राष्ट्रपति लूला की सरकार खतरे में है?

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Brazil Riots: क्या ब्राजील में हुई हिंसा के संकेत पहले से मिल रहे थे?
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8 जनवरी 2023 को ब्राजील के वीडियोज देखकर लगा कि कोई तख्तापलट होने जा रहा है. ब्राजील की संसद, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति के घर के अंदर तोड़फोड़ हुई. दंगाइयों की एक भीड़ थी जो संविधान और लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाने पर उतारु थी. इस भीड़ ने कई पुलिस कर्मियों को भी पीटा. भीड़ का पागलपन देख मौके पर मौजूद पुलिस ने हाथ खड़े कर दिए थे. सेना बुलाई गई. हेलीकाप्टर से आंसू गैस गोले दागे गए. सड़कों पर सख्ती बरती गई. तब जाकर ये अराजकता शांत हुई.

लेकिन ब्राजील में ऐसा क्यों हुआ? क्या इसके संकेत पहले से मिल रहे थे? ये दंगाई कौन थे? क्या चाहते थे? सेना क्या कर रही थी? क्या हिंसा को सेना का समर्थन था? और कुछ ही महीनों पहले चुनी गई लूला सरकार क्या खतरे में है?

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8 जनवरी को जो कुछ ब्राजील की राजधानी ब्राजीलिया में हुआ उसकी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बायडन, यूएन के सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुटेरस, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूके के ऋषि सुनक समेत दुनियाभर के नेताओं ने निंदा की.

पिछले 2 सालों में हमने कई देशों जैसे अमेरिका, श्रीलंका, अफगानिस्तान या इराक में संसद और मुख्य प्रशानिक भवनों पर कब्जे की तस्वीरें देखी थी. लेकिन ब्राजील में हुए इस दंगे की तुलना 6 जनवरी 2021 को अमेरिका के कैपिटल हिल में हुई हिंसा से की गई.

कैपिटल हिल की हिंसा और ब्राजील की हिंसा में समानता

ब्राजील के दंगाई पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो के समर्थक थे. जैसे कैपिटल हिल के दंगाई पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प के समर्थक थे. ट्रम्प ने अपनी हार स्वीकार नहीं की थी यहां ब्राजील में बोल्सोनारो अपनी हार मानने को तैयार नहीं हैं. बोल्सोनारो की राजनैतिक विचारधारा ट्रंप की विचारधारा से मेल खाती है. दोनों ही नेता समान तरह की कट्टर और आक्रामक राजनीति का प्रतिनिधित्व करते हैं. ट्रंप के समर्थकों ने चुनाव में धांधली की बात कही थी. यहां भी दंगाई चुनावों में धांधली की बात कर रहे थे और वामपंथी छवि रखने वाले वर्कर्स पार्टी के नेता और ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा को पद से हटाने की मांग कर रहे थे.

लूला को अक्टूबर 2022 में हुए चुनावों में राष्ट्रपति चुना गया था और उन्होंने ने 1 जनवरी को पद की शपथ ली थी और 8 जनवरी को बोल्सोनरो समर्थकों ने देश की संसद, राष्ट्रपति भवन पर हमला कर दिया. एक सवाल आता है कि क्या इस हिंसा के संकेत पहले से मिल रहे थे?

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ब्राजील के दंगे की टाइमलाइन

30 अक्टूबर 2022: अक्टूबर 2022 में बोल्सोनारो चुनाव हार गए. ब्राजील की परंपरा के मुताबिक हारने वाला उम्मीदवार विजेता को फोन करता है और अपनी हार स्वीकार करता है. बोल्सोनारो राष्ट्रपति रहते हुए चुनाव हारे थे. उनसे विनम्रता की उम्मीद थी. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. बोल्सोनारो पहले दो दिनों तक चुप रहे. 01 नवंबर को उन्होंने कहा कि वो संविधान का पालन करेंगे. हालांकि, इसमें भी उन्होंने अपनी हार नहीं मानी थी.

23 नवंबर 2022 को ब्राजील के सुप्रीम कोर्ट ने बोल्सोनारो की आरोपों को गलत बताया और उनकी पार्टी के केस को रद्द कर दिया. अदालत ने कहा केस बुरी नियत से किया गया था. और पार्टी पर अदालत ने 35 करोड़ रूपये का जुर्माना लगा दिया.

