श्रीलंका (Srilanka Economic Crisis) के शैक्षिक प्रकाशन विभाग के आयुक्त जनरल पी.एन. इलपेरुमा ने कहा है कि कागज और अन्य संबंधित सामान की कमी के कारण स्कूली पाठ्यपुस्तकों के मुद्रण में देरी हो रही है। डेली मिरर की रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। उन्होंने डेली मिरर को बताया कि देश में मौजूदा ईंधन संकट के कारण स्कूलों को मुद्रित पाठ्यपुस्तकों के वितरण में भी देरी हो रही है।
कोविड-19 महामारी से पहले के दिनों में पाठ्यपुस्तकों की छपाई कोई मुद्दा नहीं था। वर्तमान बिजली रुकावट ने पाठ्यपुस्तक मुद्रण पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है।
रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, "राज्य मुद्रण निगम के कई खंड और निजी प्रिंटर कोविड महामारी के कारण बंद हो गए हैं। इसलिए, परियोजनाओं के पूरा होने में देरी हुई। हालांकि, राज्य मुद्रण निगम में 45 प्रतिशत स्कूली पाठ्य पुस्तकें मुद्रित की गईं।"
श्रीलंका में स्कूली बच्चों के बीच लगभग 38 मिलियन पाठ्य पुस्तकें वितरित की जानी हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 32.5 मिलियन पाठ्यपुस्तकों का मुद्रण किया जाएगा।
सरकार ने पाठ्य पुस्तकों की छपाई पर 2,338 मिलियन रुपये खर्च किए हैं, जिसमें वे किताबें भी शामिल हैं जो बच्चों को दी गई हैं। कुल 34.8 मिलियन (91.8 प्रतिशत) में पाठ्यपुस्तकों को प्रांतीय किताबों की दुकानों और सीधे कई स्कूलों में वितरित किया गया। 31.6 मिलियन (97 प्रतिशत) पाठ्य पुस्तकें मुद्रित की जानी हैं।
हालांकि, प्रकाशन विभाग को अगले स्कूल की अवधि शुरू होने से पहले शेष पाठ्य पुस्तकों को प्रिंट करना है।
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