पाकिस्तान (Pakistan) में इमरान खान (Prime Minister Imran Khan) के खिलाफ लाये गए अविश्वास प्रस्ताव को नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी द्वारा खारिज करने पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. पाकिस्तान के समयानुसार शाम 7:30 बजे और भारतीय समय के मुताबिक 8 बजे कोर्ट फैसले सुनाएगा. इससे पहले सुनवाई के बीच पाकिस्तान के चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल ने गुरुवार, 7 अप्रैल को कहा कि यह स्पष्ट है कि कासिम खान सूरी का 3 अप्रैल का फैसला गलत था.
सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फैसले को देखते हुए SC परिसर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. पाकिस्तानी मीडिया के टेलीविजन फुटेज में यहां की शीर्ष अदालत के बाहर दंगारोधी पुलिस तैनात दिखाई दे रही है.
मालूम हो कि चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय पीठ डिप्टी स्पीकर के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के फैसले की वैधता और पीएम इमरान खान की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा असेंबली को भंग करने से जुड़े स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही है.
प्रधानमंत्री को नेशनल असेंबली भंग करने की वजह बताने की जरूरत नहीं- अटॉर्नी जनरल
पीएमएल-एन के वकील और पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल (एजीपी) खालिद जावेद खान ने आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि वह खुली कोर्ट में राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की हालिया बैठक का ब्योरा नहीं दे पाएंगे. उन्होंने जोर देकर कहा कि SC किसी की वफादारी पर सवाल उठाए बिना आदेश जारी कर सकता है.
उन्होंने कोर्ट में तर्क दिया कि इमरान खान "सबसे बड़े स्टेकहोल्डर" थे और इसलिए उनके पास नेशनल असेंबली को भंग करने की शक्ति थी. खालिद जावेद खान ने यहां तक कहा कि "प्रधानमंत्री को नेशनल असेंबली भंग करने के लिए कारण बताने की जरूरत नहीं है."
खास बात है कि उन्होंने तर्क दिया कि अविश्वास प्रस्ताव पर वोट डालना एक सांसद का मौलिक अधिकार नहीं है.
'फैसले पर डिप्टी स्पीकर के हस्ताक्षर नहीं थे'
सुनवाई के दौरान जस्टिस मंदोखेल ने कहा कि भले ही सूरी ने 3 अप्रैल के फैसले की घोषणा की, जिसने प्रधान मंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था लेकिन उस फैसले पर स्पीकर असद कैसर ने हस्ताक्षर किए हैं.
इसपर प्रतिक्रिया देते हुए सूरी और कैसर के वकील नईम बुखारी ने जवाब दिया कि शायद उन्हें दिए गए डॉक्यूमेंट "ओरिजिनल" नहीं हैं.
जस्टिस मंडोखेल ने यह भी बताया कि संसदीय समिति की बैठक के कार्यवृत्त (मिनट्स), जो नईम बुखारी ने कोर्ट को सौंपे गए थे, यह साबित नहीं करते कि डिप्टी स्पीकर मौजूद थे या नहीं.
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