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‘अगर रूसी सेना से भिड़ी NATO तो होगी वैश्विक तबाही’, पुतिन की बड़ी चेतावनी

Russia Ukraine War: इससे पहले पुतिन ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की चेतावनी दी थी.

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‘अगर रूसी सेना से भिड़ी NATO तो होगी वैश्विक तबाही’, पुतिन की बड़ी चेतावनी
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रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने बड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने साफ और सख्त लहजे में कहा कि अगर रूसी सेना से NATO की भिड़ंत होती है तो 'वैश्विक तबाही' होगी. पुतिन ने कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए यह बात कही.

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"किसी भी परिस्थिति में रूसी सेना के साथ NATO सैनिकों का सीधा टकराव एक बहुत ही खतरनाक कदम है जो वैश्विक तबाही का कारण बन सकता है. मुझे उम्मीद है कि जो लोग ऐसा कह रहे हैं वे इतने समझदार हैं कि ऐसा कदम नहीं उठाएंगे."
व्लादिमीर पुतिन, राष्ट्रपति, रूस

परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की चेतावनी

इससे पहले, पुतिन ने पिछले महीने यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर कब्जा करने के बाद रूसी क्षेत्र की रक्षा के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की चेतावनी दी थी. इस कदम की संयुक्त राष्ट्र ने इस हफ्ते निंदा की है.

वहीं व्हाइट हाउस की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, मंगलवार को G7 देशों ने चेतावनी दी थी कि यूक्रेन पर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के गंभीर परिणाम होंगे. G7 देशों के नेताओं ने एक स्वर में कहा था कि रूस की तरफ से भड़काऊ बयानबाजी से वैश्विक शांति और सुरक्षा प्रभावित हो रही है.

वहीं रूस के यूक्रेन पर परमाणु हमले के सवाल पर बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने कहा था कि, "पेंटागन को प्रतिक्रिया देने के लिए किसी से पूछने की जरूरत नहीं होगी." बाइडन के इस जवाब से स्पष्ट है कि ऐसी कोई भी परिस्थिति आने पर अमेरिका घातक जवाब देने को तैयार है.

भारत और चीन करीबी सहयोगी- पुतिन

कजाकिस्तान में प्रेस को संबोधित करते हुए पुतिन ने भारत और चीन को लेकर भी बयान दिया है. उन्होंने दोनों देशों को अपना करीबी सहयोगी बताते हुए कहा कि भारत और चीन ने हमेशा बातचीत शुरू करने और यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया है.

"हम उनकी स्थिति जानते हैं. वो हमारे करीबी सहयोगी और साझेदार हैं और हम उनकी स्थिति का सम्मान करते हैं."
व्लादिमीर पुतिन, राष्ट्रपति, रूस

बता दें कि, भारत शुरू से कहता रहा है कि संघर्ष को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए. पिछले महीने समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान करते हुए "लोकतंत्र, संवाद और कूटनीति" के महत्व पर जोर दिया था.

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