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सऊदी प्रिंस को PM बनाकर उन्हें जमाल खशोगी मर्डर केस में बचाया जा रहा है?

Saudi Arab के लोगों को क्या MBS के ताकत में आने पर मिलेगी 'आजादी'?

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27 सितंबर को सऊदी अरब के सुल्तान सलमान ने अपने बेटे मोहम्मद बिन सलमान को देश के प्रधानमंत्री के तौर पर नामित किया. मोहम्मद बिन सलमान को संक्षिप्त रूप से एमबीएस के नाम से भी जाना जाता है.

सऊदी अरब में प्रधानमंत्री की भूमिका आमतौर पर वहां के सुल्तान द्वारा निभाई जाती है, लेकिन अब 86 वर्षीय सम्राट ने प्रधानमंत्री के रूप में एमबीएस की नियुक्ति करते हुए सऊदी अरब में सत्ता के लगातार चले आ रहे हस्तांतरण को आगे बढ़ाया है. हालांकि इस कदम से देश की मौजूदा यथास्थिति में बदलाव की संभावना नहीं है.

शाही फरमान के माध्यम से यह घोषणा की गई कि सम्राट अपनी दो उपाधियों (सुल्तान और प्रधानमंत्री) में से एक का त्याग करते हुए अपने बेटे को प्रधानमंत्री के तौर पर नामित कर रहे हैं. यह सऊदी कानून में एक अपवाद है. क्योंकि पहले सुल्तान ही प्रधानमंत्री होता था लेकिन अब प्रधानमंत्री और सुल्तान का पद अलग-अलग शख्स के पास है.

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एमबीएस की नियुक्ति के पीछे का तर्क शाही फरमान में नहीं बताया गया है. जबकि सरकार द्वारा संचालित समाचार एजेंसी एसपीए ने कहा कि किंग सलमान (जो अभी देश के मुखिया हैं) आगे भी उस कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करते रहेंगे जिसमें वह हिस्सा लेते हैं.

कौन हैं क्राउन प्रिंस एमबीएस?

मोहम्मद बिन सलमान यानी एमबीएस अभी तक सऊदी अरब के उप-प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के तौर पर सेवाएं दे रहे थे. सापेक्ष अस्पष्टता के साथ मोहम्मद बिन सलमान पहली बार पावर में तब आए जब 2015 में पिता किंग सलमान ने 2015 में गद्दी संभाली थी और उन्हें अर्थव्यवस्था, रक्षा और तेल जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण सरकारी विभागों का प्रमुख बनाया.

2017 में सुल्तान ने अपने भतीजे मोहम्मद बिन नायेफ को पद से हटाया और एमबीएस को क्राउन प्रिंस बना दिया.

जब से उन्होंने यह पद संभाला तब एमबीएस को देश में सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में से एक के तौर पर देखा गया है और क्राउन प्रिंस बनने के बाद वे वाकई में सऊदी अरब के शासक और सिंहासन के उत्तराधिकारी बने.

'प्रमोशन' का क्या महत्व है?

  • यह साम्राज्य में सत्ता के हो रहे स्थिर हस्तांतरण का संकेत देता है.

  • एमबीएस को जो नया पद दिया गया है, वह उनके लिए शीर्ष पद (वर्तमान में जिस पर किंग सलमान काबिज हैं) पर पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करता है.

  • यह प्रमोशन ऐसे समय पर आया है जब उनके साम्राज्य को ईरान और कतर के साथ बहुत ज्यादा तनाव का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही एमबीएस के बमबारी अभियान की वजह से उनका साम्राज्य यमन में युद्ध में उलझा हुआ है.

  • सऊदी की रूढ़िवादी सामाजिक-धार्मिक छवि को रीब्रांड करने के प्रयास में एमबीएस ने खुद को एक समाज सुधारक के तौर पर प्रस्तुत किया है ताकि वे साम्राज्य में "नरम इस्लाम" को कायम कर सकें.

  • इस प्रमोशन की वजह से एमबीएस को वास्तविक शासक के तौर पर वैधता मिलती है और उन्हें राजा की ओर से निर्णय लेने का अधिकार मिलता है.

  • क्राउन प्रिंस ने विजन 2030 नाम से एक महत्वाकांक्षी प्लान प्रस्तुत किया था. यह योजना तेल पर निर्भरता को कम करने और सऊदी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने का प्रयास करती है. अब चूंकि क्राउन प्रिंस प्रमोट होकर पीएम बन गए हैं, ऐसे में इस प्लान को बल मिलेगा.

