अमेरिका (America) ने ताइवान (Taiwan) को लगभग 1.1 अरब डॉलर के हथियार बेचने की मंजूरी दे दी है. शुक्रवार, 2 सितंबर को अमेरिकी रक्षा विभाग ने बताया कि इसमें 60 एंटी-शिप मिसाइल और 100 एयर-टू-एयर मिसाइलें शामिल हैं. अमेरिका ने यह फैसला चीन के आक्रामक रवैए को देखते हुए किया है. पिछले महीने यूएस हाउस की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन का रुख बदला हुआ नजर आ रहा है.
वाशिंगटन में चीनी दूतावास के स्पोक्सपर्सन लियू पेंग्यू ने एक बयान में कहा कि
संभावित हथियारों की बिक्री "चीन-अमेरिका संबंधों और ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता को गंभीर रूप से खतरे में डालती है. चीन इसके खिलाफ जवाबी कदम उठाएगा.
अमेरिकी प्रशासन ने कहा कि पैकेज कुछ समय से विचाराधीन है और इसे ताइवान और अमेरिकी सांसदों के साथ चर्चा करके विकसित किया गया है.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि ये प्रस्तावित बिक्री ताइवान के अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और एक विश्वसनीय रक्षात्मक क्षमता बनाए रखने के निरंतर प्रयासों का समर्थन करने के लिए हैं.
'चीन के दबाव का सामना करने में मिलेगी मदद'
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि चीन के द्वारा हाल ही में हुई "उकसाने वाली" गतिविधियां एक गंभीर खतरे की ओर इशारा करती हैं और हथियारों की बिक्री से उसे चीन के सैन्य दबाव का सामना करने में मदद मिलेगी.
यह हमारे देश को अपनी समग्र रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने, ताइवान स्ट्रेट और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा और शांति को संयुक्त रूप से बनाए रखने में मदद करेगा.रक्षा मंत्रालय, ताइवान
यूएस-ताइवान बिजनेस काउंसिल के अध्यक्ष रूपर्ट हैमंड-चेम्बर्स ने कहा कि उनके संगठन ने ताइवान को हथियारों की बिक्री के लिए "सीमित दृष्टिकोण" का विरोध किया है. जैसा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने हाल ही में प्रदर्शित किया कि द्वीप को कई तरह के खतरों का सामना करना पड़ता है, जिसके लिए कई क्षमताओं की आवश्यकता होती है.
अमेरिका द्वारा लिया गया यह फैसला ताइवान के पक्ष में अमेरिकी समर्थन को दर्शाता है क्योंकि ताइवान को चीन के दबाव का सामना करना पड़ता है. चीन, ताइवान को अपना इलाका होने का दावा करता है.
नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद से दोनों पार्टियों के कांग्रेस सदस्यों और अमेरिकी राज्यों के राज्यपालों ने ताइवान की यात्रा की, जिसकी चीन द्वारा निंदा की गई.
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