भारत और चीन सीमा (Indian china border clash) पर दोनों दोनों सेनाओं के बीच झड़प के बाद एलएसी पर एक बार फिर तनाव बढ़ गया. जिसके बाद संसद के दोनों सदनों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बयान दिया है और चीन की तरफ से भी बयान आया है. दोनों ही देशों के सैनिक घायल बताए जा रहे हैं. हालांकि सीमा पर अब स्थिति और हालात स्थिर बताये जा रहे हैं. 10 प्वाइंट में समझते हैं कि इस पूरे विवाद में अब तक क्या हुआ है.
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य पी चिदंबरम ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात की और इस बयान को पूरी तरह से नीरस और खोखला बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन का नाम लेने से भी डरते हैं और सरकार को संसद में चर्चा की अनुमति देनी चाहिए थी. पीएम ने यह नहीं बताया कि जब वे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिले तो क्या हुआ. वह कई बार मिस्टर शी से मिल चुके हैं. क्या उन्होंने शी को घुसपैठ के बारे में कुछ बताया या नहीं?
राजनाथ सिंह ने भी कोई अलग जानकारी नहीं दी, जो उन्होंने बोला वो हमें पता था.
मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि, ऐसा कैसे हो सकता है कि चीन ने घुसपैठ की तारीख, समय और जगह अपने हिसाब से चुन ली. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. तो, चीन को समय-समय पर ऐसी घुसपैठ करने से रोकने के लिए आप क्या कर रहे हैं?
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्या कहा? राजनाथ सिंह ने संसद में कहा कि, 09 दिसंबर 202 को PLA सैनिकों ने अरुणाचल के तवांग सेक्टर के यांग्त्से में एलएसी पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास किया. चीन के इस प्रयास का हमारी सेना ने दृढ़ता के साथ सामना किया. इस दौरान दोनों पक्ष आमने सामने आ गए, हाथापाई भी हुई. इस झड़प में दोनों ओर के कुछ सैनिकों को चोटें आईं. लेकिन मैं सदन को बताना चाहता हूं कि झड़प में हमारे किसी भी सैनिक की मृत्यु नहीं हुई और न ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ.
उन्होंने सदन में आगे कहा कि,
मैं इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारी सेनाएं हमारी भौमिक अखंडता को सुरक्षित रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं, और इसके खिलाफ किसी भी प्रयास को रोकने के लिए सदैव तत्पर हैं. मुझे विश्वास है कि यह सदन हमारी सेनाओं की वीरता और साहस को एक स्वर से समर्थन देगा.
चीन ने क्या कहा? समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक, चीन ने कहा है कि भारत से लगी सरहद पर हालात स्थिर हैं. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने वांग वेनबिन ने कहा कि भारत से सैन्य और राजनयिक स्तर पर बात चल रही है.
भारत में विपक्ष ने क्या कहा? विपक्ष संसद में चीन के मुद्दे पर चर्चा चाहता था, जिसके इनकार के बाद संसद में हंगामा हुआ और विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि, हम लगातार चीन के मुद्दे को सदन में उठाते रहे हैं. आज भी हम चर्चा करना चाहते थे लेकिन रक्षा मंत्री ने जवाब दिया और चले गए. जब सदन में हमने सवाल पूछना चाहा तो हमारी बात नहीं सुनी गई, इसलिए हमने वॉकआउट कर दिया. हम अपनी सेना के साथ खड़े हैं.
AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि, ये सब इनकी नाकामी है. आप हम सभी को उस जगह पर लेकर जाइए. देश के प्रधानमंत्री चीन का नाम लेने से डरते हैं. व्यापार असंतुलन के बाद भी हमारी सेना मार खा रही है, चीन हमारी जमीन में घुसता है.
गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर कार्यवाही बाधित करने का आरोप लगाया क्योंकि राजीव गांधी फाउंडेशन पर एक प्रश्न आज के लिए सूचीबद्ध था.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सैन्य और राजनयिक नेतृत्व से मुलाकात की. उन्होंने संसद में केंद्र की प्रतिक्रिया पर चर्चा करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ मंत्रियों के साथ भी मुलाकात की.
पहले गलवान में हुई थी झड़प
2020 में लद्दाख की गालवान घाटी में एक भयंकर झड़प के बाद भारत और चीन के बीच संबंध बिगड़ गए थे, जिसमें 20 भारतीय सैनिक मारे गए. चीन ने स्वीकार किया था कि पांच चीनी सैन्य अधिकारी और सैनिक मारे गए थे, लेकिन ये रूप से माना जाता है कि मरने वालों की संख्या अधिक थी.
अरुणाचल में भारत-चीन विवाद क्या है? बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि, चीन ने साल 1962 में भारत के साथ युद्ध में अरुणाचल प्रदेश के आधे से भी ज़्यादा हिस्से पर क़ब्ज़ा कर लिया था. इसके बाद चीन ने एकतरफ़ा युद्ध विराम घोषित किया और उसकी सेना मैकमोहन रेखा के पीछे लौट गई. सामरिक मामलों के जानकार हमेशा इस उधेड़बुन में रहे हैं कि जब चीन अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है तो 1962 की लड़ाई के दौरान वो क्यों पीछे हट गया था. चीन अरुणाचल प्रदेश को 'दक्षिणी तिब्बत का इलाक़ा' बताता आया है और तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा से लेकर भारतीय प्रधानमंत्री के अरुणाचल दौरे पर चीन आपत्ति जताता रहा है. चीन ने 2009 में पीएम मनमोहन सिंह और 2014 में पीएम मोदी के दौरे पर आपत्ति जताई थी.
अरुणाचल के सीएम ने क्या कहा? अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू ने कहा कि, 'यांगत्से मेरे विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है और हर साल मैं क्षेत्र के जवानों और ग्रामीणों से मिलता हूं.' उन्होंने कहा कि अब 1962 जैसी स्थिति नहीं है. अगर कोई अतिक्रमण करने की कोशिश करता है, तो हमारे बहादुर सैनिक मुंहतोड़ जवाब देंगे. साथ ही उन्होंने कड़े शब्दों में कहा, 'ईंट का जवाब पत्थर से नहीं, ईंट का जवाब लोहा से दे रही है हमारी वीर भारतीय सेना.
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