प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ वुहान में दो दिवसीय अनौपचारिक बैठक के बाद रविवार को भारत लौट आए. इस दौरान चीन ने कहा कि आपसी-संपर्क को लेकर भारत के साथ उसका कोई बुनियादी मतभेद नहीं है और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को लेकर वह नई दिल्ली पर दबाव नहीं डालेगा.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साल 2013 में सत्ता में आने के बाद कई अरब डॉलर के बीआरआई योजना की शुरुआत की थी. बीआरआई दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में बड़ा बाधक रहा है. इस योजना के अंतर्गत चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपेक) भी शामिल है, जिसका भारत विरोध करता रहा है क्योंकि यह योजना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है.
पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दो दिन की अनौपचारिक बैठक के खत्म होने के बाद चीन के उप विदेश मंत्री कांग श्वानयू ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि आपसी संपर्क को बढ़ावा देने के मुद्दे पर चीन और भारत के बीच कोई बुनियादी मतभेद नहीं है.''
जहां तक भारत का बेल्ट एंड रोड को स्वीकार किए जाने की बात है, तो मुझे नहीं लगता है कि यह अहम है और चीन इसको लेकर दबाव नहीं डालेगा.कांग श्वानयू, उप विदेश मंत्री, चीन
भारत ने पिछले साल बेल्ट एंड रोड फोरम का बहिष्कार किया था. कांग ने कहा कि चीन और भारत अपने सीमा विवाद का उचित समाधान चाहते हैं. उप विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देश सैन्य और सुरक्षा संपर्क तंत्र को बेहतर बनाने की दिशा में काम करेंगे. शी और मोदी की अनौपचारिक बैठक को ‘सफल और मील का पत्थर' करार देते हुए कहा कि इस बैठक का उद्देश्य किसी खास समस्या को सुलझाना नहीं था बल्कि इसका मुख्य कारण संपर्क को मजबूत बनाना, रिश्तों को रणनीतिक दिशा देना और दोनों नेताओं के बीच आपसी विश्वास को बढ़ाना था.
मोदी और शी की बातचीत का हिस्सा रहे कांग ने कहा कि पिछले दो दिनों में दोनों नेता सहज और मित्रतापूर्ण माहौल में छह बार मिले. मंत्री ने कहा कि शी ने इस बात पर बल दिया कि चीन और भारत के बीच की समस्याएं ‘अस्थायी' हैं लेकिन सहयोग ‘चिरस्थायी' है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी इस बात से पूरी तरह सहमत थे कि दोनों पक्षों को अपने मतभेदों को उचित तरीके से दूर करना चाहिए.
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