भारत ने 14 अगस्त को चीन के सबसे बड़े मिलिट्री संगठन सेंट्रल मिलिट्री कमीशन से संपर्क किया. ये कदम 100 दिनों से भी ज्यादा समय से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए उठाया गया है. भारत का कहना है कि वो डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया को जल्द से जल्द सुलझाना चाहता है और इसके लिए दोनों देशों के 'मंजूर किए गए एक्शन' की जरूरत पड़ेगी.
चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी ने सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) के इंटरनेशनल मिलिट्री कोऑपरेशन ऑफिस के डायरेक्टर मेजर जनरल सी गोवेई से मुलाकात की. भारतीय दूतावास ने ट्विटर पर बताया, "राजदूत ने मेजर जनरल गोवेई को पूर्वी लद्दाख में सीमा पर स्थिति को लेकर भारत के नजरिए से अवगत कराया."
विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, "दोनों देश डिसएंगेजमेंट के सिद्धांतों पर मंजूर हो गए हैं और इनके आधार पर कुछ प्रोग्रेस पहले हुई है."
मैं ये कहना चाहूंगा कि इन सिद्धांतों को जमीनी स्तर पर लागू करना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें दोनों देश अपनी फोर्स को LAC पर अपनी-अपनी तरफ रेगुलर पोस्ट्स पर दोबारा तैनात करते हैं. ये सामान्य है कि ऐसा दोनों पक्षों के मंजूर किए गए कदमों के जरिए हो जाए. हम चाहेंगे कि डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया जल्दी से जल्दी खत्म हो जाए.अनुराग श्रीवास्तव, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं चीन हमारे साथ डिसएंगेजमेंट और डिएस्केलेशन के लिए और सीमा के पास वाले इलाकों में शांति स्थापित करने के लिए गंभीरता से काम करेगा.
मेजर जनरल सी गोवेई से मिलने से दो दिन पहले भारत के राजदूत ने एक अहम वार्ताकार और CPC सेंट्रल कमेटी फॉरेन अफेयर्स कमीशन ऑफिस के डिप्टी डायरेक्टर लिउ जिआंचाओ से भी मुलाकात की थी.
सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) की अध्यक्षता चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग छह और सदस्यों के साथ करते हैं. चीन की सेना की कमांड और कंट्रोल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CPC) की सेंट्रल कमेटी के CMC के पास ही है.
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