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रूस ने काला सागर अनाज निर्यात समझौता क्यों रद्द किया-दुनिया के किन देशों पर असर?

Russia Exits Grain Deal: रूस के फैसले के बाद UN महासचिव गुटेरेश ने चिंता जताई है कि यह जरूरतमंद लोगों पर एक चोट है.

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रूस (Russia) ने सोमवार, 17 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की मध्यस्थता वाले वर्षों पुराने 'काला सागर अनाज समझौते' को खत्म कर दिया. यह समझौता यूक्रेन को काला सागर (Black Sea) के जरिए अनाज निर्यात करने की अनुमति देता था. दुनिया के कई हिस्सों में भूख से जूझ रहे लोगों के लिए यूक्रेन (Ukraine) काला सागर के रास्ते अनाज भेजने में सक्षम था. रूस के इस फैसले की वजह से गरीब देशों में चिंता पैदा हो गई कि कीमतें बढ़ने से भोजन उनकी पहुंच से बाहर हो जाएगा. UN महासचिव गुटेरेश ने चिंता जताई है कि यह जरूरतमंद लोगों पर एक चोट है.

ऐसे में आइए यह समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर रूस ने यह फैसला क्यों लिया? रूस और यूक्रेन के बीच क्या समझौता हुआ था? समझौते के बाद कितना अनाज ट्रांसपोर्ट किया गया है? और रूस के इस फैसले से किन देशों पर असर होने वाला है?

रूस ने काला सागर अनाज निर्यात समझौता क्यों रद्द किया-दुनिया के किन देशों पर असर?

  1. 1. रूस और यूक्रेन के बीच क्या समझौता हुआ था?

    पिछले साल 24 फरवरी 2022 को रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करने के कुछ महीनों बाद, तुर्की और संयुक्त राष्ट्र ने जुलाई में रूस और यूक्रेन के बीच एक ऐतिहासिक समझौता करवाया था. यह समझौता 17 जुलाई को खत्म हो रहा था, जिसका कई बार नवीनीकरण हो चुका है.

    इस समझौते का मकसद रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से बढ़े वैश्विक खाद्य संकट को कम करना और काला सागर गलियारे के जरिए निर्यात किए जाने वाले अनाज ले जाने वाले यूक्रेनी जहाजों को सुरक्षित रास्ते की छूट देना था.

    गौर करने वाली बात ये है कि यूक्रेन दुनिया में गेहूं और मक्का जैसे खाद्यान्न के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है और संयुक्त राष्ट्र के खाद्य सहायता कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस वजह से जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया और यूक्रेनी बंदरगाहों को पर एक्टिविटीज बंद होने लगीं, तो दुनिया के कुछ हिस्सों में खाद्यान्न की कीमतें बढ़ गईं.

    संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाले समझौते में ओडेसा (Odesa), चोर्नोमोर्स्क (Chornomorsk) और पिवडेनी (Pivdennyi) (युजनी) के तीन यूक्रेनी बंदरगाहों से मालवाहक जहाजों को हथियारों के निरीक्षण के बाद 310 मील (समुद्री) लंबे और तीन मील चौड़े काले सागर के सुरक्षित मार्ग से गुजरने की अनुमति दी गई.

    इस समझौते के तहत आश्वासन दिया गया था कि यूक्रेनी बंदरगाह में प्रवेश करने और छोड़ने वाले किसी भी जहाज पर हमला नहीं किया जाएगा.
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  2. 2. डील से क्यों पीछे हटा रूस?

    रिपोर्ट के मुताबिक इस समझौते पर औपचारिक निलंबन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा दिए गए एक इंटरव्यू के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि...

    "समझौते को लागू करने के लिए मॉस्को की "एक भी शर्त" पूरी नहीं की गई है. मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि शर्त के मुताबिक कुछ भी नहीं किया गया. यह सब एकतरफा है."
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  3. 3. क्या रूस के पीछे हटने की वजह 'क्रीमिया ब्रिज हमला' है?

    रूस का यह फैसला क्रीमिया ब्रिज पर हुए हमले के कुछ घंटों बाद आया है. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद क्रीमिया ब्रिज पर यह दूसरा हमला है.

    The Moscow Times की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में दो लोगों की मौत हुई थी.

    रूस के लिए क्यों अहम है ब्रिज: यह ब्रिज रूसी मुख्य भूमि और मॉस्को-एनेक्स्ड क्रीमिया प्रायद्वीप (Moscow-annexed Crimean peninsula) के बीच एक बहुत ही अहम और एकमात्र सीधा लिंक है. यह पुल क्रीमिया को ईंधन, भोजन और हथियारों की आपूर्ति के लिए भी अहम है, जिस पर रूस ने 2014 में कब्जा कर लिया था.

