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'प्लीज मेरे भाई को वापस लाओ': इटली में नौकरी का वादा लेकिन लीबिया में फंस गए 5 भारतीय

"भैया दुबई में थे जब वहां के एक स्थानीय एजेंट ने बताया कि उन्हें पहले लीबिया में त्रिपोली ले जाया जाएगा और फिर इटली ले जाया जाएगा."

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"मेरा भाई फरवरी से लीबिया (Libya) में फंसा हुआ है. हमारा उनसे पूरी तरह से संपर्क टूट गया है और पिछले 15 दिनों से ज्यादा का समय हो गया है तब से उनसे कोई बात नहीं हुई है. मेरी मां बहुत परेशान है."

यह बात 25 वर्षीय हरपाल सिंह ने 26 अक्टूबर को द क्विंट से कही.

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हरपाल सिंह के भाई, हरि सिंह, हरियाणा के उन पांच लोगों में शामिल हैं, जिन्हें धूर्त ट्रैवल एजेंटों ने इटली में अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब वे लगभग नौ महीने से संघर्षग्रस्त लीबिया में फंसे हुए हैं.

ये पांच लोग हैं:

  • गुरप्रीत सिंह, 31 वर्ष

  • हरि सिंह, 29 वर्ष

  • विकास, 27 वर्ष

  • कुणाल राणा, 21 वर्ष

  • अनुज कुमार, 20 वर्ष

ये सभी हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं. ये सभी इस साल फरवरी में दिल्ली से दुबई गए थे.

हरपाल ने दावा किया कि, "भैया दुबई में थे जब वहां के एक स्थानीय एजेंट ने बताया कि उन्हें पहले लीबिया में त्रिपोली ले जाया जाएगा और फिर इटली ले जाया जाएगा."

हरपाल ने आरोप लगाया कि एक बार जब उनके भाई त्रिपोली में उतरे, तो उन्हें एक हफ्ते के लिए एक गेस्ट हाउस में रखा गया, कुछ दिन बाद ट्रैवल एजेंट भी गायब हो गए.

अपने भाई को भारत वापस लाने के लिए हरपाल ने राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी से संपर्क किया, जिन्होंने उन्हें भारत में तुरंत लाने के लिए विदेश मंत्रालय (एमईए) को एक पत्र भेजा है.

लेकिन ये लोग लीबिया में फंसे कैसे?

हरियाणा के अंबाला जिले के बरारा शहर के निवासी 29 वर्षीय हरि एक पशुचिकित्सक हैं और देश छोड़ने से पहले एक स्थानीय प्राइवेट क्लिनिक में काम करते थे.

हरपाल ने द क्विंट से कहा कि, "हमारे पड़ोसी के रिश्तेदार, गुरजंत सिंह, एक ट्रैवल एजेंट है. वह हरि भैया के पास यह कहकर पहुंचा कि वह उसे इटली में पशु चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी दिलवा देगा. बेहतर संभावनाओं और जीवन स्तर की उम्मीद में भैया इसके लिए सहमत हो गए.

उन्होंने बताया कि हरि ने इस साल फरवरी में दिल्ली से दुबई के लिए उड़ान भरी थी और वह चार में से दो लोगों से दुबई में और अन्य दो से त्रिपोली में मिले थे. हालांकि ये लोग फरवरी में अलग-अलग समय पर उड़ान भर चुके थे, फिर भी वे त्रिपोली के गेस्ट हाउस में एकत्र हुए.

वहीं स्थानीय एजेंटों ने कथित तौर पर पांचों भारतीयों को वहीं छोड़ दिया, इसके बाद उन्हें गेस्ट हाउस भी खाली करने के लिए कहा गया था. चूंकि भारत का लीबिया में कोई राजनयिक मिशन नहीं है, इसलिए उन्हें नहीं पता था कि कहां जाना है.

हरपाल ने कहा कि, "फिर, उन पांचों ने बेंगाजी जाने का फैसला किया, जो मिस्र के साथ लीबिया की सीमा के करीब है. वे लोग मिस्र जा कर वहां भारतीय दूतावास से संपर्क करना चाह रहे थे. लेकिन उन्हें वहीं अधिकारियों ने रोक दिया."

जब उन्हें कुछ समझ नहीं आया तो उन लोगों ने फिर त्रिपोली जाने का फैसला किया.

लेकिन कथित तौर पर स्थानीय माफिया ने उन्हें रोक लिया और उन्हें लूट लिया. इसमें उन्होंने पांचों के फोन और पासपोर्ट भी ले लिए.

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उन्हें वापस लाने के लिए लीबिया के स्थानीय नागरिक को 25 लाख रुपये दिए, तब से कोई संपर्क नहीं

असहाय होकर, उन लोगों ने लीबिया के एक स्थानीय नागरिक - खालिद - से मदद मांगी, जिसने कथित तौर पर 25 लाख रुपये की लागत पर पांचों को ट्यूनीशिया में भारतीय दूतावास तक ले जाने का वादा किया.

हरपाल ने आरोप लगाया कि, पांचों के परिवारों ने सामूहिक रूप से पैसे की व्यवस्था की और अगस्त में खालिद को पैसा भेजा. लेकिन उसने हमें लगातार लटकाए रखा."

उन्होंने कहा कि पिछले 15 दिनों से, पांचों में से किसी ने भी अपने परिवार से संपर्क नहीं किया है, जबकि खालिद का नंबर भी बंद आ रहा है.

अपने भाई को लेकर परेशान हरपाल राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी के पास पहुंचे, जिन्होंने 20 अक्टूबर को विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि उन लोगों को तुरंत बचाया जाए और वापस लाया जाए.

विदेश मंत्रालय को लिखे गए एक लेटर की कॉपी द क्विंट के पास है, इसमें कहा गया है कि:

"मैं आपसे विनम्र अनुरोध करता हूं कि इस मुद्दे को तुरंत लीबियाई अधिकारियों के समक्ष उठाएं और इन युवाओं को बचाएं और उन्हें भारत वापस लाएं ताकि वे अपने संबंधित परिवारों के साथ फिर से मिल सकें."
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हरपाल ने कहा कि वह उन 17 भारतीय लोगों में से एक के संपर्क में आया, जो महीनों तक वहां फंसे रहने के बाद अगस्त में भारत लौटा था.

द क्विंट ने पहले भी हरियाणा और पंजाब के 17 लोगों के बारे में रिपोर्ट की थी, जिन्हें इटली में नौकरी दिलाने के बहाने बेईमान ट्रैवल एजेंटों ने कथित तौर पर धोखा दिया था. उन्हें भी पहले दुबई ले जाया गया, उसके बाद मिस्र में कुछ देर के लिए रोका गया, और फिर लीबिया ले जाया गया, जहां कथित तौर पर स्थानीय माफिया द्वारा उनका अपहरण कर लिया गया और उन्हें प्रताड़ित किया गया.

हरियाणा के महर्षि मार्कंडेश्वर विश्वविद्यालय (एमएमयू) में कंप्यूटर एप्लीकेशन के छात्र हरपाल कहा कि परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई है, लेकिन गुरजंत सिंह कथित तौर पर यूनाइटेड किंगडम (यूके) भाग गया है.

हरपाल ने गुहार लगाई कि "हम भारत सरकार से हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हैं. हमने वह सब कुछ किया है जो हम कर सकते थे. कृपया मेरे भाई को वापस लाने में मदद करें."

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