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भारत-कनाडा के बीच कैसे रहे हैं रिश्ते? निज्जर मर्डर विवाद के बाद क्या होगा असर?

India-Canada के बीच हुए समझौतों का क्या हुआ?

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कनाडा (Canada) ने 18 सितंबर को एक टॉप भारतीय राजनयिक पवन कुमार राय को निकाल दिया. इससे पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) ने खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर (Hardeep Singh Nijjar) की हत्या और भारत सरकार के बीच संभावित कनेक्शन का दावा किया था. कनाडा के बाद भारत ने भी 19 सितंबर को कनाडा के राजनयिक को बाहर का रास्ता दिखा दिया था. इससे पहले भारत के विदेश मंत्रालय ने कनाडा की तरफ से लगाए गए आरोपों को बेतुका बताया था.

ऐसे में आइए जानते हैं कि इतिहास के पन्नों में भारत और कनाडा के बीच कैसे संबंध रहे हैं.

भारत-कनाडा के बीच कैसे रहे हैं रिश्ते? निज्जर मर्डर विवाद के बाद क्या होगा असर?

  1. 1. कनाडा और भारत के बीच कैसे संबंध रहे हैं?

    भारत और कनाडा दोनों राष्ट्रमंडल (Commonwealth) के सदस्य रहे हैं. कनाडा को 1867 में स्वतंत्रता मिली, जबकि भारत 1947 में एक आजाद मुल्क बना. 1947 से ही दोनों देशों के बीच एक विशेष संबंध रहा है और दोनों देशों ने कई क्षेत्रों में एक साथ मिलकर काम किया है.

    कोरियाई युद्ध के बाद Neutral Nation’s Repatriation Commission की अध्यक्षता भारत ने की थी और कनाडा एक सदस्य के रूप में था. भारत ने विश्व मामलों में तुलनात्मक रूप से प्रमुख भूमिका निभाई, जबकि कनाडा की भूमिका भारत के समर्थक की थी.

    कनाडा और भारत के बीच कई मसलों पर मतभेद भी थे. कनाडा उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) का संस्थापक सदस्य रहा है, जो शीत युद्ध की समाप्ति और सोवियत संघ के विघटन के बाद भी एक सैन्य गठबंधन के रूप में जिंदा है.

    कब-कब भारत के विरोध में रहा कनाडा?

    1974- पहला परमाणु परीक्षण: 18 मई 1974 को भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण राजस्थान के पोखरण में किया था.

    NY Time की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पहले परमाणु परीक्षण पर कनाडाई सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री पियरे इलियट ट्रूडो ने दोनों देशों के बीच 1971 में हुई सहमति का उल्लंघन बताया था.

    1998- दूसरा परमाणु परीक्षण: इसके बाद मई 1998 में भारत ने पोखरण में ही अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया. इससे पहले दुनिया ने पिछले वर्षों के अमेरिका और सोवियत संघ के शीत युद्ध की तरह भारत और पाकिस्तान के बीच हथियारों की एक नई दौड़ शुरू होते देखी थी. कनाडा में बने रिएक्टरों के रूप में अहम टेक्नोलॉजी प्रदान करने के लिए आलोचकों ने फिर से कनाडा को दोषी ठहराया, जैसा कि उन्होंने 1974 में किया था.

    लेकिन इसको कनाडा के प्रधानमंत्री जीन क्रेटियेन ने खारिज कर दिया और जोर देकर कहा कि भारत के नवीनतम विस्फोटों के लिए कनाडा की कोई जिम्मेदारी नहीं है क्योंकि 1974 की तकनीक पूरी तरह से पुरानी है.

    इसके बाद कनाडा भी भारतीय परमाणु परीक्षणों की निंदा करने में अन्य पश्चिमी देशों में शामिल हो गया.

    उस वक्त के तत्कालीन कनाडाई प्रधान मंत्री क्रेटियेन ने कहा था कि...

    "भारत के परीक्षण भारतीय उपमहाद्वीप पर परमाणु हथियारों की होड़ शुरू कर सकते हैं और अन्य देशों को परमाणु हथियार विकसित करने और परीक्षण करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं."

    इसके बाद कनाडा ने अपने राजदूत को वापस बुला लिया था और सभी गैर-मानवीय सहायता को रद्द करने में दूसरों के साथ शामिल हो गया.

