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Ukraine के Sumy में फंसे स्टूडेंट्स बोले- यहां रोज बम धमाके हो रहे,खाना भी नहीं

Russia Ukraine War 'पोलैंड या हंगरी की बॉर्डर लगभग 40-50 किलोमीटर दूर है. वॉर जोन में वहां तक जाना बहुत मुश्किल है'

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रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine) की जंग पिछले दस दिनों से जारी हैं. यूक्रेन पर रूस के हमले लगातार जारी हैं. रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में कई अंतरराष्ट्रीय छात्र वहां फंस गए हैं. इनमें भारतीय छात्र भी हैं. महताब बिहार के रहने वाले हैं और यूक्रेन के एक सोमी विश्वविद्यालय के हॉस्टल में कई भारतीयों के साथ फंसे हैं.

क्विंट हिंदी ने महताब और वहां फंसे अन्य छात्रों से बात की. उन्होंने वहां की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया और उन्हें ऐसे हालत में वहां हो रही परेशानियों को साझा किया है.

छात्रों का कहना है कि, हमले के दिन से भारत की तरफ से एक भी छात्र का रेस्क्यू नहीं किया गया है. यहां हर दिन बम धमाके हो रहे हैं. छात्रों ने कई दिनों से खाना नहीं खाया है, और न ही यहां पीने के लिए पानी हैं. भारत सरकार की तरफ से भी कोई सहायता नहीं पहुंची है.

महताब ने बताया कि वह यूक्रेन में रहकर डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे हैं. वहां पीने के लिए पानी भी नहीं है और बर्फ को पिघला कर ये उसे पीने के पानी के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "हम लोग हॉस्टल विश्वविद्यालय में फंसे हुए हैं और किसी भी भारतीय अथॉरिटी की तरफ से कोई भी सहायता नहीं की गई है. यूक्रेन सरकार की तरफ से भी कोई आश्वासन नहीं दिया गया है."

महताब ने कहा कि यहां से रूस का बॉर्डर नजदीक है. पोलैंड या हंगरी का बॉर्डर लगभग 40-50 किलोमीटर दूर है. वॉर जोन में वहां तक जाना बहुत मुश्किल है. कई बच्चे वहां तक पहुंचने के लिए यहां से निकले थे लेकिन हमें जानकारी मिली है कि रूसी सैनिकों ने उन्हें शूट कर दिया है.

महताब ने बताया जब यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी गई उसके बाद फ्लाइट का रेट बहुत बढ़ गया वो 50 हजार के ऊपर चला गया था. हम मिडिल क्लास के लोग हैं एक बार में 50 हजार रुपए नहीं दे सकते. जिनके पास पैसे थे वो टिकट बुक करके निकल गए लेकिन हम नहीं जा पाए. हमें निकलने की सलाह भी देरी से दी गई. दूसरे देशों को पहले से ही बता दिया गया था और वो निकल गए.

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