भारतीय विमानन मंत्री और स्नागोव के मेयर मिहाई एन्गेल के बीच जुबानी झड़प का वीडियो वायरल होने के बाद लोग जानना चाह रहे हैं आखिर रोमानिया के पनाहगाह में क्या हुआ था.
क्विंट के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में मेयर एन्गेल ने साफ किया कि वो कोई सियासी स्कैंडल खड़ा करना नहीं चाहते थे और भारतीय छात्रों की बात रख रहे थे, जिनकों सिर्फ ये जानना था कि – वो घर कब जा रहे हैं?
क्या हुआ था?
वीडियो कॉल पर एन्गेल ने बताया, "हमारी टीम को 157 भारतीय स्टूडेंट्स मिले. हमें यहां के दूतावास से कुछ भी मदद नहीं मिली. खाना और रहने समेत जरूरी चीजें हमने मुहैया कराईं. स्नागोव इलाके के नागरिकों ने सभी बंदोबस्त किए. तभी मैंने इन्हें को देर शाम कैमरे के साथ आते हुए देखा और अकड़ में स्टूडेंट्स को संबोधित कर रहे थे. जैसे कि वो कोई पीआर भाषण देने आए हों और स्टूडेंट्स को संबल देने नहीं, जो कि अभी युद्ध से बचकर आए थे और घर लौटना चाहते थे."
स्टूडेंट्स ने साइरेट बॉर्डर 27 फरवरी को पार किया था और उन्हें स्नागोव कम्यून पर पर घेमनासेटी गांव के एक स्कूल के भीतर जिमखाने में पनाह दिया गया. मेयर ने कहा कि उन्हें स्थानीय भारतीय अथॉरिटी से बताया गया था कि बस अगले दिन आएगी, पर सिंधिया जब आए तो उन्हें लगा कि स्टूडेंट्स की परेशानी दूर हो जाएगी.
"सिंधिया के संबोधन के दौरान छात्रों को फ्लाइट और शिड्यूल की जानकारी नहीं दी गई. मसलन स्टूडेंट्स को कब तक रुकना पड़ेगा? मंत्री ये बताने में लगे थे कि उन लोगों ने कैसे कुत्तों का राहत-बचाव किया और भी कुछ रेस्क्यू के बारे में बता रहे थे," झुंझलाए हुए मेयर घटना को याद करते हुए बताते हैं. उन्होंने आगे कहा, "सीमा पर इन बच्चों के साथ सम्मान से पेश नहीं आया गया और फिर ऐसा भाषण. इसने मेरा मिजाज उखड़ गया. वो यहां आए, लेकिन इन स्टूडेंट्स को जरूरत की चीजें मुहैया नहीं कराई और जब मैंने छात्रों के घर जाने की फ्लाइट के बारे में पूछा तो बदतमीजी की."
इंटरव्यू के दौरान मेयर ने जो बातें बताई, इसे लेकर केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने क्विंट से बात की. फोन पर उन्होंने कहा, "स्टूडेंट्स ने बहुत मुश्किल सफर तय किया था. इसलिए कुछ चिंताएं और शंकाएं होने वाली थी और यही मेयर की तरफ से बताया गया... जो कि सही है. मेरा मतलब है कि मैं वहां उनकी चिंताओं को ठीक करने के लिए ही हूं. भारत के प्रतिनिधि के तौर पर इन बातों को समझना और समाधान सुझाकर उन्हें बाहर निकालना है."
'मैंने आपा खोया क्योंकि मैं दुखी था '
वीडियों में सिंधिया मेयर एन्गेल को पीछे हटने के लिए कहते हुए दिख रहे हैं. पलटकर जोरदार आवाज में जवाब मिलता है कि ये रोमानियाई हैं, जिन्होंने छात्रों के रहने और खाने का बंदोबस्त किया है ना कि आपने. आप अपनी बात बताइए.
मेयर से जब उनका संयम खोने पर क्विंट ने पूछा तो मेयर ने बताया, "मैं गुस्से में नहीं था. जैसा कि बहुत से लोग सोचते हैं.. मेरा धैर्य जवाब दे गया क्योंकि मैं उन बच्चों के लिए दुखी था. बॉर्डर पर बच्चे किन हालातों से गुजरे थे इसके बारे में मैंने बहुत कुछ सुन रखा था, उनका इस्तेमाल किसी पीआर शूट के लिए नहीं होना चाहिए था. मुझे मालूम नहीं था कि वो विमानन मंत्री (सिविल एविएशन) थे.अगर मुझे मालूम भी रहता तब भी मैंने वही किया होता जो किया. मुझे उनको आईना दिखाना ही था. आप हमारे देश और हमारे घर में आकर हमारा अपमान नहीं कर सकते."
वीडियो के अंत में छात्र मेयर के इस एक्शन के लिए ताली बजाते दिख रहे हैं.
क्या दोनों ने इस तकरार पर चर्चा की?
एन्गेल बताते हैं, "हमने हाथ मिलाया और बड़ों की तरह वाक्ये को संभाला. स्टूडेंट्स में से ही किसी ने उनको बताया कि मैं इस इलाके का मेयर हूं. हमसे बदतमीजी के लिए उन्होंने खेद नहीं जताया. मैं किसी माफीनामे की आशा भी नहीं करता और मैं समझता हूं कि ये वक्त हर किसी के लिए बहुत कठिन है – राहत बचाव करने वाली भारतीय टीम के लिए भी. आखिर में जब हमने हाथ मिलाया तो वो बहुत ठंडे थे. ना ही नरम और ना ही गरम, मानो बहुत जल्दी में हों और वक्त नहीं हो. अपना संबोधन पूरा करते ही कट लिए. ये बहुत ही अप्रिय मुलाकात थी."