  • एमबीएस को जो प्रमोशन मिला है उसका महत्व केवल साम्राज्य तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उसे अमेरिका सहित दुनिया भर में महसूस किए जाने की संभावना है. विशेषज्ञों का मानना है कि एमबीएस की पदोन्नति का समय संभवत: पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या में उनकी कथित भूमिका के लिए अगले सप्ताह अमेरिकी अदालत की दी गई मियाद से जुड़ी है. अदालत ने अमेरिकी सरकार से पूछा कि क्या एमबीएस के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए. क्या उन्हें एक राष्ट्राध्यक्ष होने के नाते सुरक्षा मिली हुई है?

आइए हम उन दो क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करें जहां मोहम्मद बिन सलमान का प्रमोशन सबसे ज्यादा मायने रखता है.

जमाल खशोगी की हत्या : ऐसा मामला जो धुंधला पड़ रहा है

पत्रकार जमाल खशोगी वाशिंगटन पोस्ट के एक स्तंभकार थे. अक्टूबर 2018 में इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास के अंदर खशोगी की हत्या कर दी गई थी, जबकि उनकी मंगेतर हैटिस बाहर इंतजार कर रही थी. वह अपने विवाह से संबंधित डॉक्यूमेंट्स के लिए वाणिज्य दूतावास गए थे. इसके बाद सऊदी अरब की एक हिट टीम ने उन पर हमला बोल दिया और उनकी बॉडी को काट कर ऐसे ठिकाने लगाया कि आज तक उसका निशान नहीं मिला.

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हालांकि एमबीएस ने किसी भी संलिप्तता से इनकार किया है लेकिन तुर्की के अधिकारियों की जांच में हत्या का एक ऑडियो टेप सामने आया, जिसे अमेरिका की केंद्रीय जांच एजेंसी (सीआईए) के लिए चलाया गया था. सीआईए इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि खशोगी की मौत के लिए एमबीएस दोषी था और संभवत: उसने ही पत्रकार की हत्या का आदेश दिया था.

एमबीएस के 'प्रमोशन' के समय को लेकर कई टिप्पणीकारों ने सवाल उठाया है और दावा किया है कि विदेश यात्रा के दौरान क्राउन प्रिंस की संभावित गिरफ्तारी या अन्य कानूनी चुनौतियों को लेकर किसी भी चिंता को दूर करने में यह निर्णय मदद कर सकता है.

एक अमेरिकी जज ने जो बाइडेन प्रशासन से इस पर टिप्पणी करने का अनुरोध किया है कि क्या खशोगी की मंगेतर, हैटिस केंगिज द्वारा शुरू किए गए मामले में क्राउन प्रिंस को संप्रभु प्रतिरक्षा (sovereign immunity) द्वारा प्रोटेक्शन दी जानी चाहिए. आमतौर पर यह प्रोटेक्शन केवल प्रधानमंत्री या राजा जैसे वैश्विक नेताओं को दी जाती है.

हालांकि, 1991 के टॉर्चर विक्टिम प्रोटेक्शन एक्ट के तहत एमबीएस के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था, जिसका इस्तेमाल पहले अन्य विदेशी नेताओं पर मुकदमा चलाने के लिए किया जाता रहा है.

बाइडेन प्रशासन द्वारा अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए समय की मांग के बाद एक जिला अदालत के न्यायाधीश ने समय सीमा बढ़ाकर 3 अक्टूबर कर दी है. यह समय सीमा पहले अगस्त के लिए निर्धारित थी. न्यायाधीश ने प्रशासन से यह स्पष्ट करने के लिए कहा है कि क्या उसे लगता है कि एमबीएस को उन कानूनों के तहत सुरक्षा दी जानी चाहिए जो किसी राष्ट्र के राष्ट्राध्यक्ष की रक्षा करते हैं.

द गार्जियन द्वारा खशोगी मुकदमे के पक्षकार और डॉन के खाड़ी निदेशक अब्दुल्ला अलाउध को भी उद्धृत किया गया था. डॉन वाशिंगटन स्थित एक लोकतंत्र समर्थक संगठन है.

