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यूक्रेन पर छाया रूसी हमले का साया: क्या 2014 का इतिहास दोहराएगा मॉस्को ?

2014 में Ukraine के हिस्से पर Russia ने कैसे किया था कब्जा, क्या कहता है 2015 का मिन्स्क समझौता ?

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इस सप्ताह होने जा रहे एक शीर्ष-स्तरीय बैठक से पहले यूक्रेन के मुद्दे पर वाशिंगटन और मॉस्को के बीच तनाव बढ़ना जारी है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चेतावनी दी है कि रूस (Russia) ने यूक्रेन (Ukraine) के खिलाफ "महत्वपूर्ण आक्रामक कदम" उठाने की योजना बनाई है.

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1 दिसंबर को लातविया की राजधानी रीगा में NATO मंत्रियों की एक बैठक के बाद एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका "इस सबूत से गहराई से चिंतित है कि रूस ने यूक्रेन के खिलाफ महत्वपूर्ण आक्रामक कदम उठाने की योजना बनाई है".

अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका को यह नहीं पता है कि क्या रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने "यूक्रेन पर आक्रमण करने का फैसला किया है, लेकिन हम जानते हैं कि वह जब चाहें तब शॉर्ट ऑर्डर पर ऐसा करने की क्षमता बना रहे हैं"

हाल के हफ्तों में रूसी टैंक एक बार फिर से पश्चिमी यूक्रेन की ओर बढ़ रहे हैं. अब अमेरिकी खुफिया हलकों में सरगर्मी तेज है और यहां तक ​​​​कि कड़ी चेतावनी दी जा रही है कि अब एक बार फिर यूक्रेन पर कब्जा करने की कोशिश की जा सकती है.

क्या फिर से ‘रूस यूक्रेन पर सीधा हमला करने जा रहा है’ के सवाल के पहले जानते हैं कि कैसे 2014 में भी रूस ने यूक्रेन पर सीधा हमला किया था.

जब 2014 में यूक्रेन के हिस्से पर रूस ने किया था कब्जा

1991 के पतन तक यूक्रेन सोवियत यूनियन का हिस्सा था. उसके बाद से ही रूस ने अपने इस पड़ोसी देश पर प्रभुत्व रखने की मांग की है. यूक्रेन के पूर्वी औद्योगिक क्षेत्र, जिसे डोनबास के नाम से जाना जाता है, में अलगाववादी संघर्ष अप्रैल 2014 में भड़क उठा.

यह अलगाववादी संघर्ष यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर रूस के कब्जा करने के कुछ हफ्तों बाद आया था. ज्यादातर रूसी भाषी पूर्वी क्षेत्र में हथियारबंद विद्रोहियों ने सरकारी भवनों को जब्त कर लिया और Donetsk और Luhansk क्षेत्रों में 'लोगों के गणराज्य' की घोषणा की गयी.

तब यूक्रेन और पश्चिमी शक्तियों ने आरोप लगाया कि रूस ने अलगाववादियों का समर्थन करने के लिए पूर्व में सेना और हथियार भेजे हैं. जबकि मॉस्को ने उन दावों का खंडन करते हुए जोर देकर कहा है कि विद्रोहियों के साथ लड़ने वाले रूसी अपने दम पर वहां गए थे.

इसी तनाव के बीच एम्स्टर्डम से कुआलालंपुर जा रहे मलेशियन एयरलाइंस के जहाज को 17 जुलाई, 2014 को पूर्वी यूक्रेन में मार गिराया गया था, जिसमें सवार सभी 298 लोग मारे गए थे. नीदरलैंड की सरकार ने आरोप लगाया कि इसे रूस समर्थित अलगाववादियों द्वारा नियंत्रित क्षेत्र से एक रूसी बक मिसाइल से ही दागा गया था. हालांकि रूस ने किसी भी हाथ से इनकार किया.

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अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने क्रीमिया पर कब्जे के लिए मॉस्को पर प्रतिबंध लगाए. इस प्रतिबंध ने पश्चिमी टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर को रोक दिया है और वैश्विक पूंजी बाजारों तक रूस की पहुंच को भी ब्लॉक कर दिया. जवाब में अधिकांश पश्चिमी खाने की वस्तुओं पर बैन लगाकर रूस ने जवाबी कार्रवाई की.

यूक्रेन की सैन्य हार के बाद “शांति समझौता”

यूक्रेन की सैन्य हार की एक श्रृंखला के बाद फ्रांस और जर्मनी की मध्यस्थता में शांति समझौता किया गया, जिसपर फरवरी 2015 में बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में मुहर लगी.

समझौते के मुताबिक यूक्रेन को विद्रोही क्षेत्रों को व्यापक स्वायत्तता प्रदान करना था और विद्रोहियों के लिए माफी की घोषणा करनी थी. यह भी निर्धारित किया गया था कि यूक्रेन विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्रों में रूस से अपनी सीमा पर पूर्ण नियंत्रण तभी हासिल करेगा, जब वह स्थानीय नेताओं और विधायिकाओं का चुनाव करवाएगा. उम्मीद के मुताबिक यूक्रेन में कई लोगों ने इस डील को राष्ट्रीय हितों के साथ विश्वासघात के रूप में देखा और इसका विरोध किया.
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मिन्स्क समझौते ने बड़े पैमाने पर तो दोनों देश के बीच हिंसा को समाप्त करने में मदद की, लेकिन छिटपुट झड़पें जारी रहीं और राजनीतिक समझौते के प्रयास रुक गए. यूक्रेन ने बार-बार मिन्स्क डील को संशोधित करने की मांग रखी, जिसे रूस ने खारिज कर दिया है.

बढ़ते तनाव के बीच क्या फिर से यूक्रेन पर हमला करेगा रूस ?

यूक्रेन ने पहले तो अमेरिका के द्वारा उसके बॉर्डर पर रूस के असामान्य सैन्य टुकड़ी के निर्माण की बात को खारिज कर दिया था, लेकिन अब उसने चिंता जाहिर करनी शुरू कर दी है.

यूक्रेन के सैन्य खुफिया के प्रमुख Kyrylo Budanov के अनुसार, लगभग 90,000 रूसी सैनिक अब यूक्रेन के आसपास के क्षेत्र में तैनात हैं. उनका मानना ​​​​है कि रूसी सैनिक अगले साल की शुरुआत में कई दिशाओं से हमला कर सकते हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या रूस यूक्रेन में सैन्य आक्रमण की साजिश रच रहा है रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने पिछले वीकेंड एक इंटरव्यू में "अनावश्‍यक डर फैलाना" कहकर इस तरह की धारणा को खारिज कर दिया.
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रूसी अधिकारियों ने इससे पहले कहा है कि यूक्रेन के प्रति मॉस्को का रुख विशुद्ध रूप से रक्षात्मक है और उलटे यूक्रेन पर ही पूर्वी यूक्रेन में रूसी समर्थक विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्रों पर फिर से कब्जा करने की साजिश रचने का आरोप लगाया.

यूक्रेन के लिए दूसरी चिंता की बात है बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको का इस मुद्दे पर रुख. राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने कहा कि उनका देश यूक्रेन के साथ किसी भी संघर्ष में मॉस्को के साथ खड़ा रहेगा. यूरोप के अंतिम तानाशाह माने जाने वाले लुकाशेंको ने साफ शब्दों में कहा है कि "मैं यूक्रेन को अपना बनाने के लिए सब कुछ करूंगा. यह हमारा यूक्रेन है.”

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