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G20 Summit:PM मोदी ने बाली में 3 दिन गुजारे, भारत ने वास्तव में क्या हासिल किया?

G20 नेताओं की घोषणा में कहा गया है कि "आज का दौर युद्ध का नहीं होना चाहिए" यह मोदी की पिछली टिप्पणियों से मिलता है.

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इंडोनेशिया के बाली में G20 समिट ऐसे समय पर हुई जब दुनिया एक नहीं बल्कि कई तरह के संकटों से जूझ रही है. रूस द्वारा यूक्रेन पर किया गया हमला और इसके वैश्विक परिणाम, गंभीर जलावायु संकट, उत्तर कोरिया के चिंताजनक परमाणु कार्यक्रम और चीन की बढ़ती वैश्विक महत्वाकांक्षाओं जैसे कई संकट हैं जो दुनिया के सामने बने हुए हैं.

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हालांकि इस समिट को लेकर भारत और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में भी चर्चा थी. मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि उनकी तीन दिवसीय यात्रा में भारत से संबंधित मुद्दों जैसे कि वैश्विक विकास को पुनर्जीवित करने, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और डिजिटल बदलाव आदि पर चर्चा होगी.

समिट के सिद्धांत और अंतिम निर्धारण में मुख्य रूप से रिकवरी और डेवलपमेंट के तीन क्षेत्रों को रेखांकित किया जो भारत की चुनौतियों की सूची में बने हुए हैं.

G20 में पीएम मोदी ने क्या कुछ कहा? और बाली में भारत की हिस्सेदारी से क्या हासिल हुआ? आइए जानते हैं.

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर मोदी की टिप्पणियों की गूंज

रूस-यूक्रेन संघर्ष जब से शुरु हुआ है तब से यूक्रेन पर भारत की स्थिति एक जैसी ही बनी हुई है : वह युद्ध को अस्वीकार कर रहा है, लेकिन कोई पक्ष नहीं ले रहा है. भारत तटस्थ बना हुआ है.

रूस और यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध के खिलाफ भारत ने एक नहीं बल्कि कई बार अपनी स्थिति स्पष्ट की है, लेकिन न तो उसने कभी भी हमले के लिए मास्को को जिम्मेदार ठहराया है और न ही सस्ते रूसी तेल और कोयले के आयात पर उसने नीति में बदलाव किया है.

G20 की लीडर्स डिक्लेरेशन (घोषणा) में सीधे तौर पर किसी एक देश या नेता को जिम्मेदार नहीं बताते हुए कहा गया :

"अधिकांश सदस्यों ने यूक्रेन में युद्ध की कड़ी निंदा की और इस बात पर जोर देकर कहा कि यह भारी मानवीय पीड़ा का कारण बन रहा है और वैश्विक अर्थव्यवस्था की मौजूदा कमजोरियों को बढ़ा रहा है जैसे कि यह ग्रोथ में बाधा बन रहा है, मुद्रास्फीति को बढ़ा रहा है, आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर रहा है, ऊर्जा और खाद्य असुरक्षा को बढ़ा रहा है और वित्तीय स्थिरता के जोखिम को बढ़ा रहा है."

भारत युद्ध के खिलाफ अपनी बात रखते हुए हिंसा और युद्ध के कार्य को तुरंत बंद करने के लिए कहता आया है. लेकिन एक्सपर्ट्स के अनुसार डिक्लेरेशन की भाषा और रूस को लेकर भारत की नीति यह दर्शाती है कि यह उस समूह का हिस्सा नहीं था जिसने "युद्ध की कड़ी निंदा की".

मोदी की तरह ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी G20 शिखर सम्मेलन में युद्ध के बारे में चिंता व्यक्त की, लेकिन मास्को को लेकर कुछ नहीं कहा.

घोषणा में कहा गया है कि "स्थिति और प्रतिबंधों पर अलग विचार और विभिन्न आकलन भी थे."

मोदी की टिप्पणियों की गूंज? जी20 समिट में नेताओं की घोषणा में एक दिलचस्प बात थी, वह यह कि "आज का दौर युद्ध का नहीं होना चाहिए." ये पंक्ति पीएम मोदी की उन टिप्पणियों से मिलती है जो उन्होंने कुछ महीने पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत के दौरान की थी.

सितंबर 2022 में, समरकंद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में एक द्विपक्षीय चर्चा के दौरान यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का उल्लेख करते हुए मोदी ने पुतिन से कहा था कि, "यह समय युद्ध का नहीं है."

शिखर सम्मेलन में भारतीय विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने पहले ही वर्किंग सेशन के दौरान पीएम मोदी के हस्तक्षेप और फाइनल डॉक्यूमेंट की बातचीत के संबंध में भारत की भूमिका के बारे में बात की थी.

क्वात्रा ने "भारत ने आउटकम डॉक्यूमेंट की सफल वार्ता में एक अहम भूमिका निभाई है."

क्वात्रा ने यह भी कहा कि वहां कई मुद्दों पर चर्चा की गई जिसमें भारत का दृष्टिकोण " रचनात्मक, सहयोगात्मक और आम सहमति बनाने वाला था".

खाद्य सुरक्षा के खिलाफ भारत की सफलता

पीएम मोदी ने खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर एक वर्किंग सेशन के दौरान नेताओं को आगाह किया था कि आज की उर्वरक समस्या कल को खाद्य संकट में बदल सकती है. इसके अलावा पीएम मोदी ने खाद्यान्न के साथ-साथ खाद के लिए एक "स्थिर" आपूर्ति श्रृंखला को लेकर भी अपनी बात रखी थी.

अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने यह भी दावा किया कि कोविड महामारी के दौरान अपने सभी 1.3 बिलियन नागरिकों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए भारत ने अन्य देशों को भी खाद्यान्न की आपूर्ति की है.

कम से कम कागज पर, भारत खाद्य की कमी वाले देश से खाद्य सरप्लस वाले देश की ओर बढ़ने की अपनी यात्रा में सफल रहा है और भारत में लचीली खाद्य प्रणाली बनाकर खाद्य सुरक्षा से संबंधित बढ़ती चुनौतियों का भी समाधान कर रहा है.

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), एकीकृत बाल विकास सेवाओं और मध्याह्न भोजन योजना (मिड डे मील स्कीम) को एक साथ लाता है.

जी20 नेताओं ने खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों का समाधान करने के लिए समन्वित कार्रवाई का वादा किया और काला सागर अनाज पहल की सराहना की.

जी20 द्वारा जारी विज्ञप्ति में "विशेष रूप से विकासशील देशों की कमजोरियों को दूर करने के लिए जीवन बचाने, भूख और कुपोषण को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की प्रतिबद्धता जताई गई है. वहीं स्थायी तथा लचीली कृषि और खाद्य प्रणालियों तथा आपूर्ति श्रृंखलाओं की दिशा में त्वरित परिवर्तन का आह्वान किया गया है."

गैर प्रतिबद्ध ऊर्जा सुरक्षा वादे

हरित ऊर्जा विकल्पों का उद्देश्य 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करना है. इस दिशा में भारत का आक्रामक दृष्टिकोण है. लेकिन इसके बावजूद भी भारत को रूसी आक्रमण द्वारा उत्पन्न संकटों का सामना करना पड़ रहा है. रूस के आक्रमण के कारण उत्पन्न भू-राजनीतिक परिस्थितियों ने गंभीर आपूर्ति श्रृंखला बाधाओं, ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि और आसमान छूती मुद्रास्फीति को जन्म दिया है.

बाली में जी20 का जो एजेंडा तय हुआ है उसमें वैश्विक नागरिकों के लिए एक उज्जवल भविष्य सुनिश्चित करने के लिए एक स्वच्छ, हरित ऊर्जा स्रोत में शिफ्ट होने पर जोर दिया गया है. इस सम्मेलन में ऊर्जा सामर्थ्य (एनर्जी अफोर्डेबिलिटी ), स्वच्छ और स्मार्ट ऊर्जा प्रौद्योगिकी (क्लीन एंड स्मार्ट एनर्जी टेक्नोलॉजी) पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है.

भले ही जी20 की अंतिम विज्ञप्ति में लगभग 40 बार ऊर्जा और ऊर्जा सुरक्षा का उल्लेख किया गया है लेकिन यह समिट जो ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए निर्धारित की गई थी, वह मुख्य रूप से भू-राजनीति के आसपास घूमती रही. ये भात खासकर इंडोनेशिया को पसंद नहीं आई.
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"हम ऊर्जा की कीमतों और बाजारों में अस्थिरता और ऊर्जा आपूर्ति में कमी/व्यवधानों का सामना कर रहे हैं. हम ऊर्जा प्रणालियों को तेजी से बदलने और विविधता लाने की तात्कालिकता पर जोर दे रहे हैं... हम यह सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर देते हैं कि वैश्विक ऊर्जा मांग सस्ती ऊर्जा आपूर्ति से मेल खाए."

लेकिन विज्ञप्ति में किसी वादे की बात नहीं है.

इसके अलावा भारत के लिए और क्या रहा?

इसके अलावा, जी20 शिखर सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक की मुलाकात हुई. यह दोनों नेताओं की पहली मीटिंग थी. मुलाकात के कुछ ही घंटों बाद पीएम ऋषि सुनक के नेतृत्व वाली ब्रिटिश सरकार ने एक नई योजना को मंजूरी दी. इस योजना से ब्रिटेन (UK) में काम करने के इच्छुक भारतीय पेशेवरों को लाभ मिलेगा. इस योजना के तहत युवा भारतीय पेशेवरों को दो साल के लिए यूनाइटेड किंगडम में रहने और काम करने के लिए हर साल 3 हजार वीजा दिए जाएंगे.

शिखर सम्मेलन से इतर पीएम मोदी ने जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज से भी मुलाकात की. इस मुलाकात में दोनों नेताओं की बीच आर्थिक संबंधों, रक्षा सहयोग और अन्य साझा क्षेत्रों को बढ़ावा देने को लेकर चर्चा हुई.

पीएम मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की. उनसे रक्षा, परमाणु ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने की बात की. इसके अलावा मोदी ने इटली की पीएम जियोर्जिया मेलोनी, ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बनीस और सिंगापुर के पीएम ली सीन लूंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की.

अध्यक्षता

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने आधिकारिक तौर पर बाली शिखर सम्मेलन में G20 की अध्यक्षता भारत और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी. 2023 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की तैयारी में भारत जुटा है. हाल ही में भारत की G20 अध्यक्षता के लिए एक लोगो लॉन्च किया गया है.

G20 के अगले अध्यक्ष के तौर पर, भारत का एजेंडा समावेशी वैश्विक आर्थिक शासन पर कई मुद्दों को शामिल करेगा. जी20 के भीतर भारत एक विरासत को पीछे छोड़ने की कोशिश करेगा, यानी भारत का यह प्रयास होगा कि उसे एक ऐसे राष्ट्र के रूप में याद किया जाए, जिसने वैश्विक आर्थिक विकास में समावेशिता पर जोर दिया.

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