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  4. 4. रूस के डील रद्द करने से किन देशों पर होगा असर?

    विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के मुताबिक युद्ध से पहले यूक्रेन में प्रति वर्ष 400 मिलियन लोगों को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन का उत्पादन होता था. 2021 में संयुक्त राष्ट्र खाद्य एजेंसी की कुल अनाज खरीद का लगभग दो-तिहाई हिस्सा यूक्रेन से आया.

    संयुक्त राष्ट्र (United Nations) का कहना है कि यह समझौता WFP को युद्धों और मौसम की घटनाओं से प्रभावित देशों में जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए 725,000 टन से ज्यादा गेहूं ट्रांसपोर्ट करने का जरिया बना.

    इथियोपिया को इसका एक तिहाई से ज्यादा अनाज (262,759 टन) प्राप्त हुआ, जिसमें 20 प्रतिशत से ज्यादा यमन (151,000) और 18 प्रतिशत अफगानिस्तान (130,869) को गया.

    साल 2022 में यूक्रेन ने वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) के लिए खरीदे गए कुल भोजन की तीसरी सबसे बड़ी मात्रा और 643,189 मीट्रिक टन के साथ सबसे ज्यादा मीट्रिक टन दिया.

    Al Jazeera की रिपोर्ट के मुताबिक चैरिटी ऑर्गनाइजेशन Save the Children में ह्यूमेनिटैरियन पॉलिसी और एडवोकेसी लीड नाना नदेदा (Nana Ndeda) ने कहा कि इस सौदे से वैश्विक बाजारों (Global Markets) को स्थिर करने और दुनिया के कई हिस्सों में खाद्य कीमतों को कम करने में मदद मिली है.

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  5. 5. यूक्रेन से निर्यात हुआ अनाज कहां-कहां गया?

    UN के आंकड़ों के मुताबिक समझौते के तहत काला सागर में स्थित तीन यूक्रेनी बंदरगाहों के जरिए अब तक तीन करोड़ 20 लाख टन खाद्य सामग्री का तीन महाद्वीपों में 45 देशों के लिए निर्यात किया गया है.

    UN News के मुताबिक इस पहल के जरिए, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने अफगानिस्तान, इथियोपिया, केनया, सोमालिया, सूडान और यमन में जरूरतमन्द लोगों के लिए गेहूं भेजा गया.

    Al Jazeera की रिपोर्ट के मुताबिक काला सागर से निकलने वाले शिपमेंट का औसत आकार लगभग 32,450 टन है. अब तक का सबसे ज्यादा (7.96 मिलियन टन) चीन को निर्यात किया गया है. इसके बाद स्पेन (5.98 मिलियन टन), तुर्की (3.24 मिलियन), इटली (2.1 मिलियन), नीदरलैंड (1.96 मिलियन) और मिस्र (1.55 मिलियन) देशों के लिए गया है.

    रिपोर्ट के मुताबिक UN का कहना है कि

    इस समझौते से खाद्य कीमतों में 20 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी को रोकने में मदद मिली है, लेकिन रूस का कहना है कि अनाज गलियारे के जरिए पहुंचाई जाने वाली खाद्य आपूर्ति दुनिया के सबसे गरीब देशों तक नहीं पहुंच रही है. लगभग 44 प्रतिशत निर्यात उन देशों को किया गया है, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र उच्च आय वाले देश कहता है.
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  6. 6. समझौते के बाद कितना अनाज ट्रांसपोर्ट किया गया है?

    रूस और यूक्रेन के बीच समझौता होने के बाद से अब तक कई मिलियन टन अनाज का निर्यात किया जा चुका है. UN के आंकड़ों के मुताबिक करीब 32.9 मिलियन मीट्रिक टन अनाज काला सागर के जरिए जा चुका है. इसमें ज्यादातर अनाज मक्का (16.9 मिलियन टन) और गेहूं (8.91 मिलियन टन) रहा है.

    यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (UNWFP) में भी 725,200 (2.2 प्रतिशत) टन का योगदान दिया है.

    यूक्रेन को आमतौर पर यूरोप की रोटी की टोकरी कहा जाता है, इसकी 55 प्रतिशत से ज्यादा जमीन खेती के काबिल है. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद 2022-23 के दौरान यह मकई का आठवां सबसे बड़ा उत्पादक और गेहूं का नौवां सबसे बड़ा उत्पादक था.

    काला सागर के जरिए निर्यात की गई अन्य खाद्य वस्तुओं में सूरजमुखी भोजन (1,857,917 टन), सूरजमुखी तेल (1,650,092 टन), जौ (1,268,298 टन) और रेपसीड (1,000,859 टन) शामिल हैं.

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  7. 7. रूस के ऐलान के बाद यूक्रेन ने क्या कहा?

    यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की ने रूस के फैसले के जवाब में कहा कि मॉस्को के समझौते से पीछे हटने के बावजूद कीव अनाज निर्यात जारी रखने के लिए तैयार है.

    France24 की रिपोर्ट के मुताबिक जेलेंस्की ने कहा कि हम डरते नहीं हैं. हमसे उन कंपनियों ने बात की है, जिनके पास जहाज हैं. उन्होंने कहा कि वे शिपमेंट जारी रखने के लिए तैयार हैं.

    यूक्रेन ने मंगलवार की सुबह कहा था कि

    रूस द्वारा "ड्रोन हमला" लॉन्च करने के बाद उसने दक्षिणी ओडेसा इलाके में हवाई सुरक्षा एक्टिव कर दी गई है, जहां अनाज की शिपिंग के लिए जरूरी समुद्री टर्मिनल हैं.

    (क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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रूस और यूक्रेन के बीच क्या समझौता हुआ था?

पिछले साल 24 फरवरी 2022 को रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करने के कुछ महीनों बाद, तुर्की और संयुक्त राष्ट्र ने जुलाई में रूस और यूक्रेन के बीच एक ऐतिहासिक समझौता करवाया था. यह समझौता 17 जुलाई को खत्म हो रहा था, जिसका कई बार नवीनीकरण हो चुका है.

इस समझौते का मकसद रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से बढ़े वैश्विक खाद्य संकट को कम करना और काला सागर गलियारे के जरिए निर्यात किए जाने वाले अनाज ले जाने वाले यूक्रेनी जहाजों को सुरक्षित रास्ते की छूट देना था.

गौर करने वाली बात ये है कि यूक्रेन दुनिया में गेहूं और मक्का जैसे खाद्यान्न के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है और संयुक्त राष्ट्र के खाद्य सहायता कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस वजह से जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया और यूक्रेनी बंदरगाहों को पर एक्टिविटीज बंद होने लगीं, तो दुनिया के कुछ हिस्सों में खाद्यान्न की कीमतें बढ़ गईं.

संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाले समझौते में ओडेसा (Odesa), चोर्नोमोर्स्क (Chornomorsk) और पिवडेनी (Pivdennyi) (युजनी) के तीन यूक्रेनी बंदरगाहों से मालवाहक जहाजों को हथियारों के निरीक्षण के बाद 310 मील (समुद्री) लंबे और तीन मील चौड़े काले सागर के सुरक्षित मार्ग से गुजरने की अनुमति दी गई.

इस समझौते के तहत आश्वासन दिया गया था कि यूक्रेनी बंदरगाह में प्रवेश करने और छोड़ने वाले किसी भी जहाज पर हमला नहीं किया जाएगा.
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डील से क्यों पीछे हटा रूस?

रिपोर्ट के मुताबिक इस समझौते पर औपचारिक निलंबन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा दिए गए एक इंटरव्यू के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि...

"समझौते को लागू करने के लिए मॉस्को की "एक भी शर्त" पूरी नहीं की गई है. मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि शर्त के मुताबिक कुछ भी नहीं किया गया. यह सब एकतरफा है."

क्या रूस के पीछे हटने की वजह 'क्रीमिया ब्रिज हमला' है?

रूस का यह फैसला क्रीमिया ब्रिज पर हुए हमले के कुछ घंटों बाद आया है. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद क्रीमिया ब्रिज पर यह दूसरा हमला है.

The Moscow Times की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में दो लोगों की मौत हुई थी.

रूस के लिए क्यों अहम है ब्रिज: यह ब्रिज रूसी मुख्य भूमि और मॉस्को-एनेक्स्ड क्रीमिया प्रायद्वीप (Moscow-annexed Crimean peninsula) के बीच एक बहुत ही अहम और एकमात्र सीधा लिंक है. यह पुल क्रीमिया को ईंधन, भोजन और हथियारों की आपूर्ति के लिए भी अहम है, जिस पर रूस ने 2014 में कब्जा कर लिया था.

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रूस के डील रद्द करने से किन देशों पर होगा असर?

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के मुताबिक युद्ध से पहले यूक्रेन में प्रति वर्ष 400 मिलियन लोगों को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन का उत्पादन होता था. 2021 में संयुक्त राष्ट्र खाद्य एजेंसी की कुल अनाज खरीद का लगभग दो-तिहाई हिस्सा यूक्रेन से आया.

संयुक्त राष्ट्र (United Nations) का कहना है कि यह समझौता WFP को युद्धों और मौसम की घटनाओं से प्रभावित देशों में जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए 725,000 टन से ज्यादा गेहूं ट्रांसपोर्ट करने का जरिया बना.

