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पाकिस्तान में अविश्वास प्रस्ताव पर कैसे होती है वोटिंग? घंटी बजी और दरवाजे बंद

घंटी बजते ही सारे सांसद सदन में पहुंचते हैं और दरवाजे बंद हो जाते हैं. फिर वो दो अलग-अलग दरवाजों से निकलते हैं.

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पाकिस्तान (Pakistan) में सियासी पारा हाई है. प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) की कुर्सी खतरे में है. लगातार विपक्ष के बाउंसर झेल रहे इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है. जिस पर 1 से 4 अप्रैल के बीच वोटिंग हो सकती है. इन सबके बीच सबके मन में एक ही सवाल है कि आखिर पाकिस्तान में अश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कैसे होती है? कैसे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को कुर्सी से हटाया जाता है ?

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ऐसे में हम आपको पाकिस्तान में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग की पूरी प्रकिया के बारे में समझाते हैं. इसके साथ ही पाकिस्तान की ताजा राजनीतिक समीकरण के बारे में भी बताते हैं.

कैसे लाया जाता है अविश्वास प्रस्ताव?

  • पाकिस्तान में अगर नेशनल असेंबली का सेशन नहीं चल रहा है तो संविधान के अनुच्छेद 54 के अनुसार सत्र की मांग की जा सकती है. इसके लिए कम से कम एक चौथाई सदस्यों की सहमति आवश्यक है. इसके लिए स्पीकर के पास 14 दिन होते हैं.

  • अविश्वास प्रस्ताव के लिए कम से कम 20 फीसदी यानी 68 सदस्यों के हस्ताक्षर भी जरूरी होते हैं. अविश्वास प्रस्ताव पेश होने के बाद 3 से 7 दिन के बीच वोटिंग करवाने का प्रावधान है.

  • नेशनल असेंबली का सत्र शुरू होने के बाद सेक्रेटरी अविश्वास प्रस्ताव के लिए नोटिस सर्कुलेट करता है जिसे अगले वर्किंग डे पर पेश किया जाता है.

  • प्रक्रिया के नियमों के अनुसार, जिस दिन प्रस्ताव पेश किया जाता है, उस उसके तीन से पहले और 7 दिन के बाद मतदान नहीं किया जा सकता है.

'घंटी' बजाकर शुरू होती है वोटिंग

पाकिस्तान में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग की प्रक्रिया अनोखी है. यहां के नेशनल असेंबली में ओपेन वोटिंग होती है.

वोटिंग से पहले सदन में घंटी बजती है. घंटी बजते ही सारे सांसद सदन में पहुंचते हैं. सांसदों के पहुंचते ही दरवाजे बंद हो जाते हैं.

पक्ष में वोट करने वाले सांसद एक तरफ के दरवाजे से निकलते हैं. वहीं विपक्ष में वोट करने वाले सांसद दूसरी तरफ के दरवाजे से निकलते हैं. इसके बाद खाली हॉल में वोटों की गिनती होती है. फिर सभी सांसद दोबारा सदन में आते हैं. वोटों के आधार पर प्रधानमंत्री को लेकर फैसला होता है.

पाकिस्तान का सियासी गणित

अब जरा पाकिस्तान की सियासी गणित भी समझ लीजिए. पाकिस्तान असेंबली में 342 सदस्य हैं. बहुमत के लिए 172 सदस्य होने जरूरी हैं. MQM-P के इमरान खान का साथ छोड़ने के बाद विपक्ष के पास 176 सदस्यों का समर्थन. जिसके बाद इमरान की कुर्सी जानी तय मानी जा रही है.

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