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इमरान के 'मार्च' को रोकेगी सरकार, बोले शहबाज-देश को गृह युद्ध में नहीं झोंक सकते

पंजाब PTI नेता मुसर्रत चीमा ने जानकारी दी है कि पुलिस ने 100 से अधिक PTI कार्यकर्ताओं और नेताओं को गिरफ्तार किया है.

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पाकिस्तान (Pakistan) इस समय राजनीति और आर्थिक दोनों चुनौतियों से जूझ रहा है. हाल ही में सत्ता परिवर्तन हुआ और शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बने. बावजूद इसके देश में अस्थिरता के हालात बन हुए हैं. यही नहीं इस बार की अस्थिरता थोड़ी लंबी चल सकती है. अविश्वास प्रस्ताव में सरकार गिरने के बाद सत्ता से बेदखल हुए इमरान खान (Imran Khan) इस्लामाबाद तक लॉन्ग मार्च का ऐलान कर दिया है. इसके अलावा पाकिस्तानी रुपये में भी लगातार गिरावट जारी है. उधर, इमरान खान के लगातार चल रहे कार्यक्रमों के बीच पाकिस्तानी सेना ने भी तटस्थ रुख अपना रखा है. इससे भी शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) की चिंताएं बढ़ रही हैं.

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PTI के विरोध मार्च से पहले सैकड़ों कार्यकर्ता गिरफ्तार

PTI पंजाब की सूचना सचिव मुसर्रत चीमा ने जानकारी दी है कि विरोध मार्च से पहले ही पुलिस ने अब तक 100 से ज्यादा PTI कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है. इनमें महिला वकील राशिदा खानम भी हैं. इन गिरफ्तारियों का मकसद 'आजादी मार्च' को विफल करना है.

पीटीआई के अधिकतर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को लाहौर से गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तारी से बचने के लिए पार्टी के कई प्रांतीय नेता भूमिगत हो गए हैं. उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी पीटीआई कार्यकर्ताओं को इस्लामाबाद पहुंचने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की 'फासीवादी रणनीति' है.

PTI नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री राजा बशारत ने कहा कि पुलिस ने पीटीआई से संबंधित पंजाब सरकार के लगभग हर पूर्व मंत्री और सलाहकार के घरों पर छापा मारा है.

वहीं, सिंध के पूर्व राज्यपाल इमरान इस्माइल ने एक वीडियो जारी कर दावा किया कि कराची में पीटीआई कार्यकर्ताओं को परेशान किया गया और उन्हें हिरासत में भी लिया गया.

शांतिपूर्ण प्रदर्शन नागरिकों का अधिकार : इमरान

PTI प्रमुख इमरान खान ने मंगलवार तड़के ट्वीट कर कहा कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन सभी नागरिकों का अधिकार है. पंजाब और इस्लामाबाद में PTI नेताओं और कार्यकर्ताओं पर क्रूर कार्रवाई की गई है. यह सरकार की फासीवादी प्रवृत्ति है.

IHC ने PTI कार्यकर्ताओं, नेताओं को 'परेशान' करने पर लगाई रोक

डॉन अखबार के मुताबिक इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को शाहबाज शरीफ सरकार को PTI कार्यकर्ताओं और नेताओं को अनावश्यक रूप से परेशान करने से प्रतिबंधित कर दिया और इस्लामाबाद के पुलिस महानिरीक्षक, मुख्य आयुक्त और उपायुक्त को नोटिस जारी किया. इस दौरान अदालत ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि किसी को बेवजह परेशान नहीं किया जाए.

दरअसल, इस्लामाबाद हाई कोर्ट का यह निर्देश PTI के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं के घरों पर पुलिस की छापेमारी के कुछ घंटों बाद आया है. क्योंकि, पार्टी 25 मई को इस्लामाबाद की ओर अपना 'आजादी मार्च; शुरू करने वाली है.
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25 मई से PTI का इस्लामाबाद में विरोध मार्च

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के मुखिया इमरान खान ने घोषणा की है कि इस्लामाबाद में उनकी पार्टी का लंबा विरोध मार्च 25 मई से शुरू होगा. उन्होंने कहा कि इस मार्च में लोगों को बड़ी संख्या में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है.

पेशावर में अपनी पार्टी की कोर कमेटी की बैठक के बाद रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए, इमरान खान ने कहा कि वह 25 मई को श्रीनगर राजमार्ग पर लोगों से मिलेंगे.

क्या है PTI की मांग?