इथियोपिया को इसका एक तिहाई से ज्यादा अनाज (262,759 टन) प्राप्त हुआ, जिसमें 20 प्रतिशत से ज्यादा यमन (151,000) और 18 प्रतिशत अफगानिस्तान (130,869) को गया.

साल 2022 में यूक्रेन ने वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) के लिए खरीदे गए कुल भोजन की तीसरी सबसे बड़ी मात्रा और 643,189 मीट्रिक टन के साथ सबसे ज्यादा मीट्रिक टन दिया.

Al Jazeera की रिपोर्ट के मुताबिक चैरिटी ऑर्गनाइजेशन Save the Children में ह्यूमेनिटैरियन पॉलिसी और एडवोकेसी लीड नाना नदेदा (Nana Ndeda) ने कहा कि इस सौदे से वैश्विक बाजारों (Global Markets) को स्थिर करने और दुनिया के कई हिस्सों में खाद्य कीमतों को कम करने में मदद मिली है.

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यूक्रेन से निर्यात हुआ अनाज कहां-कहां गया?

UN के आंकड़ों के मुताबिक समझौते के तहत काला सागर में स्थित तीन यूक्रेनी बंदरगाहों के जरिए अब तक तीन करोड़ 20 लाख टन खाद्य सामग्री का तीन महाद्वीपों में 45 देशों के लिए निर्यात किया गया है.

UN News के मुताबिक इस पहल के जरिए, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने अफगानिस्तान, इथियोपिया, केनया, सोमालिया, सूडान और यमन में जरूरतमन्द लोगों के लिए गेहूं भेजा गया.

Al Jazeera की रिपोर्ट के मुताबिक काला सागर से निकलने वाले शिपमेंट का औसत आकार लगभग 32,450 टन है. अब तक का सबसे ज्यादा (7.96 मिलियन टन) चीन को निर्यात किया गया है. इसके बाद स्पेन (5.98 मिलियन टन), तुर्की (3.24 मिलियन), इटली (2.1 मिलियन), नीदरलैंड (1.96 मिलियन) और मिस्र (1.55 मिलियन) देशों के लिए गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक UN का कहना है कि

इस समझौते से खाद्य कीमतों में 20 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी को रोकने में मदद मिली है, लेकिन रूस का कहना है कि अनाज गलियारे के जरिए पहुंचाई जाने वाली खाद्य आपूर्ति दुनिया के सबसे गरीब देशों तक नहीं पहुंच रही है. लगभग 44 प्रतिशत निर्यात उन देशों को किया गया है, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र उच्च आय वाले देश कहता है.
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समझौते के बाद कितना अनाज ट्रांसपोर्ट किया गया है?

रूस और यूक्रेन के बीच समझौता होने के बाद से अब तक कई मिलियन टन अनाज का निर्यात किया जा चुका है. UN के आंकड़ों के मुताबिक करीब 32.9 मिलियन मीट्रिक टन अनाज काला सागर के जरिए जा चुका है. इसमें ज्यादातर अनाज मक्का (16.9 मिलियन टन) और गेहूं (8.91 मिलियन टन) रहा है.

यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (UNWFP) में भी 725,200 (2.2 प्रतिशत) टन का योगदान दिया है.

यूक्रेन को आमतौर पर यूरोप की रोटी की टोकरी कहा जाता है, इसकी 55 प्रतिशत से ज्यादा जमीन खेती के काबिल है. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद 2022-23 के दौरान यह मकई का आठवां सबसे बड़ा उत्पादक और गेहूं का नौवां सबसे बड़ा उत्पादक था.

काला सागर के जरिए निर्यात की गई अन्य खाद्य वस्तुओं में सूरजमुखी भोजन (1,857,917 टन), सूरजमुखी तेल (1,650,092 टन), जौ (1,268,298 टन) और रेपसीड (1,000,859 टन) शामिल हैं.

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रूस के ऐलान के बाद यूक्रेन ने क्या कहा?

यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की ने रूस के फैसले के जवाब में कहा कि मॉस्को के समझौते से पीछे हटने के बावजूद कीव अनाज निर्यात जारी रखने के लिए तैयार है.

France24 की रिपोर्ट के मुताबिक जेलेंस्की ने कहा कि हम डरते नहीं हैं. हमसे उन कंपनियों ने बात की है, जिनके पास जहाज हैं. उन्होंने कहा कि वे शिपमेंट जारी रखने के लिए तैयार हैं.

यूक्रेन ने मंगलवार की सुबह कहा था कि

रूस द्वारा "ड्रोन हमला" लॉन्च करने के बाद उसने दक्षिणी ओडेसा इलाके में हवाई सुरक्षा एक्टिव कर दी गई है, जहां अनाज की शिपिंग के लिए जरूरी समुद्री टर्मिनल हैं.

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