मालदीव ने एक बार फिर भारत के प्रति बेहद रूखा रवैया अपनाया है. मालदीव ने भारत को ऐसी किसी कार्रवाई के खिलाफ चेतावनी दी है, जिससे देश में राजनीतिक संकट सुलझाने में दिक्कत की आशंका हो.
भारत की ओर से मालदीव में आपातकाल की मियाद बढ़ाने पर चिंता जताने के बीच मालदीव ने यह बयान दिया है.
क्या बयान दिया मालदीव सरकार ने
मालदीव के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने भारत सरकार की ओर से जारी सार्वजनिक बयानों पर गौर किया है, जिसमें मालदीव के मौजूदा राजनीतिक संकट पर ‘तथ्यों और जमीनी हकीकत की अनदेखी' की गई है. मंत्रालय ने कहा कि भारत का यह कहना तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाना है कि आपातकाल की मियाद में 30 दिनों की बढ़ोतरी असंवैधानिक है.
उसने कहा कि भारत ने अपने बयान में मालदीव के संविधान और कानून की अनदेखी की है.
‘‘इस बात में कोई शक नहीं है कि मालदीव अपने इतिहास के सबसे मुश्किल दौरों में से एक से गुजर रहा है. लिहाजा, यह अहम है कि भारत समेतअंतरराष्ट्रीय समुदाय में मित्र और साझेदार देश ऐसी किसी कार्रवाई से दूर रहें, जिससे देश के सामने मौजूद हालात को सुलझाने में दिक्कत पैदा होती हो.’’विदेश मंत्रालय, मालदीव
बयान में ये भी कहा गया, "मालदीव सरकार भारत सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ करीबी तौर पर मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराती है, ताकि उनकी चिंताएं दूर की जा सकें.''
क्या कहा था भारत ने
मालदीव में आपातकाल की मियाद बढ़ाने पर नाखुशी जाहिर करते हुए भारत ने गुरुवार को कहा था कि वह ऐसा करने के लिए मालदीव की संसद के पास कोई ठोस वजह नहीं देखता और वह मालदीव के हालात पर नजर रख रहा है.
मालदीव में आपातकाल की अवधि 30 दिन बढ़ाने की राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की सिफारिश संसद से स्वीकार कर लिए जाने पर भारत ने ‘गहरी निराशा' जाहिर की थी और इसे ‘चिंता का विषय' करार दिया था.
मंगलवार को मालदीव की संसद ने देश में आपातकाल की समय सीमा 30 दिनों के लिए बढ़ा दी थी, जिससे देश की सत्ता पर राष्ट्रपति यामीन की पकड़ और मजबूत हो गई.
(इनपुट: भाषा)
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