"ऐसा प्रतीत होता है कि प्रिंस मोहम्मद को 3 अक्टूबर को बाइडेन प्रशासन की प्रतिक्रिया से पहले यह कदम उठाने की सलाह दी गई है."
अब्दुल्ला अलाउध

खशोगी की घटना के बाद एमबीएस इस उम्मीद में सार्वजनिक दृष्टि से छिप गए ताकि सऊदी की जनता इस भयानक हत्याकांड को भूल जाएगी. हालांकि अगर साम्राज्य में बढ़ती आलोचना और असंतोष कोई संकेत है, तो सऊदी नागरिकों के दिमाग में खशोगी की हत्या बनी हुई है.

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वास्तविक शासक के तौर पर वैधता

सऊदी की रूढ़िवादी सामाजिक-धार्मिक छवि को रीब्रांड करने और देश की तेल-समृद्ध अर्थव्यवस्था में विविधता लाने के प्रयास में एमबीएस ने खुद को एक सामाजिक और आर्थिक सुधारक के तौर पर प्रस्तुत किया है.

एमबीएस ने 2016 में तेल पर निर्भरता को कम करने, सऊदी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने और स्वास्थ्य, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, मनोरंजन और पर्यटन जैसे पब्लिक सर्विस सेक्टर्स को विकसित करने के लिए अपना विजन 2030 प्लान प्रस्तुत किया था.

विजन 2030 प्लान के तहत साम्राज्य ने नागरिकों को कुछ मनोरंजक गतिविधियों और यहां तक कि कुछ 'बुराइयों' में हिस्सा लेने की अनुमति दी. सिनेमाघरों और संगीत कार्यक्रमों को वैध बनाया और सबसे महत्वपूर्ण रूप से हिप-हॉप आर्टिस्ट्स को परफॉर्म करने के लिए आमंत्रित किया.

उसी वर्ष, उन्होंने धार्मिक पुलिस की शक्तियों को कम किया और बाद में सऊदी महिलाओं को अधिक अधिकार प्रदान किए जैसे कि ड्राइविंग करने का अधिकार, महिलाओं को स्टेडियम में बैठकर फुटबॉल मैच देखने की अनुमति देना, स्वतंत्र रूप से यात्रा करने की अनुमति इसके अलावा पुरुष अभिभावक की आवश्यकता के बिना मक्का की तीर्थ यात्रा करने की अनुमति देना.

पश्चिम द्वारा उनके सुधारों का स्वागत किया गया था, लेकिन साम्राज्य में कई लोगों, विशेष रूप से शाही परिवार के रूढ़िवादी सदस्यों द्वारा उनके सुधारों को अनुकूल रूप से नहीं देखा जाता था.

2017 में एमबीएस ने अपने ही रिश्तेदारों और सऊदी के सैकड़ों अमीरों को भ्रष्टाचार के अनौपचारिक आरोपों में रियाद के रिट्ज-कार्लटन होटल में कैद कर लिया.

वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक एमबीएस के चचेरे भाई प्रिंस खालिद बिन तलाल थे. रिपोर्ट के अनुसार खालिद बिन तलाल एक व्यापारी और प्रसिद्ध धार्मिक रूढ़िवादी थे, ये कथित तौर पर कुछ सुधारों के खिलाफ थे.

शाही परिवार के शक्तिशाली सदस्यों को गिरफ्तार करने और जेल में डालने के कदम को एमबीएस के अधिकार और राजा के उत्तराधिकारी के रूप में उनकी वैधता पर सवाल उठाने के किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए एक निवारक उपाय के तौर पर देखा गया था. इस कदम ने उन्हें एक सत्तावादी के तौर पर भी स्थापित किया जो अपने ही रिश्तेदारों को जेल तक ले जाएगा. तब से लेकर एमबीएस ऐसे शख्स के तौर बने हुए हैं जिसे कोई चुनौती नहीं दे सकता. एमबीएस देश का वास्तविक शासक बन गए हैं, राजा की ओर से निर्णय लिया और चूंकि किंग सलमान ने राज्य के मामलों में अपनी भूमिका कम कर दिया, ऐसे में एमबीएस ने सुल्तान के प्रतिनिधि के तौर पर सरकारों के प्रमुखों से मिलना-जुलना किया.

प्रधान मंत्री के तौर पर उनकी नियुक्ति हो गई है, इसके साथ ही मोहम्मद बिन सलमान के पास अपने लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए अधिक नियंत्रण और वैधता होगी.

(द गार्जियन, द वाशिंगटन पोस्ट और द एटलान्टिक पोस्ट के इनपुट के साथ.)

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