    वह भारत को सभी सैन्य सहयोग और सैन्य बिक्री रोकने में अमेरिका के साथ शामिल हो गया. प्रधानमंत्री क्रेटियन ने जी-8 शिखर सम्मेलन से पहले ब्रिटेन की अपनी आधिकारिक यात्रा के दौरान ऐलान किया था कि

    वह "विरोध के संकेत के रूप में" दोनों सरकारों के बीच सभी मंत्रीस्तरीय और आधिकारिक स्तर के संपर्कों को तुरंत रद्द कर रहे हैं.
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  2. 2. हाल के दिनों में भारत-कनाडा के कैसे रहे हैं संबंध?

    कनाडा में भारत के पंजाब के सिखों की आबादी सबसे ज्यादा है. पिछले दिनों कनाडा में कई भारत विरोधी प्रदर्शन हुए. हाल के कुछ महीनों में भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध बेहद तनावपूर्ण हो गए. इस बीच कुछ ऐसी घटनाएं हुई, जिनसे दोनों देशों के रिश्तों पर बुरा असर हुआ है.

    Snapshot
    • पिछले साल, कनाडा में कुछ हिंदू मंदिरों को क्षतिग्रस्त किया गया था. भारत ने इस मुद्दे को उठाया और खालिस्तानी समूहों पर इसका आरोप लगाया.

    • जून 2023 में कनाडा के ब्रैम्पटन में एक परेड का आयोजन किया गया था. इसमें भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को निशाना बनाने वाली मूर्तियां और तख्तियां प्रदर्शित की गईं. इसके बाद भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इसके लिए कनाडा पर हमला बोला था.

    • जून में कनाडा ने एक बार फिर भारत पर उसकी घरेलू राजनीति में दखल देने का आरोप लगाया था.

    • फरवरी 2022 में खालिस्तानी समर्थकों की आलोचना करने वाले एक इंडो-कनाडाई रेडियो होस्ट दीपक पुंज पर हमला किया गया था

    • मार्च 2022 में भारत की 25 वर्षीय हरमनदीप कौर की हत्या कर दी गई.

    • अप्रैल 2022 में टोरंटो में 21 साल के भारतीय छात्र कार्तिक वासुदेव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

    • जुलाई 2022 में, रिचमंड हिल में एक विष्णु मंदिर में महात्मा गांधी की मूर्ति को अपवित्र किया गया था.

    • अगस्त 2022 में एक भारतीय रेडियो होस्ट जोती सिंह मान पर तीन लोगों ने बेरहमी से हमला किया था. भारत सरकार ने इस घटना की कड़ी निंदा की.

    पिछले दिनों कनाडा में भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाते हुए कई भारत विरोधी पोस्टर लगाए गए थे. ऐसा ही एक पोस्टर कनाडा के एक शहर वैंकूवर (Vancouver) में भारतीय वाणिज्य दूतावास के बाहर लगाया गया था.

    ये पोस्टर कथित तौर पर खालिस्तानी समूहों द्वारा लगाए गए थे. पोस्टर में कनाडा में भारतीय राजनयिकों के चेहरे पर 'वॉन्टेड' लिखा हुआ था.

    इसके बाद 1 सितंबर को कनाडा ने भारत के साथ प्रस्तावित व्यापार संधि पर बातचीत रोक दी. दोनों देश पिछले कुछ सालों से इस व्यापार समझौते पर काम कर रहे थे.

    CNBC की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार सिखों के लिए स्वतंत्र राज्य की मांग कर रहे खालिस्तानी समूहों द्वारा आयोजित 'जनमत संग्रह' का लगातार विरोध कर रही है. भारत सरकार ने दावा किया कि कनाडा सरकार ने खालिस्तानियों को खुली छूट दे दी है, जो भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं. ऐसा ही एक जनमत संग्रह तब आयोजित किया गया था, जब जस्टिन ट्रूडो जी20 बैठक के लिए भारत में थे.

    भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर जस्टिन ट्रूडो को भारत के खिलाफ कनाडा में विरोध प्रदर्शन के बारे में कड़ी चिंताओं से अवगत कराया था.
    इन सभी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए, भारत ने सितंबर 2022 में एक एडवाइजरी जारी की, जिसमें भारतीय नागरिकों और भारतीय छात्रों को उचित सावधानी बरतने और सतर्क रहने की सलाह दी गई.
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  3. 3. भारत और कनाडा के बीच हुए समझौतों का क्या हुआ? नए विवाद से व्यापार संबंधों कितना असर?

