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ब्रह्मपुत्र के काले पानी पर चीन का बहाना,भूंकप को बताया जिम्‍मेदार

ब्रह्मपुत्र नदी दक्षिणी तिब्बत के यारलुंग सांगपो से बहती हैं जहां इसे सियांग नदी कहा जाता है

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ब्रह्मपुत्र नदी में भारी प्रदूषण की मीडिया रिपोर्ट्स और भारत में हुई आलोचना के बाद चीन की सफाई आई है. चीन ने गुरुवार को कहा है कि तिब्बत में नवंबर के महीने में 6.9 तीव्रता का भूकंप आया था, इसी ने पानी को गंदा कर दिया है, जिसने भारत में चिंता पैदा कर दी थई.

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि हालिया परीक्षणों ने दर्शाया कि पानी की क्वालिटी थर्ड लेवल तक पहुंच गई है. थर्ड लेवल का पानी मछली पालन और वन्यजीवन के लिये ठीक माना जाता है.

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क्या ये चीन की बहानेबाजी है?

इससे पहले मीडिया में आई खबरों में ब्रह्मपुत्र नदी में भारी प्रदूषण की बात कही गई थी. ये नदी दक्षिणी तिब्बत के यारलुंग सांगपो से बहती हैं जहां इसे सियांग नदी कहा जाता है. असम में आने के बाद ये ब्रह्मपुत्र नदी कहलाती है. मीडिया रिपोर्ट्स में अरुणाचल प्रदेश के करीब तिब्बत में रोधिका झील (बैरियर लेक) बनाने की बात कही गई थी. इसने नदी में बाढ़ को लेकर चिंता पैदा कर दी थी.

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा है, हमने गौर किया है कि भारतीय मीडिया ने हाल में इस मुद्दे पर कई खबरें प्रकाशित कीं. उन्होंने कहा कि चीन जल संरक्षण परियोजना चला रहा है या खदान का इस्तेमाल कर रहा है. उन्होंने कहा, मैं आपको जिम्मेदारी के साथ कह सकती हूं कि चीनी अधिकारियों की जांच के निष्कर्षों के मुताबिक कोई भी अटकल सही नहीं है. उन्होंने कहा कि तिब्बत के मेनलिंग काउन्टी के पास में नवंबर में आए 6.9 की तीव्रता वाले भूकंप की वजह से हो सकता है कुछ समय के लिये नदी के बीत के और निचले हिस्से में गंदगी पैदा हुई हो.

उन्होंने कहा, भूकंप के बाद हमने यारलंग जांगबो (ब्रह्मपुत्र का चीनी नाम) के पानी की गुणवत्ता की निगरानी की और नतीजों ने दर्शाया कि ये थर्ड लेवल के पैरामीटर के लायक था. बता दें कि चीन अरुणाचल प्रदेश पर दक्षिण तिब्बत के रुप में दावा करता है.

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लोकसभा में भी इस मुद्दे पर हुई थी चर्चा

लोकसभा में 17 दिसंबर को इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की गई थी. इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने सदन को भरोसा दिया था कि वो इस मामले को सरकार में 'ऊपरी स्तर' तक उठाएंगे. बता दें कि अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और असम के सीएम सर्बानंद सोनोवाल ने भी ये मुद्दा केंद्र सरकार के समक्ष उठाया था

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