NASA के बाद एलन मस्क की SpaceX के फ्लाइट सर्जन बने भारतीय मूल के अनिल मेनन (Anil Menon) उन 10 प्रशिक्षु अंतरिक्ष यात्रियों में शामिल हैं, जो अमेरिकी स्पेस एजेंसी के 2021 क्लास में शामिल होंगे और उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी. NASA 50 से अधिक वर्षों के बाद चंद्रमा पर पहले मानव मिशन की योजना बना रहा है.
अनिल मेनन समेत NASA के द्वारा ट्रेनिंग के लिए चुने गए 10 संभावित अंतरिक्ष यात्रियों में फायर फाइटर से हार्वर्ड प्रोफेसर बने, अमेरिकी साइकिल टीम के एक पूर्व सदस्य और एक पायलट भी शामिल हैं जिन्होंने युद्ध में पहली बार सभी महिला F-22 फॉर्मेशन का नेतृत्व किया था.
इन सभी को 12,000 से अधिक आवेदकों में से चुना गया है और अब वे जनवरी में टेक्सास के जॉनसन स्पेस सेंटर में ड्यूटी के लिए रिपोर्ट करेंगे. यहां वे दो साल के ट्रेनिंग से गुजरेंगे.
कौन हैं अनिल मेनन?
भारतीय और यूक्रेनी माता-पिता के घर जन्मे और अमेरिका के मिनिसोटा में पले-बढ़े अनिल मेनन अमेरिकी वायु सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं और SpaceX के पहले फ्लाइट सर्जन थे.
अनिल मेनन ने 1999 में कैम्ब्रिज में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से न्यूरोबायोलॉजी में ग्रैजुएशन किया और 2004 में कैलिफोर्निया के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की. अनिल मेनन के पास स्टैनफोर्ड मेडिकल स्कूल से मेडिसिन के डॉक्टर की भी डिग्री है.
उन्होंने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर विभिन्न अभियानों के लिए चालक दल के फ्लाइट सर्जन के रूप में NASA के साथ काम किया है. अनिल मेनन ने 2014 में NASA फ्लाइट सर्जन के रूप में शुरुआत की और Soyuz मिशन- Soyuz 39 और Soyuz 43 के लिए डिप्टी क्रू सर्जन और Soyuz 52 के लिए प्राइम क्रू सर्जन के रूप में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर चार लंबी अवधि के लिए मौजूद रहें.
जब SpaceX से जुड़े अनिल मेनन
2018 में 45 वर्षीय अनिल मेनन SpaceX में शामिल हो गए जहां उन्होंने अपना मेडिकल प्रोग्राम शुरू किया और एलन मस्क के स्वामित्व वाली इस कंपनी की पहली मानव उड़ानों की तैयारी में मदद की.
उन्होंने पांच लांच के लिए प्रमुख फ्लाइट सर्जन के रूप में काम किया और उनके रिसर्च प्रोग्राम, निजी अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रमों को शुरू करने में मदद की और Starship के विकास पर काम किया.
हार्वर्ड में अनिल मेनन ने न्यूरोबायोलॉजी का अध्ययन किया और हंटिंगटन की बीमारी पर रिसर्च किया. बाद में उन्होंने पोलियो वैक्सीन का अध्ययन और उसका समर्थन करने के लिए रोटरी एंबेसडर स्कॉलर के रूप में भारत में एक वर्ष बिताया.
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