जापान (Japan) में सत्ताधारी पार्टी- लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (Liberal Democratic party) अपने नए लीडर का 29 सितंबर को चुनाव करेगी. संसद में LDP के प्रचंड बहुमत के कारण विजेता का अगला प्रधानमंत्री बनना भी तय है. लेकिन चुनाव के 2 दिन पहले भी कोई एक स्पष्ट विनर नहीं दिख रहा है.
प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने 3 अगस्त को घोषणा कर कहा कि वो पद छोड़ रहे हैं. इसके बाद सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 29 सितंबर को तय किया गया.
आधिकारिक रूप से पार्टी इलेक्शन कैंपेन की शुरुआत के कुछ दिनों बाद ही देश के लोकप्रिय वैक्सीन मंत्री तारो कोनो और अक्सर शांत दिखने वाले पूर्व विदेश मंत्री फुमियो किशिदा रेस में फ्रंट रनर के रूप में सामने आये.
हालांकि पीएम पद की रेस में दो महिला उम्मीदवारों- सेको नोडा और साने ताकाइचि - को शामिल करने से जापान की राजनीति में खराब महिला प्रतिनिधित्व के बारे में चर्चा हो रही है. लेकिन जापान के पॉलिटिकल पंडितों की मानें तो दोनों महिला उमीदवारों के पास देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने के लिए पर्याप्त समर्थन नहीं है और उनकी उम्मीदवारी ‘महिला प्रतिनिधित्व’ मात्र खानापूर्ति ज्यादा है.
आइए डालते हैं एक नजर जापान के संभावित अगले पीएम पद के उम्मीदवारों पर...
तारो कोनो
58 वर्षीय तारो कोनो जापान के पूर्व विदेश और रक्षा मंत्री हैं. वर्तमान में तारो कोनो कोविड-19 वैक्सीन के प्रभारी मंत्री हैं. जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय से स्टडी पूरी करने वाले और धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलने में सक्षम तारो कोनो की युवा मतदाताओं पर पकड़ है.
कोनो ने हाल ही में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने और महिलाओं को शादी के बाद अपने पहले नाम को बनाए रखने की अनुमति देने का समर्थन किया है.
लेकिन उनकी सबसे बड़ी पहचान उनके वैक्सीन मंत्री के रूप में कार्य से बनी है. शुरआती धीमी रफ्तार के बावजूद जापान के नागरिकों को किसी भी अन्य प्रमुख औद्योगिक देश की तुलना में तेजी से कोविड-19 वैक्सीन लग रहे हैं. इसके पीछे कोविड-19 वैक्सीन के प्रभारी मंत्री तारो कोनो की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जा रही है.
फुमियो किशिदा
सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षता जीतने के लिए दूसरी बार प्रयास करते पूर्व विदेश मंत्री फुमियो किशिदा को एक नरम-उदारवादी राजनेता के रूप में जाना जाता है. किशिदा को पार्टी के भीतर अपने भविष्य के नेता के रूप में लंबे समय से देखा जा रहा है. यही कारण है कि उनकी दावेदारी अगले पीएम के रूप में मजबूत मानी जा रही है.
64 वर्षीय फुमियो किशिदा एलडीपी के नीति प्रमुख के रूप में कार्य कर चुके हैं. वह एक उदारवादी-झुकाव वाले गुट का नेतृत्व करते हैं, जिसमें चार पूर्व जापानी प्रधानमंत्री थे. वह 2020 की पार्टी नेतृत्व की रेस में योशीहिदे सुगा से हार गए थे, लेकिन अब इस पद के लिए संभावित विजेता के रूप में उन्हें देखा जा रहा है.
साने तकाइची
60 वर्षीय साने तकाइची पहली बार 1993 में संसद के लिए चुनी गई थीं और उनकी रोल मॉडल मार्गरेट थैचर हैं. उन्होंने जापान के आंतरिक मामलों और लैंगिक समानता के मंत्रियों सहित प्रमुख पार्टी और सरकारी पदों पर कार्य किया है.
हेवी मेटल बैंड में एक ड्रमर और स्टूडेंट जीवन में एक मोटरबाइक राइडर रह चुकीं तकाइची कंजर्वेटिव नेता के रूप में जानी जाती हैं. वो शाही परिवार के एकमात्र पुरुष उत्तराधिकार का समर्थन करती हैं और समलैंगिक विवाह और 19 वीं शताब्दी के नागरिक कानून में संशोधन का विरोध करती हैं, जिससे महिलाओं अपने सरनेम को बनाये रख सकतीं हैं.
सेको नोडा
61 वर्षीय सेको नोडा समलैंगिक विवाह का समर्थन करती हैं और उन्होंने महिला सांसदों की संख्या बढ़ाने के लिए कोटा सिस्टम के लिए कैंपेन चलाया है. उन्होंने वादा किया है कि अगर वह जीतती हैं तो अपने कैबिनेट में आधी महिलाओं को नियुक्त करेंगी.
पीएम पद की रेस में तारो कोनो सबसे आगे
क्योदो न्यूज एजेंसी के एक वीकेंड सर्वे से पता चला है कि 48.6% जमीनी स्तर के एलडीपी सदस्यों ने पार्टी लीडर के रूप में तारो कोनो का समर्थन किया, इसके बाद 18.5% ने किशिदा का, 15.7% ने ताकाची और नोडा के लिए 3.3% का समर्थन मिला है.
गौरतलब है कि जापान की संसद में महिलाओं की संख्या केवल 10 प्रतिशत है, और विश्लेषकों का कहना है कि कई नेता लैंगिक समानता पर कदम उठाने के बजाय पार्टी की वफादारी दिखाकर आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं.
2021 में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के 156 देशों के जेंडर गैप रैंकिंग सर्वे में जापान 120वें स्थान पर रहा और सात उन्नत देशों के समूह में सबसे नीचे.
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