ADVERTISEMENTREMOVE AD

बैटरी बचानी है,बात नहीं कर सकती, यूक्रेन में फंसे भारतीय-मेट्रों में गुजरी रात

कहीं बम न गिर जाए, इसलिए हॉस्टल के बेसमेंट में छुपे हैं.  

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा

रूस के हमले के बाद यूक्रेन (Russia Ukraine crisis) में दहशत का माहौल है. आसमान से बम बरस रहे हैं. जमीन पर सेना हथियारों से लदी गाड़ियां लेकर घूम रही है. बाहर निकलना सुरक्षित नहीं. मेट्रो स्टेशन काफी गहराई में बने हैं, इसलिए जान बचाने के लिए लोग घर छोड़कर वहीं जाकर छुप रहे हैं. कई तस्वीरें सामने आ रही हैं, जिसमें पिता अपनी बेटी को फाइनल गुडबाय कह रहा है. भारत में भी कई परिवार परेशान हैं. उनके बच्चे युद्ध के बीच यूक्रेन में फंसे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

'सॉरी, मैं बात नहीं कर सकती-मुझे फोन की बैटरी बचानी है'

ये कहानी कानपुर में रहने वाली जेन्सी की है. यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं. सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन एक सुबह पता चला कि रूस ने हमला कर दिया है. तब से परेशान हैं. उन्हें उम्मीद भी नहीं थी कि ऐसा कुछ होगा.

क्विंट की टीम ने जेन्सी से संपर्क किया. कॉल पिक करने के लिए मैसेज किया. तब जेन्सी ने रिप्लाई किया कि सॉरी अभी बात नहीं कर सकती हूं. मेरा फोन ऑफ न हो जाए. इसलिए मुझे फोन की बैटरी बचानी है. फोन बंद होने पर मेरी परेशानी बढ़ सकती है.

जेन्सी यूक्रेन में मेट्रो स्टेशन के बेसमेंट में रह रही हैं. उन्होंने परिवार के लोगों को बताया कि यहां की स्थिति बहुत खराब है. लोग मेट्रो स्टेशन और ट्रेन में रहने को मजबूर हैं. यहां भारतीय बहुत समस्या में फंसे हुए हैं. हम लोग बहुत चिंतित है कि आगे क्या होने वाला है. यहां पर खाने पीने का समान है. हम भारतीय दूतावास से आग्रह करते है हम सभी भारतीयों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाए.

कहीं बम न गिर जाए, इसलिए हॉस्टल के बेसमेंट में छुपे हैं

कानपुर के सूटर गंज में रहने वाले विनोद यादव के दो बच्चे यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने बताया, अक्षरा और आरव नेशनल खारकीव मेडिकल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल नंबर 5 में हैं. जान बचाने के लिए हॉस्टल के बेसमेंट में छुपे हैं. शाम 8:00 बजे तक बच्चों से बात हुई. दोनों सुरक्षित हैं. उन लोगों को अंदर ही रोक दिया गया है बाहर निकलना मना है.

दोपहर में खाना मिला था लेकिन शाम का खाने का अभी तक कुछ पता नहीं है. अपने पास जो नाश्ता ले गए थे. उसी से काम चल रहा है. अभी तक इंडियन गवर्नमेंट और लोकल प्रशासन की तरफ से किसी ने संपर्क नहीं किया गया.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

'लोग कह रहे थे कि युद्ध नहीं होगा, लेकिन हम गलत साबित हुए'

औरैया में रहने वाले दो छात्र वापस लौट आए हैं. बिधूना में रहने वाले सुनील सेंगर की बेटी अंशिका और बेटा अभिषेक यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. दोनों भाई-बहन एक ही फ्लाइट से 20 फरवरी को दिल्ली पहुंचे थे और देर रात अपने गांव वापस आ गए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अंशिका ने बताया, वह यूक्रेन के जिस ओडैसा शहर में रह रही थी, उसी शहर पर रूस ने सुबह पांच बजे हमला किया. लोग कह रहे थे युद्ध नहीं होगा. पर हमने एंबेसी की एडवाइजरी आने से पहले ही फ्लाइट बुक करा ली थी. लवीव शहर पोलैंड की सीमा से लगा हुआ है. जो सुरक्षित इलाका है. फिर भी वह भाई को लेकर आई है.

इनपुट- विवेक मिश्रा

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×