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ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी कौन थे? निधन से देश की राजनीति पर क्या असर होगा?

राजनीतिक विचारों से अति कट्टरपंथी माने जाने वाले रईसी जून 2021 में ईरान के राष्ट्रपति चुने गए थे.

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ईरान (Iran) के सरकारी टीवी चैनल के मुताबिक राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी (Ebrahim Raisi) और विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन की रविवार, 19 मई को हेलीकॉप्टर क्रैश (Helicopter Crash) मोत हो गई है. 20 मई को मौत की पुष्टि की गई है. मध्य पूर्व में चल रही जंगे के बीच ये एक बड़ी घटना है. चलिए आपको बताते हैं कौन थे इब्राहिम रईसी?

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पहले ही बता दें कि ईरान में राष्ट्रपति का सर्वोच्च पद नहीं होता, इस क्रम में रईसी दूसरे नंबर पर थे. उच्च पद पर शिया धर्म गुरु अयातोल्लाह अली खामेनेई है, यही ईरान के सर्वोच्च नेता या सुप्रीम लीडर हैं.

63 वर्षीय रईसी का जन्म 1960 में एक मौलवी के घर हुआ था. उनके शहर का नाम मशहद है, जो ईरान के उत्तर में है. हालांकि रईसी के पिता की तब मौत हो गई थी, जब रईसी पांच साल के थे.

बेहद कम उम्र में ही रईसी को बड़े पद मिले. 20 साल की उम्र में उन्हें तेहरान के पास कराज का प्रॉसिक्यूटर जनरल (सरकार तको सलाह देने वाला वकील) नियुक्त कर दिया गया था. साल 1989 से 1994 के बीच रईसी तेहरान के प्रॉसिक्यूटर जनरल बने और फिर 2004 से अगले एक दशक तक न्यायिक प्राधिकरण के डिप्टी चीफ रहे यानी ईरान की सुप्रीम कोर्ट में दूसरे नंबर के व्यक्ति.

राजनीतिक विचारों से अति कट्टरपंथी माने जाने वाले रईसी जून 2021 में उदारवादी हसन रूहानी की जगह इस्लामिक रिपब्लिक ईरान के राष्ट्रपति चुने गए. उस समय ईरान में सामाजिक हालात ठीक नहीं थे और ईरान परमाणु कार्यक्रम की वजह से अमेरिकी सैंक्शन से जूझ रहा था जिसका असर ईरान की अर्थव्यवस्था पर पड़ा.

रईसी की मौत से क्या बदल जाएगा?

रायसी की मौत इस्लामिक गणराज्य ईरान के लिए एक झटका है, वहीं रईसी सर्वोच्च नेता खामेनेई के लंबे समय तक वफादार रहे, शासन के अंदरूनी सूत्र रहे और एक संभावित उत्तराधिकारी भी थे.

ईरान के संविधान के तहत, राष्ट्रपति की मौत के बाद उपराष्ट्रपति अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में काम करता है. यानी मोहम्मद मोखबर अंतरिम राष्ट्रपति होंगे. मोखबर रईसी की तरह ही एक राजनेता हैं और मॉस्को के साथ हथियारों के सौदे पर बातचीत करने वाली ईरान टीम के एक प्रमुख सदस्य भी हैं.

ईरान को अब 50 दिनों में राष्ट्रपति चुनाव कराने होंगे. यह देखना बाकी है कि उस स्थिति में, सर्वोच्च नेता भविष्य के राष्ट्रपति और संभावित उत्तराधिकारी के रूप में किसे मंजूरी देंगे?

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