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दुनिया पूछ रही थी-पुतिन के दिमाग में क्या चल रहा है?पुतिन ने खुद जाहिर किए इरादे

पुतिन ने कहा-यूक्रेन अमेरिका की कॉलोनी बन चुका है, जहां कठपुतली सरकार चल रही है

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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के दिमाग में क्या चल रहा है? वो आखिर खुलकर अपने इरादे क्यों नहीं जता रहे? पुतिन ने क्यों रहस्यमयी चुप्पी साध रखी है? ये कुछ ऐसे सवाल थे जो दुनिया भर में गूंज रहे थे. अब इन सवालों का जवाब देने के लिए रूस के राष्ट्रपति ने मुंह खोला और सब कुछ साफ-साफ बताया. पुतिन का सबसे बड़ा खतरनाक इरादा तब सामने आया जब उन्होंने यूक्रेन के विद्रोहियों के कब्जे वाले लुहांस्क और डोनेस्टक प्रांत को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दे दी.

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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन गवर्नमेंट, नाटो सेनाओं और अमेरिका पर भी खुलकर प्रहार किए. हम आपको बता रहे हैं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने संबाेधन में लुहांस्क और डोनेस्टक प्रांत को मान्यता देने के अलावा और क्या-क्या कहा.

अमेरिका पर हमलावर अंदाज

पुतिन ने कहा-''यूक्रेन अमेरिका की कॉलोनी बन चुका है, जहां कठपुतली सरकार चल रही है. आप मुझे दोस्त नहीं बनाना चाहते हैं तो हमें एक दुश्मन बनाने की भी जरूरत नहीं है. अमेरिका ने हमें फिर से ब्लैकमेल करने की कोशिश की है. वे हमें प्रतिबंधों की धमकी दे रहे हैं. वे अपनी इस कोशिशों से दुनिया के आगे रूस की संप्रभुता और हमारी सेना की ताकत को ही सामने लाने का काम कर रहे हैं. यूक्रेन तो सिर्फ बहाना है, वे तो हम पर हमले और प्रतिबंधों के बहाने ढूंढते ही रहते हैं.

इन लोगों का केवल एक ही लक्ष्य है, रूस के विकास को रोकना. जैसा वे पहले से ही करते आए हैं. इसके लिए उन्हें किसी बहाने की जरूरत नहीं है. हमसे दिक्कत केवल इसलिए है क्योंकि हम अपनी संप्रभुता, राष्ट्रीय हितों और अपने मूल्यों से कभी समझौता नहीं करते हैं.''

मैं स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूं कि अब जब हमारे देश के लिए खतरों का स्तर काफी बढ़ रहा है, तो रूस के पास अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने और जवाबी कार्रवाई करने के लिए हर अधिकार मौजूद है, हम उनका प्रयोग जरूर करेंगे.
व्लादिमीर पुतिन, रूस के राष्ट्रपति
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रूस के लिए खतरे पर सचेत रवैया

पुतिन ने आगे कहा-हम भी इस बात को समझते हैं कि ऐसे हालात में रूस के लिए सैन्य खतरों का स्तर नाटकीय रूप से कई गुना बढ़ जाएगा. मैं इस बात काे लेकर भी सचेत हूं कि हमारे देश के खिलाफ स्ट्राइक्स किए जाने का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा. अमेरिकी वार डॉक्यूमेंट्स में तो एक दुश्मन देश की मिसाइल प्रणालियों को जवाब देने के लिए प्रीमेप्टिव स्ट्राइक किए जाने का उल्लेख है, और हम सब ये बात जानते हैं कि अमेरिका और नाटो का मुख्य दुश्मन कौन है? वे हमें यानी रूस को ही वह दुश्मन मानते हैं.

नाटो के दस्तावेजों में तो रूस को आधिकारिक तौर पर उत्तरी अटलांटिक सुरक्षा के लिए मुख्य खतरा घोषित किया गया है. यूक्रेन को वह हमारे खिलाफ एक बड़ी स्ट्राइक के लिए स्प्रिंगबोर्ड के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं. अगर हमारे रूस के पहले के नेताओं ने इस बात को सुना होता, तो शायद वे इस कपट पर विश्वास नहीं कर पाते. आज हम भी इस पर विश्वास नहीं करना चाहते, लेकिन यह रूस के खिलाफ इन देशों का यह दृष्टिकोण एक कड़वा सच है.
व्लादिमीर पुतिन, रूस के राष्ट्रपति

यूक्रेन पर चेतावनी का लहजा

पुतिन ने चेतावनी दी है कि-''यूक्रेन परमाणु हथियार बनाने की योजना बना रहा है, अगर ऐसा होता है तो इससे वर्ल्ड ऑर्डर में बड़ा बदलाव होगा. हाल ही के वक्त में वेस्टर्न कंट्रीज ने भी यूक्रेन को हथियारों की बड़ी सप्लाई की है. यूक्रेन अमेरिका के उपनिवेश की तरह से बर्ताव कर रहा है. यूक्रेन की सरकार अमेरिका के इशारों पर नाचने वाली कठपुतली बनी हुई है. इस सरकार के कारण ही इस देश के निवासी मुश्किल में हैं. यूक्रेन तुरंत सैन्य कार्रवाई बंद करे, अगर वह ऐसा नहीं करता तो सारे खून खराबे की जिम्मेदार आखिर में उसकी कैपिटल कीव में बैठी उसकी सरकार होगी.''