PTI की ओर से पाकिस्तान नेशनल असेंबली को भंग करने और अगले आम चुनाव की तारीख की मांग की जा रही है. इमरान खान ने कहा कि देश में एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराया जाए. अगर चुनाव के बाद भी देश वर्तमान सरकार को सत्ता में वापस लाएगा, तो वह इसे स्वीकार कर लेंगे. लेकिन, बाहर से किसी भी देश को उन्हें हम पर थोपने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

इस्लामाबाद में PTI के मार्च को रोकेगी सरकार: राणा सनाउल्लाह

शाहबाद शरीफ सरकार में पाकिस्तान के गृहमंत्री राणा सनाउल्लाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि पाकिस्तान कैबिनेट ने ये फैसला किया है कि PTI को इस्लामाबाद में लंब मार्च की अनुमति नहीं दी जाएगा. इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार PTI को मार्च की आड़ में 'अराजकता और अव्यवस्था' फैलाने की अनुमति नहीं देगी, उन्हें रोका जाएगा ताकि वे अपने भ्रामक एजेंडे का प्रचार न कर सकें.

गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने PTI पर आरोप लगाया कि PTI नेता और कार्यकर्ता गालियों से गोलियों की ओर बढ़ गए हैं. लाहौर में एक पुलिस कांस्टेबल की मौत हो गई. बता दें, कांस्टेबल कमाल अहमद को लाहौर के मॉडल टाउन में पुलिस की छापेमारी के दौरान सोमवार रात हत्या कर दी गई थी. हत्या को लेकर सरकार और PTI दोनों एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.

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देश में गृह युद्ध कराना चाहते हैं इमरानः शाहबाज शरीफ

डान अखबार के मुताबिक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने आरोप लगाया है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान देश में गृहयुद्ध शुरू कराना चाहते हैं. इमरान को चेतावनी देते हुए शहबाज ने कहा कि इस नापाक साजिश के लिए देश उनको नहीं छोड़ेगा. वहीं, प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सेना बुलाने संबंधी सवाल पर शरीफ ने कहा कि जैसी जरूरत होगी, उसके अनुरूप निर्णय लिया जाएगा.

उधर, इस्लामाबाद और रावलपिंडी पुलिस इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रस्तावित इस्लामाबाद लांग मार्च से निपटने की तैयारी में जुट गई है.

अपना कार्यकाल पूरा करेगी शहबाज सरकार

डॉन अखबरा के मुताबिक शरीफ ने बताया कि सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) गठबंधन के सहयोगियों ने निर्णय लिया है कि मौजूदा सरकार समय से पहले चुनाव कराने के बजाय अपना कार्यकाल पूरा करेगी. यही नहीं, देश को आर्थिक संकट से निकालने के लिए सरकार कठोर फैसले लेगी.

ANI की रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री शरीफ खुद को एक मुश्किल स्थिति में महसूस कर रहे हैं. क्योंकि, वह अपने गठबंधन दलों के नेतृत्व और अपनी ही राजनीतिक पार्टी PML-N के भीतर उठ रही आवाज पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं ले पा रहे हैं, जिसमें जल्दी चुनाव कराए जाने का एक बड़ा निर्णय शामिल है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, शहबाज शरीफ को उनके बड़े भाई और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने देश में जल्द चुनाव कराने के लिए कहा है.

बता दें, नवाज शरीफ फिलहाल लंदन में हैं और उन्होंने कथित तौर पर शहबाज शरीफ को सरकार का कार्यकाल पूरा करने की ओर नहीं देखने और जल्द चुनाव कराने के लिए कहा है. उनकी बेटी और PML-N की चेयरपर्सन मरियम नवाज के माध्यम से एक संदेश स्पष्ट रूप से प्रचारित किया जा रहा है, जो देश के विभिन्न हिस्सों में राजनीतिक रैलियों में जल्द चुनाव की मांग कर रहीं हैं.

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दोहा में हो रही IMF की बैठक पर निर्भर करेगा पाकिस्तान में चुनाव

ANI के मुताबिक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया तेजी से गिर रहा है. ऐसे में पाकिस्तान का आर्थिक संकट IMF के साथ चल रही बातचीत पर निर्भर है. हालांकि, जमीन पर स्थिति गंभीर है, क्योंकि पाकिस्तान सख्त नियमों और शर्तों का पालन करने में विफल रहा है.

ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तान में चुनावों का भविष्य अब दोहा में हो रही IMF वार्ता के परिणाम पर निर्भर करता है. अगर वार्ता सफल होती है, तो सरकार मुद्रा दर को स्थिर करने और वित्तीय बाजार में स्थिरता, स्पष्टता और निश्चितता लाने की स्थिति में हो सकती है. लेकिन, अगर बातचीत विफल हो जाती है, तो सरकार देश में कीमतों में बढ़ोतरी और असंतुलित महंगाई दर का बोझ नहीं उठा सकती है और जल्दी चुनाव कराने का विकल्प चुन सकती है.

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