हर साल मई में प्रशांत और भारतीय महासागर (Pacific and Indian oceans) से आने वाले मानसून की वजह से दक्षिण-पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत (Yunnan Province) में भारी बारिश होती है. इस भयंकर बारिश से वहां जंगली मशरूम के लिए काफी अनुकूल माहौल तैयार होता है. अब आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि अगर युन्नान में मशरूम के लिए इतना ही वातावरण अनुकूल है, तो वहां मशरूम की कई किस्में मिलती होंगी? इसका जवाब भी है.
युन्नान कृषि विश्वविद्यालय के आंकड़ों के अनुसार, इस प्रांत में लगभग 900 जंगली मशरूम की ऐसी किस्में हैं जिन्हें खाया जा सकता है, ये किस्में चीन के कुल 90 प्रतिशत और दुनिया के कुल 36% किस्म को दर्शाती हैं.
वैज्ञानिकों ने खाने योग्य यानी खाद्य जंगली मशरूम पर अपने शोध के आधार पर सतत विकास पैटर्न तैयार किया है जो बताता है कि ये आर्थिक और पारिस्थितिक, दोनों लाभ प्रदान करते हैं.
अब और कोई असमंजस नहीं
पारंपरिक चीनी चिकित्सा में पैनाक्स स्यूडो-गिन्सेंग का उपयोग किया जाता है, जोकि एक महंगी जड़ी बूटी है. युन्नान प्रांत के पुएर शहर में लंकांग लाहू ऑटोनॉमस काउंटी ने इसे तैयार करके काफी आर्थिक लाभ अर्जित किया है. हालांकि यह पौधा परस्थितियों के लिहाज से पर्यावरण पर इतना निर्भर है कि एक दशक में फिर से उसी क्षेत्र या खेत में पनप (पैदा) नहीं हो सकता है.
युन्नान प्लाटू कैरेक्टरस्टिक एग्रीकल्चरल इंडस्ट्री रिसर्च इंस्टीट्यूट (Yunnan Plateau Characteristic Agricultural Industry Research Institute) के उपाध्यक्ष प्रोफेसर गुई मिंगयिंग ने 2019 में इस काउंटी में एक टीम का नेतृत्व किया था. इस टीम ने परती क्षेत्रों और पेड़ों के बीच बेकार खेतों का उपयोग करने के लिए उन जगहों पर परीक्षण किया था जहां पैनाक्स स्यूडो-गिन्सेंग को उगाया गया था. टीम ने उन परती क्षेत्रों में खाद्य मशरूम जैसे स्ट्रोफारिया रगोसोअनुलाटा, मोर्चेला एस्कुलेंटा और लेंटिनस एडोड्स का रोपण करते हुए परीक्षण किया था. इस परीक्षण के परिणाम आशाजनक थे.
प्रोफेसर गुई ने इस परीक्षण के बाद समझाया कि "इस तरह से खाद्य मशरूम उगाने से स्थानीय किसानों के लिए रेवेन्यू (राजस्व) बनाने के साथ-साथ प्रभावी ढंग से मिट्टी को संरक्षित किया जा सकता है. जिसका स्पष्ट तौर पर मतलब है कि हमने आर्थिक और पारिस्थितिक, दोनों लाभ को सुरक्षित करने के लिए एक तकनीक की पहचान की है या इसके लिए एक तरीका निकाल लिया है."
प्लांटिंग (रोपण) के इस पैटर्न ने किसानों की काम करने की आदतों को धीरे-धीरे बदल दिया है. प्रोफेसर गुई ने बताया कि "खाद्य मशरूम उगाने के लिए पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन पैनाक्स स्यूडो-गिन्सेंग के खेत आमतौर पर पानी के स्रोत से बहुत दूर होते हैं."
"चूंकि पैनाक्स स्यूडो-गिन्सेंग को परिपक्व होने में काफी समय लगता है, इसलिए किसानों ने फसलों को ज्यादा पानी नहीं दिया. लेकिन शुष्क मौसम में उन्हें खाद्य मशरूम को अधिक सक्रियता के साथ पानी देना पड़ता है, क्योंकि उनका विकास चक्र बहुत कम होता है."
प्राेफेसर ने ये भी कहा है कि "हमारी तकनीक यह सुनिश्चित करती है कि पेड़, पैनाक्स स्यूडो-गिन्सेंग और खाद्य मशरूम सभी तक पानी की पर्याप्त पहुंच हो."
उनकी इस प्लांटिंग तकनीक को पहले ही अन्य स्थानों पर अपनाया जा चुका है. युन्नान कृषि विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं चाय की पत्तियों में वृद्धि देखने और उसकी गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए चाय के बागानों में खाद्य मशरूम लगाने का भी प्रयोग किया था. इसके अलावा मिट्टी को पुनर्जीवित करने और प्राकृतिक पर्यावरण को बहाल करने के लिए शोधकर्ताओं ने पूर्व में खनन के लिए उपयोग किए जाने वाले क्षेत्र में उन विशिष्ट मशरूम की प्लांटिंग कर परीक्षण किया जो मिनरल्स को अवशोषित करने के लिए जाने जाते हैं.
