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136 देशों के बीच समझौता, बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर लगेगा 15% ग्लोबल टैक्स

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) ने टैक्स फ्रेमवर्क बैठक में कई टैक्स सुधारों को मंजूर किया गया.

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करारोपण (Taxation) के क्षेत्र में दुनिया ने 9 अक्टूबर को एक इतिहास रचा है. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के तहत एक टैक्स फ्रेमवर्क मीटिंग में कई टैक्स सुधारों को मंजूर किया गया.

मीटिंग में मल्टीनेशनल कंपनियों को 15 फीसदी ग्लोबल टैक्स रेट के दायरे में लाने पर सहमति बनी है.

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वर्षों तक चली बातचीत के बाद अब जाकर 136 देशों और अधिकार क्षेत्र (जिसमें सभी ओईसीडी सदस्य देश और जी -20 देश शामिल हैं) के बीच यह समझौता हुआ है. हालांकि चार देश - केन्या, नाइजीरिया, पाकिस्तान और श्रीलंका अभी तक इस समझौते में शामिल नहीं हुए हैं.

भारत शुरू से ही इस बातचीत में सक्रिय भागीदार रहा है. भारत के नजरिए से नई व्यवस्था में यह चीज अहम है कि उन देशों को मल्टीनेशनल कंपनियों के मुनाफे का आवंटन होगा, जहां इनके ग्राहक हैं, भले ही इन देशों में यह कंपनियां खुद उपस्थित ना हों.

जैसे, ज्यादातर डिजिटल कंपनियां. इन्हें किसी देश में बिजनेस करने के लिए वहां खुद का ऑफिस खोलने की जरूरत नहीं पड़ती. बिल्कुल वैसे ही जैसे फेसबुक और गूगल का भारत में बड़ा आधार है.

भारत का स्टैंड

भारत ने एक वैश्विक सहमति तक पहुंचने तक, "वन स्टॉप-गैप सिस्टम" के रूप में एक समान लेवी शुरू करने का एकतरफा कदम उठाया था. इक्वलाइजेशन लेवी 1 जून 2016 से शुरू की गई थी. इसके तहत एक भारतीय भुगतानकर्ता को एक एमएनई को भुगतान पर 6% की कटौती करने की आवश्यकता होती है.

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विदेशी ई-कॉमर्स ऑपरेटरों, जिनका कारोबार एक वर्ष में 2 करोड़ रुपये से अधिक था, उनको कवर करने के लिए वित्त अधिनियम, 2000 द्वारा ईएल के दायरे का विस्तार किया गया था. उन्हें वस्तुओं या सेवाओं की ऑनलाइन बिक्री के लिए 2% टैक्स का भुगतान करना होगा.

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समझौते में वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट टैक्स की दर 15% निर्धारित की गई है. बता दें आयरलैंड, 12.5% ​​की कम कॉर्पोरेट टैक्स रेट के साथ, Google, Facebook और Apple जैसी तकनीकी फर्मों के लिए टैक्स हेवन के रूप में उभरा था.

नई न्यूनतम कर दर, 750 मिलियन यूरो से अधिक राजस्व वाली कंपनियों पर लागू होगी जिससे सालाना वैश्विक कर राजस्व में लगभग 150 बिलियन डॉलर अतिरिक्त पैदा होने की उम्मीद है.

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ओईसीडी के महासचिव माथियास कॉर्मन ने कहा, "आज का समझौता हमारी अंतरराष्ट्रीय कर व्यवस्था को बेहतर बनाएगा. यह प्रभावी और संतुलित बहुपक्षवाद के लिए एक बड़ी जीत है. यह एक दूरगामी समझौता है जो सुनिश्चित करता है कि हमारा इंटरनेशनल टैक्सेशन सिस्टम एक डिजिटल और ग्लोबल वर्ल्ड इकनॉमी में उद्देश्य के लिए उपयुक्त बने."

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