    भारत और कनाडा के द्विपक्षीय संबंधों में उठा-पटक नजर आने के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. पिछले हफ्ते, नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के बाद, कनाडा ने भारत के लिए एक व्यापार मिशन स्थगित कर दिया, जिस पर अक्टूबर में सहमति बनने वाली थी.

    भारत और कनाडा, दोनों देशों ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि वे 2023 के आखिरी तक एक व्यापार समझौते की रूपरेखा पर सहमत हो सकते हैं लेकिन अब समझौते पर बातचीत रुक गई है. दोनों देशों ने कहा कि उन्होंने 2023 की शुरुआत में यह व्यक्त करने के बाद व्यापार वार्ता रोक दी क्योंकि उनका टार्गेट इस साल एक प्रारंभिक व्यापार समझौते पर मुहर लगाना है.

    Business Today की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल कहा कि

    "खालिस्तान समर्थक गतिविधियों में बढ़ोतरी और जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली कनाडाई सरकार की खालिस्तानी कार्यकर्ताओं के प्रति सहानुभूति की वजह से भारत और कनाडा के बीच व्यापार वार्ता रोक दी गई है."
    Snapshot
    • रिपोर्ट के मुताबिक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वाणिज्यिक संबंध 100 अरब डॉलर के हैं, जिसमें 70 अरब डॉलर का कनाडाई पोर्टफोलियो निवेश शामिल है.

    • भारत कनाडा का दसवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और एक व्यापार सौदे की योजना एक दशक से ज्यादा समय से ठंडे बस्ते में है.

    • Statistics Canada के मुताबिक 2022 में, दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार कनाडाई व्यापार के कुल 1.52 ट्रिलियन कनाडियन डॉलर में से 13.7 बिलियन डॉलर था.

    भारत और कनाडा के बीच व्यापार

    PTI की रिपोर्ट के मुताबिक भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार में हाल के वर्षों में अहम बढ़ोतरी देखी गई है, जो 2022-23 में 8.16 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है.

    कनाडा को भारत के निर्यात (4.1 बिलियन डॉलर) में फार्मास्यूटिकल्स, रत्न और आभूषण, कपड़ा और मशीनरी शामिल हैं. दूसरी ओर कनाडा के द्वारा भारत को किए गए निर्यात (4.06 बिलियन डॉलर) में दालें, लकड़ी, लुगदी और कागज और खनन उत्पाद शामिल हैं.

    वित्तीय वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में कनाडा को भारत की तरफ से किया गया निर्यात लगभग 911 मिलियन डॉलर का था, जबकि कनाडा से आयात 990 मिलियन डॉलर का था.

    World Bank के आंकड़ों के मुताबिक भारत को वित्त वर्ष 2022 में कनाडा में रहने वाले भारतीय नागरिगों द्वारा लगभग 859.83 मिलियन डॉलर प्राप्त हुआ.

    रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा और भारत के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (Comprehensive Economic Partnership Agreement-CEPA) में द्विपक्षीय व्यापार को 6.5 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने की क्षमता है, जिससे 2035 तक कनाडा के GDP में 3.8 बिलियन डॉलर से 5.9 बिलियन डॉलर की अनुमानित बढ़ोतरी होगी.

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  4. 4. कनाडा ने भारत में क्या निवेश किया है?

    कनाडा के बारे में इन्वेस्ट इंडिया पेज से पता चलता है कि अप्रैल 2000 से मार्च 2023 तक लगभग 3,306 मिलियन डॉलर के कुल निवेश के साथ कनाडा, भारत में 17वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है. भारत में कनाडा का निवेश कुल FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) का लगभग 0.5 प्रतिशत है.

    दूसरी ओर, भारत 2022 में कनाडा का नौवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था. कनाडा से भारत में कुल FDI निवेश में सेवाओं और बुनियादी ढांचे का योगदान 40.63 प्रतिशत था.

    भारत में 600 से ज्यादा कनाडा की कंपनियां हैं और Bombardier और SNC Lavalin सहित 1,000 से ज्यादा कंपनियां सक्रिय रूप से भारतीय बाजार में कारोबार कर रही हैं.

    भारत में कनाडा के पेंशन फंड

    कैनेडियन पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड (CPPIB) ने भारत में कई निवेश किए हैं. हालिया फाइलिंग से पता चलता है कि ये निवेश कुल मिलाकर 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हैं.

    CPPIB ने IT की दिग्गज Wipro और Infosys, टॉप बैंकों- ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और Paytm, जोमैटो, Nykaa, Delhivery जैसी नए जमाने की कंपनियों में फंड निवेश किया है.

