पाकिस्तान (Pakistan) के बाद अब फाइनैंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने उसके दोस्त तुर्की को भी झटका दिया है. तुर्की को एफएटीएफ ने ग्रे लिस्ट में डाल दिया है. टेरर फंडिग रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने के आरोप में यह कार्रवाई की गई है.
तुर्की का मूल्यांकन 2019 में किया गया था, इस रिपोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकियों की फाइनैंसिंग को लेकर तुर्की के प्रयास संदिग्ध थे, तुर्की ने तब से सभी मुद्दों को लेकर बेहतर किया है. हालांकि गंभीर मुद्दे अभी बरकरार हैंFATF
एफएटीएफ के बयान में कहा गया है कि बैंकों, महंगे पत्थर के डीलर्स, और रियल एस्टेट एजेंट्स जैसे हाई रिस्क वाले सेक्टर्स की निगरानी के गंभीर मुद्दे बरकरार हैं. ग्रे लिस्ट में तुर्की के साथ-साथ जॉर्डन और माली को भी जोड़ा गया है.
उधर 3 साल से ग्रे लिस्ट में शामिल पाकिस्तान ने भारत पर एफएटीएफ के राजनीतिकरण का आरोप लगाया है. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भारतीय विदेश मंत्री के एक हालिया बयान का हवाला देकर कहा, ''पाकिस्तान ने हमेशा से कहा है कि भारत एफएटीएफ का राजनीतिकरण कर रहा है और इसकी प्रकियाओं को प्रभावित कर रहा है.''
पाकिस्तान ने आगे कहा कि
भारतीय विदेश मंत्री का हालिया बयान इस बात की पुष्टि करता है कि भारत एक महत्वपूर्ण टेक्निकल फोरम का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर रहा है. एक ओर जहां पाकिस्तान एफएटीएफ के ऐक्शन प्लान पर गंभीरता से काम कर रहा है, वहीं भारत, पाकिस्तान की प्रगति को लेकर अपमानजनक आशंकाएं पैदा करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ रहा है.
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