लाहौर हाईकोर्ट ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी को सियालकोट में एक भड़काऊ भाषण में न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी करने के मामले में नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने शुक्रवार को यह नोटिस एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया.
याचिका में आरोप लगाया गया था कि प्रधानमंत्री ने पनामा पेपर्स पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रद्दी का एक टुकड़ा करार दिया था. कोर्ट ने सरकार और पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण (पेमरा) को भी नोटिस जारी किया.
डॉन ने शनिवार को बताया कि वकील अजहर सिद्दीकी ने याचिका दायर की थी. उन्होंने दलील दी कि अब्बासी की टिप्पणी अदालत की अवमानना है.
मामले को जज शाहिद करीम की अदालत में पेश करते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि इस तरह की "भड़काऊ बयानबाजी कर प्रधानमंत्री न्यायापालिका को विवादों के घेरे में लाने की कोशिश कर रहे थे."
पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम ने भी अपने भाषणों में कई बार सुप्रीम कोर्ट और उसके जजों की खुलकर आलोचना की है. और न्यायपालिका के खिलाफ जनता की भावना को भड़काने की कोशिश की है.अजहर सिद्दीकी, याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता ने अदालत से प्रधानमंत्री अब्बासी के खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलाने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि पेमरा को न्यायपालिका को निशाने पर लिए जाने वाले प्रधानमंत्री के भाषण को समाचार चैनलों पर चलाए जाने से रोक दिया जाए.
कोर्ट ने 15 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई तक अब्बासी और उनकी सरकार से जवाब मांगा है.
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