    PTI की रिपोर्ट के मुताबिक विशेषज्ञों का कहना है कि भारत और कनाडा के बीच ताजा तनाव से दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश पर असर पड़ने की संभावना नहीं है क्योंकि आर्थिक संबंध व्यावसायिक विचारों से प्रेरित होते हैं.

    ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने PTI से बात करते हुए कहा है कि कनाडा के पेंशन फंड भारत के बड़े बाजार में निवेश किए गए हैं और अच्छे रिटर्न के आधार पर भारत में निवेश जारी रखेंगे.

    (क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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कनाडा और भारत के बीच कैसे संबंध रहे हैं?

भारत और कनाडा दोनों राष्ट्रमंडल (Commonwealth) के सदस्य रहे हैं. कनाडा को 1867 में स्वतंत्रता मिली, जबकि भारत 1947 में एक आजाद मुल्क बना. 1947 से ही दोनों देशों के बीच एक विशेष संबंध रहा है और दोनों देशों ने कई क्षेत्रों में एक साथ मिलकर काम किया है.

कोरियाई युद्ध के बाद Neutral Nation’s Repatriation Commission की अध्यक्षता भारत ने की थी और कनाडा एक सदस्य के रूप में था. भारत ने विश्व मामलों में तुलनात्मक रूप से प्रमुख भूमिका निभाई, जबकि कनाडा की भूमिका भारत के समर्थक की थी.

कनाडा और भारत के बीच कई मसलों पर मतभेद भी थे. कनाडा उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) का संस्थापक सदस्य रहा है, जो शीत युद्ध की समाप्ति और सोवियत संघ के विघटन के बाद भी एक सैन्य गठबंधन के रूप में जिंदा है.

कब-कब भारत के विरोध में रहा कनाडा?

1974- पहला परमाणु परीक्षण: 18 मई 1974 को भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण राजस्थान के पोखरण में किया था.

NY Time की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पहले परमाणु परीक्षण पर कनाडाई सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री पियरे इलियट ट्रूडो ने दोनों देशों के बीच 1971 में हुई सहमति का उल्लंघन बताया था.

1998- दूसरा परमाणु परीक्षण: इसके बाद मई 1998 में भारत ने पोखरण में ही अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया. इससे पहले दुनिया ने पिछले वर्षों के अमेरिका और सोवियत संघ के शीत युद्ध की तरह भारत और पाकिस्तान के बीच हथियारों की एक नई दौड़ शुरू होते देखी थी. कनाडा में बने रिएक्टरों के रूप में अहम टेक्नोलॉजी प्रदान करने के लिए आलोचकों ने फिर से कनाडा को दोषी ठहराया, जैसा कि उन्होंने 1974 में किया था.

लेकिन इसको कनाडा के प्रधानमंत्री जीन क्रेटियेन ने खारिज कर दिया और जोर देकर कहा कि भारत के नवीनतम विस्फोटों के लिए कनाडा की कोई जिम्मेदारी नहीं है क्योंकि 1974 की तकनीक पूरी तरह से पुरानी है.

इसके बाद कनाडा भी भारतीय परमाणु परीक्षणों की निंदा करने में अन्य पश्चिमी देशों में शामिल हो गया.

उस वक्त के तत्कालीन कनाडाई प्रधान मंत्री क्रेटियेन ने कहा था कि...

"भारत के परीक्षण भारतीय उपमहाद्वीप पर परमाणु हथियारों की होड़ शुरू कर सकते हैं और अन्य देशों को परमाणु हथियार विकसित करने और परीक्षण करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं."

इसके बाद कनाडा ने अपने राजदूत को वापस बुला लिया था और सभी गैर-मानवीय सहायता को रद्द करने में दूसरों के साथ शामिल हो गया.

वह भारत को सभी सैन्य सहयोग और सैन्य बिक्री रोकने में अमेरिका के साथ शामिल हो गया. प्रधानमंत्री क्रेटियन ने जी-8 शिखर सम्मेलन से पहले ब्रिटेन की अपनी आधिकारिक यात्रा के दौरान ऐलान किया था कि

वह "विरोध के संकेत के रूप में" दोनों सरकारों के बीच सभी मंत्रीस्तरीय और आधिकारिक स्तर के संपर्कों को तुरंत रद्द कर रहे हैं.
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हाल के दिनों में भारत-कनाडा के कैसे रहे हैं संबंध?