13 दिसंबर 2022: इस दिन बोल्सोनारो के समर्थकों ने  ब्राजील पुलिस के हेडक्वार्टर पर हमले की कोशिश की. कई गाड़ियों में आग लगा दी.

24 दिसंबर 2022: इसके बाद 24 दिसंबर को ब्राजील की पुलिस ने एयरपोर्ट के पास एक शख्स को गिरफ्तार किया जो लूला के शपथ-ग्रहण से पहले बम धमाके की साजिश रच रहा था.

01 जनवरी 2023: इस दिन लूला ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली. लेकिन इस समारोह में बोल्सोनारो मौजूद नहीं थे. और उन्होंने फिर एक परंपरा तोड़ी. ब्राजील में जाने वाला राष्ट्रपति, आने वाले को पीले रंग का कमरबंद पहनाते हैं. लेकिन ये उस दिन नहीं हुआ. क्योंकि बोल्सोनारो एक दिन पहले अमेरिका के फ्लोरिडा चले गए.

और फिर 8 जनवरी को जो हुआ वो सबके सामने हैं.

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क्या इस हिंसा को सेना का समर्थन था?

8 जनवरी को हुए मार्च और दंगे पर कहा जा रहा है कि इसे वहां की सेना का समर्थन था. दरअसल बोल्सोनारो के समर्थकों के प्रदर्शन कई दिन से चल रहे थे. ये लोग सेना के सामने आकर उनसे तख्तापलट करने की मांग भी करते थे. 8 जनवरी को हुई हिंसा में सेना का छुपा हुआ समर्थन था या नहीं इसपर डेनवर यूनिवर्सिटी में ब्राजील की राजनीति के एक्सपर्ट राफेल इओरिस कहते हैं-

“सेना के बड़े अधिकारियों को सरकार में पद देकर बोल्सोनारो ने ब्राजील की सेना के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए हैं. बोल्सोनारो के करीबी दक्षिणपंथी जनरल रक्षा मंत्री, चीफ ऑफ स्टेट और यहां तक ​​कि COVID-19 महामारी के बीच स्वास्थ्य मंत्री बनाये गए थे... मेरी समझ से यह कहना उचित है कि ब्राजील में जो कुछ भी हुआ उसे सेना के कुछ लोग बढ़ावा दे रहे थे. लेकिन बात पारंपरिक तख्तापलट जैसी नहीं थी. सड़कों पर सेना ने टैंक नहीं उतारा.”
राफेल इओरिस

"हिंसा के पीछे बोल्सोनारो" - राष्ट्रपति लूला

8 जनवरी को दंगे की खबर मिलते ही राष्ट्रपति लूला राजधानी लौटे. उन्होंने संसद भवन और दूसरी जगहों का दौरा किया. लूला ने दंगाइयों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही है. उन्होंने दंगे के लिए बोल्सोनारो को जिम्मेदार ठहराया. हालांकि बोल्सोनारो ने आरोपों को गलत ठहराया है उन्होंने कहा कि ये दंगे मेरी साजिश थी इस बात का कोई प्रमाण नहीं है

ब्राजील सरकार के सोलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से सड़कों पर चक्का जाम और सार्वजनिक इमारतों के करीब किसी भी तरह के धरना-प्रदर्शनों पर रोक लगाने की मांग की है.

तो क्या ब्राजील में लूला की सरकार खतरे में हैं? इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं है लेकिन अभी तक बोल्सोनारो ने हार नहीं स्वीकार की है तो ये बात तो तय है कि उनके समर्थक हंगामा करना जारी रखेंगे. 8 जनवरी के हादसे के बाद भी #RetakePower के स्लोगन के साथ ब्राजील के शहरों में पर्चे बाटे जा रहे हैं.

हालांकि 10 जनवरी को राष्ट्रपति लूला ने ब्राजील की नेशनल कांग्रेस के सदस्यों के साथ राजधानी ब्राजीलिया में मार्च किया और जाताया कि ब्राजील के लोकतंत्र को हथियाने की कोशिश नाकाम थी और आगे वे ऐसी किसी भी कोशिश को कामयाब नहीं होने देंगे.

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