ऐसी गांठ जो लगी ही न हो
जंगली खाद्य मशरूम संसाधनों के संरक्षण और उसके उपयोग पर प्रोफेसर गुई मिंगयिंग वर्षों से समर्पित होकर शोध कर रहे हैं. उनके हालिया शोध की बात करें तो इसमें उन्होंने दीर्घकालिक विकास प्राप्त करने के लिए प्रजनन क्षमता में सुधार लाने और जंगली खाद्य मशरूम के संरक्षण को आसान बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है.
प्रोफेसर गुई ने ट्राइकोलोमा मत्सुटेक पर अध्ययन किया है. यह मशरूम की सबसे मूल्यवान किस्मों में से एक है. इस किस्म के मशरूम को अंकुरित होने से परिपक्व होने तक महज कुछ सप्ताह लगते हैं. वहीं इसके बीजाणुओं के जीवित रहने की दर काफी कम होती है, ये लगभग छह वर्षों तक खेतों में निष्क्रिय रह सकते हैं.
प्रोफेसर गुई का मानना है कि ट्राइकोलोमा मत्सुटेक को छह सेंटीमीटर से अधिक लंबे फलने वाले शरीर के साथ चुनना उचित है और उनमें से कुछ को पूरी तरह से परिपक्व होने तक छोड़ देना चाहिए. जब इस मशरूम का सिर या उपरी हिस्सा पूरी तरह से छतरी की तरह फैल जाता है और इसके बीजाणु मिट्टी में फैलने लगते हैं, तब यह मशरूम यौन परिपक्वता यानी कि sexual maturity की स्टेज पर पहुंच जाता है.
प्रोफेसर गुई ने सुझाव दिया कि किसान जब ट्राइकोलोमा मत्सुटेक का चयन करते हैं या उसे चुनते हैं तब बीजाणुओं और मिट्टी से उनके पारिस्थितिक लिंक को सबसे बेहतर तरीके से संरक्षण करने के लिए मिट्टी को उसके मूल स्थान पर पुनर्स्थापित कर दें. यानी जहां से मिट्टी हटाई थी उसे फिर से वहीं स्थापित कर दें.
ट्राइकोलोमा मत्सुटेक का भंडारण करने और इसके उपयोग करने में असमंजस की स्थिति पैदा होती. जापान के जो मशरूम प्रेमी हैं वे आधे पके हुए ट्राइकोलोमा मत्सुटेक पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें पूरे पके ट्राइकोलोमा मत्सुटेक की तुलना में इसका स्वाद बेहतर लगता है. इस तरह के इंडस्ट्रियल स्टैंडर्ड की वजह से मशरूम को स्थायी तौर पर विकसित करना दिन-ब-दिन ज्यादा कठिन होता जाता है.
प्रोफेसर गुई ने बताया कि "हमें अपरिपक्व ट्राइकोलोमा मत्सुटेक तोड़ना या चुनना नहीं चाहिए, क्योंकि उस स्टेज में उसके बीजाणु विकसित नहीं हुए होते हैं." वे आगे कहते हैं कि "यदि आप उन्हें काटते हैं तो और कुछ नहीं होगा और चूंकि अधिक परिपक्व मशरूम का स्वाद उन्हें ठीक नहीं लगता इसलिए उनके लिए ये तोड़ने लायक नहीं हैं; ऐसे में परिपक्व मशरूम जहां हैं उसे वहीं छोड़ देना चाहिए, इससे उन्हें लाभ होगा जो छोटे हैं और अभी भी बढ़ रहे हैं."
प्रोफेसर गुई ने अन्य खाद्य जंगली मशरूम जैसे ट्रफल्स को संरक्षित करने पर भी काम किया है. वो कहते हैं कि "हमने ट्रफल कटाई के लिए एक सटीक समय का प्रस्ताव दिया, जो नवंबर से पहले कटाई पर रोक लगाती है, ये वह दौर होता है जब ट्रफल परिपक्वता को प्राप्त कर रहे होते हैं."
8 सितंबर, 2021 को सरकारी संरक्षण के तहत चीन के जंगली पौधों की सूची में Ophiocordyceps sinensis, Tricholoma matsutake, और Tuber sinoaestivum को जोड़ा गया है. कई तरह से किए गए सराहनीय और बेहतर प्रयास किसानों और जंगली मशरूम के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित कर रहे हैं.
(इस लेख में प्रयुक्त कंटेंट बीजिंग स्थित चीन-भारत डायलॉग द्वारा उपलब्ध कराया गया है.)
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