कनाडा में भारत के पंजाब के सिखों की आबादी सबसे ज्यादा है. पिछले दिनों कनाडा में कई भारत विरोधी प्रदर्शन हुए. हाल के कुछ महीनों में भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध बेहद तनावपूर्ण हो गए. इस बीच कुछ ऐसी घटनाएं हुई, जिनसे दोनों देशों के रिश्तों पर बुरा असर हुआ है.

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  • पिछले साल, कनाडा में कुछ हिंदू मंदिरों को क्षतिग्रस्त किया गया था. भारत ने इस मुद्दे को उठाया और खालिस्तानी समूहों पर इसका आरोप लगाया.

  • जून 2023 में कनाडा के ब्रैम्पटन में एक परेड का आयोजन किया गया था. इसमें भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को निशाना बनाने वाली मूर्तियां और तख्तियां प्रदर्शित की गईं. इसके बाद भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इसके लिए कनाडा पर हमला बोला था.

  • जून में कनाडा ने एक बार फिर भारत पर उसकी घरेलू राजनीति में दखल देने का आरोप लगाया था.

  • फरवरी 2022 में खालिस्तानी समर्थकों की आलोचना करने वाले एक इंडो-कनाडाई रेडियो होस्ट दीपक पुंज पर हमला किया गया था

  • मार्च 2022 में भारत की 25 वर्षीय हरमनदीप कौर की हत्या कर दी गई.

  • अप्रैल 2022 में टोरंटो में 21 साल के भारतीय छात्र कार्तिक वासुदेव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

  • जुलाई 2022 में, रिचमंड हिल में एक विष्णु मंदिर में महात्मा गांधी की मूर्ति को अपवित्र किया गया था.

  • अगस्त 2022 में एक भारतीय रेडियो होस्ट जोती सिंह मान पर तीन लोगों ने बेरहमी से हमला किया था. भारत सरकार ने इस घटना की कड़ी निंदा की.

पिछले दिनों कनाडा में भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाते हुए कई भारत विरोधी पोस्टर लगाए गए थे. ऐसा ही एक पोस्टर कनाडा के एक शहर वैंकूवर (Vancouver) में भारतीय वाणिज्य दूतावास के बाहर लगाया गया था.

ये पोस्टर कथित तौर पर खालिस्तानी समूहों द्वारा लगाए गए थे. पोस्टर में कनाडा में भारतीय राजनयिकों के चेहरे पर 'वॉन्टेड' लिखा हुआ था.

इसके बाद 1 सितंबर को कनाडा ने भारत के साथ प्रस्तावित व्यापार संधि पर बातचीत रोक दी. दोनों देश पिछले कुछ सालों से इस व्यापार समझौते पर काम कर रहे थे.

CNBC की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार सिखों के लिए स्वतंत्र राज्य की मांग कर रहे खालिस्तानी समूहों द्वारा आयोजित 'जनमत संग्रह' का लगातार विरोध कर रही है. भारत सरकार ने दावा किया कि कनाडा सरकार ने खालिस्तानियों को खुली छूट दे दी है, जो भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं. ऐसा ही एक जनमत संग्रह तब आयोजित किया गया था, जब जस्टिन ट्रूडो जी20 बैठक के लिए भारत में थे.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर जस्टिन ट्रूडो को भारत के खिलाफ कनाडा में विरोध प्रदर्शन के बारे में कड़ी चिंताओं से अवगत कराया था.
इन सभी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए, भारत ने सितंबर 2022 में एक एडवाइजरी जारी की, जिसमें भारतीय नागरिकों और भारतीय छात्रों को उचित सावधानी बरतने और सतर्क रहने की सलाह दी गई.

भारत और कनाडा के बीच हुए समझौतों का क्या हुआ? नए विवाद से व्यापार संबंधों कितना असर?

भारत और कनाडा के द्विपक्षीय संबंधों में उठा-पटक नजर आने के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. पिछले हफ्ते, नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के बाद, कनाडा ने भारत के लिए एक व्यापार मिशन स्थगित कर दिया, जिस पर अक्टूबर में सहमति बनने वाली थी.

भारत और कनाडा, दोनों देशों ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि वे 2023 के आखिरी तक एक व्यापार समझौते की रूपरेखा पर सहमत हो सकते हैं लेकिन अब समझौते पर बातचीत रुक गई है. दोनों देशों ने कहा कि उन्होंने 2023 की शुरुआत में यह व्यक्त करने के बाद व्यापार वार्ता रोक दी क्योंकि उनका टार्गेट इस साल एक प्रारंभिक व्यापार समझौते पर मुहर लगाना है.

