चीन (China) में राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) की तीसरी बार ताजपोशी की तैयारी चल रही है. लेकिन इससे पहले ही बगावत की चिंगारी भड़क उठी है. लोग सड़कों पर उतर आए हैं और शी जिनपिंग के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजधानी बीजिंग (Beijing) में लोगों ने शी जिनपिंग के खिलाफ बैनर लगाए. जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई. हालांकि, इन्हें बाद में हटा लिया गया. चलिए आपको बताते हैं, क्या है चीन में विरोध प्रदर्शन की असली वजह.
चीन में क्यों सड़क पर उतरे लोग?
रविवार, 16 अक्टूबर से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस शुरू होने वाली है. इसी कांग्रेस में 2300 डेलिगेट्स शी जिनपिंग को तीसरी बार राष्ट्रपति के तौर पर नियुक्ति को औपचारिक मंजूरी देंगे. लेकिन इससे पहले विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है.
कोरोना की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है. महामारी के चलते चीन में कारोबार और फैक्ट्रियां बंद हो गईं, लोगों के रोजगार छिन गए हैं. जिससे लोगों में सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश है. वहीं कोविड को लेकर सरकार की सख्त नीतियों और लॉकडाउन से भी लोग परेशान हैं. ऐसे में चीन में सत्ता परिवर्तन की मांग उठ रही है. इसके साथ ही लोग 'जीरो कोविड पॉलिसी' को भी खत्म करने की मांग कर रहे हैं.
बीजिंग में क्या हो रहा है?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुवार को बीजिंग में विरोध प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों ने सितोंग पुल पर दो बैनर लगा दिए. इसके साथ ही एक अन्य जगह पर कुछ लोगों की भीड़ ने सड़कों पर टायर जलाकर विरोध प्रदर्शन किया. देखते-देखते विरोध प्रदर्शन तेज हो गई. सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक लोग सरकार के खिलाफ आवाज उठाने लगे.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक पहले बैनर में लिखा था, " हमें कोविड टेस्ट नहीं, खाना चाहिए. हमें कोई प्रतिबंध नहीं, स्वतंत्रता चाहिए. हमें झूठ नहीं, सम्मान चाहिए. हमें सांस्कृतिक क्रांति नहीं, सुधार चाहिए. हमें नेता नहीं, वोट का अधिकार चाहिए. हमें नागरिक बनना है, गुलाम नहीं.
वहीं दूसरे बैनर में लोगों से हड़ताल पर जाने और तानाशाह शी जिनपिंग को हटाने का आह्वान किया गया है.
गुरुवार की घटना की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई है. चीन में सबसे ज्यादा इसे 'वीचैट' पर शेयर किया गया है. जिसके बाद बाद वीचैट एप पर तेजी से कार्रवाई की जा रही है.
क्या है सरकार की 'जीरो कोविड पॉलिसी'?
अगस्त 2021 में चीनी सरकार ने जीरो कोविड पॉलिसी की शुरुआत की थी. जिसके तरहत शंघाई सहित चीन के बड़े शहरों में रहने वाले लोगों को कड़े प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है. दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद से देश दो साल से अधिक समय से इससे जूझ रहा है. ताजा विरोध प्रदर्शन यह बताते हैं कि कोरोना के रोकथाम में शी की रणनीति बहुत मददगार साबित नहीं हो रही है.
चीन ने कोरोना के डेल्टा वेरिएंट की रोकथाम के लिए 'जीरो कोविड पॉलिसी' को अपनाया था. जिसका मुख्य उद्देश्य प्रभावी उपायों को लागू करके चीन की अर्थव्यवस्था और समाज पर वायरस के प्रभाव को कम करना था. इसके तहत विभिन्न हिस्सों में सख्त लॉकडाउन, सामूहिक परीक्षण और यात्रा प्रतिबंध शामिल है.
सरकार के इस कदम ने लाखों चीनी नागरिकों को अपने घरों तक सीमित कर दिया है, सप्ताह में दो बार टेस्ट किया जा रहा है, मास्क को लेकर कड़े नियम हैं. हर बार किसी परिसर में प्रवेश करने पर जांच की जाती है.
चीन के सामने आर्थिक चुनौती कितनी बड़ी?
हाल के दशकों में चीन की अर्थव्यवस्था में तेजी आई है. लेकिन कोरोना महामारी, महंगाई और रियल एस्टेट संकट से पूरी अर्थव्यवस्था हिल गई है. रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक मंदी की बढ़ती आशंका ने परेशानी को और बढ़ा दिया है. बता दें कि शी के नेतृत्व में आर्थिक विकास पिछले राष्ट्रपति जियांग जेमिन और हू जिंताओ की तुलना में कम है.
IMF के मुताबिक 2022 में चीन की GDP ग्रोथ 3.2 फीसदी और 2023 में 4.4 फीसदी रह सकती है, जबकि 2021 में 8.1 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई थी.
शी जिनपिंग का क्यों हो रहा है विरोध?
चीन में हर पांच साल में एक बार होने वाली कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की कांग्रेस की तैयारी चल रही है. इस बार भी सीसीपी की बैठक में जिनपिंग को राष्ट्रपति के तौर पर तीसरा कार्यकाल मिलना तय माना जा रहा है. अगर इस बार राष्ट्रपति के तौर पर तीसरी बार जिनपिंग को समर्थन मिलता है तो वो मरते दम तक चीन के राष्ट्रपति रहेंगे. लोगों को डर है कि उनकी तानाशाही और ज्यादा बढ़ जाएगी.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ विश्लेषकों का कहना है कि वह तीसरे कार्यकाल में चीन को और अधिक तानाशाही की तरफ ले जा सकते हैं.
लंदन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (SOAS) के प्रोफेसर स्टीव त्सांग कहते हैं, "शी के नेतृत्व में चीन तानाशाही दिशा में आगे बढ़ रहा है." वो आगे कहते हैं कि "माओ के राज में चीन में तानाशाही व्यवस्था थी. हम अभी वहां नहीं हैं, लेकिन हम उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं."
शी जिनपिंक कितने शक्तिशाली हैं?
69 साल के शी जिनपिंग, माओत्से तुंग की मौत के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता हैं. वो देश के तीन शीर्ष पदों पर काबिज हैं. महासचिव के रूप में वह चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख हैं. तो राष्ट्रपति के रूप में वह चीन के राष्ट्राध्यक्ष हैं. चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष के रूप में उनके पास देश के सशस्त्र बलों की कमान भी है.
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