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Afghanistan: लड़कियों के लिए स्कूल के बाद यूनिवर्सिटी भी बैन-ऐसे 6 तालिबानी फरमान

Taliban का आदेश जारी, अफगानिस्तान की सभी यूनिवर्सिटीज को तुरंत लड़कियों की शिक्षा को रोकने का निर्देश दिया गया है

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अफगानिस्तान (Afghanistan) से अमेरिका की रुखसती और फिर तालिबान (Taliban) के कब्जे को लगभग डेढ़ साल का वक्त गुजर चुका है. इस बीच तालिबान ने एक-एक कर कई फरमान जारी किए और वहां की महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को एक-एक कर कुचल दिया. अब एक ऐसा ही तुगलकी फरमान मंगलवार, 20 दिसंबर जारी हुआ जब तालिबान ने अफगानिस्तान की यूनिवर्सिटीज में लड़कियों की शिक्षा पर बैन लगा दिया. तालिबानी उच्च शिक्षा मंत्री ने घोषणा करते हुए कहा है कि यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा.

अगस्त 2021 से अफगानिस्तान में शुरू तालिबानी राज में यह पहला वाकया नहीं है जब महिलाओं से उनका मानवाधिकार छीना गया है. नजर डालते हैं तालिबान के उन 6 फरमानों पर जिन्होंने महिलाओं-लड़कियों के हितों के खिलाफ काम किया है.

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1. लड़कियां कॉलेजों में नहीं पढेंगी,उनके लिए यूनिवर्सिटी का दरवाजा बंद 

तालिबान के उच्च शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि अगली सूचना तक लड़कियों को अफगानिस्तान की यूनिवर्सिटीज में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी. अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार उच्च शिक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा पुष्टि किए गए एक लेटर में देश की सभी पब्लिक और प्राइवेट यूनिवर्सिटीज को तुरंत लड़कियों की शिक्षा को रोकने का निर्देश दिया गया है.

संयुक्त राष्ट्र/UN के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने इस कदम को "परेशान करने वाला" बताया है. उन्होंने कहा है कि तालिबान ने एक और वादा तोड़ दिया है.

2. स्कूली शिक्षा पर पहले ही लग चुका है ताला

यूनिवर्सिटीज में लड़कियों पर बैन का फरमान, पहले से दबा दी गयी महिला शिक्षा को और कमजोर कर रहा है. दरअसल पिछले साल अगस्त में तालिबान के लौटने के बाद से ही अफगानिस्तान की लड़कियों को सेकंडरी स्कूलों से बाहर कर दिया गया है. तालिबान ने सत्ता संभालने के साथ ही एलान किया कि उनके पिछले आश्वासनों के बावजूद लड़कियों को सेकंडरी स्कूलों में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. हालांकि वहां के शिक्षा मंत्रालय ने मार्च 2022 में स्कूलों को फिर से खोलने की घोषणा की थी, लेकिन स्कूल खोलने के कुछ ही घंटों बाद तालिबान के सुप्रीम लीडर हैबतुल्ला अखुंजदा का आदेश आ गया और उसपर फिर से ताला लग गया.

3. काबुल के पार्क में भी नो एंट्री

नवंबर 2022 में तालिबान ने काबुल के सभी पार्कों में महिलाओं के जाने पर प्रतिबंध लगा दिया. इससे पहले कम-से-कम महिलाओं को सप्ताह में तीन दिन - रविवार, सोमवार, मंगलवार - और बाकी के बचे चार दिन पुरुषों को पार्क जाने की अनुमति दी गई थी. लेकिन इस नो एंट्री वाले फरमान के बाद पार्क के अंदर पर महिलाओं पर पूरी तरह बैन लगा दिया गया, चाहे वो अपने घर के किसी मर्द के साथ आये तब भीं.

4. सभी महिलाओं को चेहरा ढक कर रहना होगा,नहीं तो जुर्माना,जेल और नौकरी जाएगी

तालिबान ने मई 2022 में अफगानिस्तान में सभी महिलाओं को सार्वजनिक स्थल पर अपना चेहरा ढंकने का आदेश जारी किया था. द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार इस आदेश में महिलाओं के रिश्तेदारों और उनको नौकरी पर रखने वालों पर ही इस बात की जिम्मेदारी डाली गयी थी कि आदेश का पालन हो. आदेश के अनुसार यदि महिला का चेहरा सार्वजनिक रूप से दिख जाता है, तो उनके पुरुष "गार्डियन/अभिभावक" पर जुर्माना लगाया जाएगा, फिर जेल होगी. रिपोर्ट के अनुसार आदेश में कहा गया है कि यही बिना चेहरा ढके बाहर जाने वाली महिला या उसके रिश्तेदार सरकार के लिए काम करते हैं, तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाएगा.

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5. अकेले दूर जाने की मनाही  

तालिबान अधिकारियों ने दिसंबर 2021 में कहा कि लंबी दूरी (72 KM से ज्यादा) तक यात्रा करने की चाह रखने वाली महिलाओं को तब तक गाड़ी/बस में नहीं बैठाया जाना चाहिए जब तक कि उनके साथ कोई करीबी पुरुष रिश्तेदार न हो. तालिबान के एक मंत्रालय द्वारा जारी की गयी गाइडलाइन्स में सभी वाहन मालिकों से केवल इस्लामिक हिजाब पहनने वाली महिलाओं को ही बैठने को कहा गया.

6. महिला एक्टर वाला कोई ड्रामा टीवी पर नहीं आएगा

नवंबर 2021 में ही अफगानिस्तान के तालिबान अधिकारियों ने एक नया 'धार्मिक दिशानिर्देश' जारी किया, जिसमें देश के टेलीविजन चैनलों से कहा कि वे ऐसे ड्रामा और सीरियल न दिखाए जिसमें महिला एक्टर्स हों. तालिबान ने साथ ही कहा कि टीवी पर आने वालीं महिला पत्रकारों को इस्लामिक हिजाब पहनना होगा. ऐसा ही एक आदेश मई 2022 में जारी किया गया था.

ये आंकड़े बता रहे महिलाओं के लिए कितने भयावह हैं हालात 

तालिबान ने वहां की महिलाओं को उनकी नौकरियां छोड़ने को मजबूर किया, उनके स्कूली शिक्षा पर पाबंदी लगाई, उनका सार्वजनिक तौर पर बाहर निकलना मुश्किल कर दिया है. जब तालिबान के शासन को अगस्त 2022 में एक साल पूरे हुए तो सेव द चिल्ड्रन ने ”Breaking point: Life for children one year since the Taliban takeover” नाम की एक रिपोर्ट प्रकाशित की. इस रिपोर्ट के अनुसार:

  • अफगानिस्तान में आर्थिक तंगी के कारण 97% परिवारों को अपने परिवार का पेट पालने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है और लड़कियां लड़कों से कम खा रही हैं.

  • अफगानिस्तान में लड़कियों के अक्सर भूखे सोने की संभावना लड़कों की तुलना में दोगुनी है और 10 में से 9 लड़कियों ने कहा कि उनका भोजन पिछले एक साल में कम हो गया है.

  • 16% लड़कों की तुलना में 26% लड़कियों में डिप्रेशन/अवसाद के लक्षण दिख रहे हैं जबकि 18% लड़कों की तुलना में 27% लड़कियां में एंग्जायटी/चिंता के लक्षण दिख रहे हैं.

  • जिन बच्चों ने कहा कि उन्हें पिछले एक साल में अपने परिवार की वित्तीय स्थिति में सुधार करने के लिए शादी करने के लिए मजबूर किया गया था, उनमें से 88% लड़कियां थीं.

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