क्विंट से सिंधिया ने इस बात की पुष्टि की कि उन दोनों ने हाथ मिलाया और बात खत्म हो गई.
गालियां, धमकियां और ट्रोलिंग
अब वीडियो वायरल हो चुका है. मेयर एन्गेल को भारतीय सोशल मीडिया यूजर्स गालियां और धमकियां दे रहे हैं. उन्होंने गालियों से भरे संदेश वाले स्क्रीनशॉट भी क्विंट को भेजा, जिसमें गालियां देते हुए लिखा गया है, ‘F **K You'. तुम भारत के मंत्री से बात कर रहे हो, ओके .. तमीज से रहो."
उन्होंने वो सभी अकाउंट ब्लॉक कर दिए हैं, जिनसे धमकियां और गालियां दी गईं. फिर भी एन्गेल अपने साथ हुई इस ट्रोलिंग पर हैरान हैं. उन्होंने कहा कि उनको ये उम्मीद नहीं थी कि स्टूडेंट्स के साथ हमदर्दी रखने के लिए उन्हें धमकियां दी जाएंगी.
वो खुलासा करते हैं, "मुझे शायद पेड ट्रोल्स से नफरत भरे संदेशों की बौछार मिल रही है, जो मेरे आधिकारिक पेजों पर बमबारी कर रहे हैं. मैं एक राजनेता हूं और मैं ये सब संभाल सकता हूं, लेकिन नफरत भरे संदेश अपने लोगों से नहीं, विदेशी नागरिकों से मिलना पहली बार है."
वहीं, दूसरी तरफ स्नागोव में शरण लेने वालों स्टूडेंट्स, मुश्किल वक्त में मदद के लिए उनका आभार जता रहे हैं.
"सिर्फ स्टूडेंट्स नहीं, मुझे उनके अभिभावकों के भी कॉल आ रहे हैं. मैंने अभी एक परिवार से बात की है जो इस बात के लिए काफी शुक्रगुजार हैं कि बच्चों को मेरे देश में हमदर्दी और जरूरी मदद मिली. स्टूडेंट्स को सिर्फ यही चाहिए, ना कि कोई पीआर मुहिम. यहां तक कि इन छात्रों ने मुझे बताया कि फ्लाइट्स में भी इनको बोला गया कि वो बताएं कि मंत्री की टीम ने कैसे उनकी बहुत मदद पहुंचाई. छात्रों ने वैसा करने से मना कर दिया. उन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई की है और आप उन्हें मूर्ख नहीं बना सकते."मिहाई एन्गेल, स्नाग्रोव के मेयर
टर्नोपिल नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के छात्र विपिन सिंह, जो मंत्री और मेयर के बीच हुई तनातनी के वक्त मौजूद थे, बताते हैं, "इतना भयानक वक्त से गुजरने के बाद, हमारी सरकार ने नहीं, बल्कि ये मेयर एन्गेल और रोमानिया के लोग थे जिन्होंने मदद की… मैं सच छुपा नहीं सकता, लोगों को जानना चाहिए. भारतीय अथॉरिटी ने तो बस एयरपोर्ट से फ्लाइट देने में मदद की.''
परेशान विपिन सिंह कहते हैं, "अगले दिन मिस्टर सिंधिया के पीए ने फोन किया और संदेश भेजा कि हम लोग मदद के उनके प्रयासों का धन्यवाद करते हुए एक वीडियो रिकॉर्ड करके भेजें. हममें से कुछ ने मना कर दिया. लेकिन मैंने इसे रिकॉर्ड किया क्योंकि मैं डरा हुआ था कि कहीं मैंने सच बोला तो वो मुझे बीच में ही छोड़ न दें. मैं अपने परिवार से मिलने के लिए बेचैन था, इसलिए सिंधिया की टीम ने जैसा कहा वैसा कर दिया."
'हम मानवीय जिम्मेवारियों को पूरा करना कभी नहीं रोकेंगे '
पोलैंड, हंगरी, स्लोवाकिया, मॉल्दोवा और रोमानिया जाने वाली चार सदस्यीय भारतीय टीम के हिस्सा सिंधिया ने अपने दौरे पर रोमानिया और मॉल्दोवा में भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी का कामकाज देखा. मंत्री ने एक ट्वीट में जानकारी दी कि पिछले सात दिनों में ऑपरेशन गंगा के तहत रोमानिया और मॉल्दोवा से 6,222 भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकाला गया है.
स्नाग्रोव में पनाहघर में आने वाले भारतीय स्टूडेंट्स के अगले समूहों के बारे में एन्गेल ने बताया कि, "मैंने आपको फोन करने से ठीक पहले, हमने 134 स्टूडेंट्स को एयरपोर्ट पर भेज दिया था. हम अपनी मानवीय कर्तव्यों को पूरा करना बंद नहीं करेंगे और उम्मीद करता हूं कि कभी मैं मंत्री सिंधिया को बता पाऊं कि पुरानी सब बात खत्म हो गई – और सिर्फ स्टूडेंट्स की कल्याण हमारी प्राथमिकता रहेगी."
"मैं भारत के लोगों का बहुत सम्मान करता हूं और जो ये शानदार, बहादुर लोग हैं, इनके बारे में जानकारी लेता रहूंगा."मिहाई एन्गेल, स्नाग्रोव के मेयर
(लेखक पेरिस में आधारित इंडिपेंडेंट जर्नलिस्ट हैं. उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज डबलिन से पढ़ाई की है और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर लिखती हैं.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)