Business Today की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल कहा कि

"खालिस्तान समर्थक गतिविधियों में बढ़ोतरी और जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली कनाडाई सरकार की खालिस्तानी कार्यकर्ताओं के प्रति सहानुभूति की वजह से भारत और कनाडा के बीच व्यापार वार्ता रोक दी गई है."
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  • रिपोर्ट के मुताबिक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वाणिज्यिक संबंध 100 अरब डॉलर के हैं, जिसमें 70 अरब डॉलर का कनाडाई पोर्टफोलियो निवेश शामिल है.

  • भारत कनाडा का दसवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और एक व्यापार सौदे की योजना एक दशक से ज्यादा समय से ठंडे बस्ते में है.

  • Statistics Canada के मुताबिक 2022 में, दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार कनाडाई व्यापार के कुल 1.52 ट्रिलियन कनाडियन डॉलर में से 13.7 बिलियन डॉलर था.

भारत और कनाडा के बीच व्यापार

PTI की रिपोर्ट के मुताबिक भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार में हाल के वर्षों में अहम बढ़ोतरी देखी गई है, जो 2022-23 में 8.16 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है.

कनाडा को भारत के निर्यात (4.1 बिलियन डॉलर) में फार्मास्यूटिकल्स, रत्न और आभूषण, कपड़ा और मशीनरी शामिल हैं. दूसरी ओर कनाडा के द्वारा भारत को किए गए निर्यात (4.06 बिलियन डॉलर) में दालें, लकड़ी, लुगदी और कागज और खनन उत्पाद शामिल हैं.

वित्तीय वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में कनाडा को भारत की तरफ से किया गया निर्यात लगभग 911 मिलियन डॉलर का था, जबकि कनाडा से आयात 990 मिलियन डॉलर का था.

World Bank के आंकड़ों के मुताबिक भारत को वित्त वर्ष 2022 में कनाडा में रहने वाले भारतीय नागरिगों द्वारा लगभग 859.83 मिलियन डॉलर प्राप्त हुआ.

रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा और भारत के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (Comprehensive Economic Partnership Agreement-CEPA) में द्विपक्षीय व्यापार को 6.5 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने की क्षमता है, जिससे 2035 तक कनाडा के GDP में 3.8 बिलियन डॉलर से 5.9 बिलियन डॉलर की अनुमानित बढ़ोतरी होगी.

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कनाडा ने भारत में क्या निवेश किया है?

कनाडा के बारे में इन्वेस्ट इंडिया पेज से पता चलता है कि अप्रैल 2000 से मार्च 2023 तक लगभग 3,306 मिलियन डॉलर के कुल निवेश के साथ कनाडा, भारत में 17वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है. भारत में कनाडा का निवेश कुल FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) का लगभग 0.5 प्रतिशत है.

दूसरी ओर, भारत 2022 में कनाडा का नौवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था. कनाडा से भारत में कुल FDI निवेश में सेवाओं और बुनियादी ढांचे का योगदान 40.63 प्रतिशत था.

भारत में 600 से ज्यादा कनाडा की कंपनियां हैं और Bombardier और SNC Lavalin सहित 1,000 से ज्यादा कंपनियां सक्रिय रूप से भारतीय बाजार में कारोबार कर रही हैं.

भारत में कनाडा के पेंशन फंड

कैनेडियन पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड (CPPIB) ने भारत में कई निवेश किए हैं. हालिया फाइलिंग से पता चलता है कि ये निवेश कुल मिलाकर 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हैं.

CPPIB ने IT की दिग्गज Wipro और Infosys, टॉप बैंकों- ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और Paytm, जोमैटो, Nykaa, Delhivery जैसी नए जमाने की कंपनियों में फंड निवेश किया है.

PTI की रिपोर्ट के मुताबिक विशेषज्ञों का कहना है कि भारत और कनाडा के बीच ताजा तनाव से दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश पर असर पड़ने की संभावना नहीं है क्योंकि आर्थिक संबंध व्यावसायिक विचारों से प्रेरित होते हैं.

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने PTI से बात करते हुए कहा है कि कनाडा के पेंशन फंड भारत के बड़े बाजार में निवेश किए गए हैं और अच्छे रिटर्न के आधार पर भारत में निवेश जारी रखेंगे.

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