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अतीत की यादों पर टीस

पुतिन बोले-''1994 से ही यूक्रेन ने इस तरह से कार्य करना पसंद किया कि रूस के साथ संबंधों में उनके पास अधिकार तो सभी हैं, फायदे का कोई मौका चूके नहीं, पर दायित्व निभाने की जिम्मेदारी उसने कभी समझी नहीं. पहले कदम से ही उन्होंने हमें एकजुट करने वाली हर चीज को नकार दिया और अपने सिर्फ अपने स्टेटहुड पर ही ध्यान दिया. उन्होंने यूक्रेन में रहने वाले लोगों की ऐतिहासिक स्मृति, यूक्रेन की पूरी पीढ़ियों को ही विकृत करने की कोशिश की है''

रूसी योगदान पर कसीदे पढ़ डाले

पुतिन के मुताबिक-''आधुनिक यूक्रेन को कम्युनिस्ट शासन के तहत सोवियत रूस ने बनाया था. अधिक सटीक, बोल्शेविक, साम्यवादी रूस ने. हमारी यह प्रक्रिया 1917 की क्रांति के तुरंत बाद शुरू हुई थी, लेकिन आज यूक्रेन के कट्टरपंथी इसकी आजादी का श्रेय ले रहे हैं, जबकि उन्होंने आजादी के लिए कुछ किया ही नहीं है. सोवियत यूनियन के पतन के बाद यूक्रेन से रूस को सिर्फ धोखा और बेईमानी ही मिली पर इसे भुलाकर हमने यूक्रेन समेत कई देशों को मान्यता दी. यूक्रेन ने संपत्ति वापसी के समझौतों का भी पालन नहीं किया. आज तो यूक्रेन हद ही कर रहा है, वह रूस के साथ अपने साझा अतीत की बात को खारिज करते हुए हमारे देश को कमजोर करने के वालों के एजेंडे में उनका साथ दे रहा है.''

नाटो का विस्तार बंद किया जाए. यूक्रेन नाटो में शामिल होता है तो यह खतरे के निशान से ऊपर जाने वाली बात होगी. यूक्रेन संकट की असल वजह नाटो का विस्तार ही है, इससे आपसी भरोसे को बहुत क्षति पहुंची है. ये लोग हमें बार-बार यह समझाने की कोशिश करते हैं कि नाटो एक शांतिप्रिय और विशुद्ध रूप से रक्षात्मक गठबंधन है, वे कहते हैं कि नाटो से रूस के लिए कोई खतरा नहीं है. वे हमारे आगे प्रस्ताव रखते है कि हम उनके वचन को मान लें, लेकिन नाटो के इरादों की वास्तविकता हम जानते हैं.
व्लादिमीर पुतिन, रूस के राष्ट्रपति
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''पश्चिमी देशों का पिछलग्गू मत बनो''

पुतिन ने यूरोपीय देशों से कहा है कि-''वेस्टर्न कंट्रीज रूस का विकास रोकना चाहती हैं. इसी वजह से मामले को रूस के खिलाफ पेश किया जा रहा है. पश्चिम के देश रूस को ऐसे पेश करने में लगे हैं कि वह फिर से उभरती हुई शक्ति बनना चाहता है. अमेरिका का सहयोग करने वाले यूरोपीय देश रूस से उलझने के जोखिमों को अच्छी तरह से समझ चुके थे, लेकिन उन्हें केवल अमेरिका की जिद के कारण उसका साथ देना पड़ रहा है. अमेरिकियों ने पश्चिमी देशों का इस्तेमाल केवल अपनी रूसी विरोधी नीति को पूरा करने के लिए किया है.''

पुतिन ने कहा कि डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक और लुगांस्क पीपुल्स रिपब्लिक की स्वतंत्रता और संप्रभुता को तुरंत मान्यता देने के निर्णय को मैं अत्यंत आवश्यक समझता हूं. यह निर्णय बहुत पहले किया जाना चाहिए था.

परंपरा की दुहाई, लेनिन का गुणगान

पुतिन ने आगे कहा-''सोवियत यूक्रेन का उदय बोल्शेविक नीति के परिणामस्वरूप हुआ. हमारी नजरों में यूक्रेन लेनिन का यूक्रेन है. वही इसे रचने वाले थे. दस्तावेजों से इस बात की पुष्टि भी हो चुकी है. अब यूक्रेन में लेनिन के स्मारकों को ध्वस्त किया जा रहा है. इसे ही वे डीकम्युनाइजेशन का नाम देते हैं. ठीक है, आपको ऐसा ही सही लगता है तो करें, लेकिन अब हम आपको यह दिखाने के लिए तैयार हैं कि यूक्रेन के लिए वास्तविक डीकम्युनाइजेशन क्या हो सकता है.''

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