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2022 में झेली हिंसा और दर्द: यूक्रेन,सीरिया,यमन समेत कई देशों में मुश्किल हालात

Top Global Crisis 2022: दुनिया के वो देश जहां के नागरिकों को जिंदगी जीने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

2022 में झेली हिंसा और दर्द: यूक्रेन,सीरिया,यमन समेत कई देशों में मुश्किल हालात
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साल 2022 बिल्कुल अपने आखिरी लम्हों में है और 2023 दहलीज पर दस्तक देने वाला है. दुनिया भर के देश दशकों से चले आ रहे तमात तरह के संघर्षों, आर्थिक उथल-पुथल और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) जैसे विनाशकारी प्रभावों से जूझ रहे हैं. इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी ने टॉप 10 ऐसे देशों की लिस्ट जारी है, जहां पैदा हुए मानवीय संकटों ने सारी दुनिया की नजर अपनी ओर खींची. आइए जानते हैं इन देशों में नागरिक किस तरह से जिंदगी जीने के लिए जद्दोजहद का सामना कर रहे हैं और साथ में ये भी जानेंगे कि आने वाले दिनों में किस तरह के हालात पैदा होने की आशंका है.

2022 में झेली हिंसा और दर्द: यूक्रेन,सीरिया,यमन समेत कई देशों में मुश्किल हालात

  1. 1. 1.रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War): दुनिया का सबसे बड़ा विस्थापन संकट

    संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के मुताबिक रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से यूक्रेन में पिछले कई दशकों में दुनिया का सबसे तेज और बड़ा विस्थापन संकट पैदा हुआ. मौजूदा वक्त में यूक्रेन में ऐसे लोगों की संख्या काफी ज्यादा है, जो रिसोर्सेज न होने की वजह से सर्दी का सामना कर रहे हैं. इसके अलावा देश के नागरिकों को भोजन, पानी, स्वास्थ्य और इस तरह की कई जरूरतों के लिए संघर्ष झेलना पड़ रहा है. बता दें कि यूक्रेन वॉचलिस्ट देशों में शामिल हो चुका है.

    2023 भी आशंकाओं से भरा

    पिछले कई महीनों से रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. साल 2023 में भी इसके जारी रहने की आशंका है. यूक्रेन के नागरिक बड़ी संख्या में चोट, बीमारी और मौत के बढ़ते जोखिम का सामना कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक लाखों लोगों के देश छोड़ने की आशंका है. 6.5 मिलियन यूक्रेनी नागरिक देश के अंदर विस्थापित हो गए हैं, जबकि यूरोप भर में 7.8 मिलियन से अधिक शरणार्थी हैं.

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  2. 2. 2.हैती (Haiti): सामूहिक हिंसा और जलवायु परिवर्तन से जूझ रहा देश

    2021 में हैती के राष्ट्रपति जोवेनेल मोइज की हत्या हो गई. इसके बाद देश में राजनीतिक अस्थिरता और सामूहिक हिंसा के बढ़ते मामले देखे गए. तमाम तरह के संकटों की वजह से हैती ऐसे देशों में शामिल हो गया है, जो संकट के मामले में शीर्ष पर हैं.

    देश में जलवायु परिवर्तन का असर और हैजा का प्रकोप आने से स्वास्थ्य और स्वच्छता प्रणालियों पर खास प्रभाव पड़ा है.

    खाद्य असुरक्षा बढ़ने का डर

    हैती में हो रही हिंसा की वजह से आने वाले दिनों में लोगों की आजीविका और जरूरी सेवाएं बाधित होते रहने के आशंका है. देश में अपहरण, बलात्कार और हत्याओं से संबंधित मामलों की संख्या में लागातार बढ़ोतरी देखी जा रही है, जिससे हजारों लोगों पर मौत का खतरा मंडराता दिख रहा है. IRC की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले दिनों में देश के अंदर खाद्य असुरक्षा के और ज्यादा खराब होने की आशंका है.

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  3. 3. 3.बुर्किना फासो (Burkina Faso): हमले, राजनीतिक तनाव से जूझता देश

    पश्चिमी अफ्रीकी देश बुर्किना फासो में लगातार हालात खराब होते जा रहे हैं. सशस्त्र समूह अपने हमलों को तेज कर रहे हैं और भूमि पर कब्जा कर रहे हैं. देश के राजनीतिक गुटों के बीच तनाव ने अस्थिरता को और ज्यादा बढ़ा दिया है. सशस्त्र बलों के सदस्यों ने 2022 में दो बार सत्ता पर कब्जा किया.

    आशंकाओं से भरा है भविष्य

    बुर्किना फासो का 40 फीसदी हिस्सा पर अब सशस्त्र समूहों का नियंत्रण है. देश में हो रहे संघर्ष और धन की कमी से मानवीय सहायता सही तरह से नहीं हो पा रही है. देश में खाने-पीने चीजों के दामों में लगभग 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. देश आने वाले दिनों में गंभीर संकट की आशंकाओं से भरा है.

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  4. 4. 4.दक्षिण सूडान (South Sudan): जलवायु परिवर्तन से बढ़ा संकट

    दक्षिण सूडान अभी भी 2018 में खत्म हुए गृहयुद्ध से पूरी तरह से नहीं उबर सका है. हालांकि संघर्ष कम हुआ है लेकिन स्थानीय स्तर पर लड़ाई व्यापक बनी हुई है. गंभीर बाढ़ और सूखे सहित जलवायु आपदाएं लोगों के लिए भोजन और बुनियादी संसाधनों तक पहुंच को लगातार कठिन बना रही हैं.

    लाखों नागरिकों के सामने खाद्य असुरक्षा की आशंका

    मौजूदा हालात को देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि आने वाले साल 2023 में पहले से कहीं अधिक देश के लगभग 7.8 मिलियन देश के नागरिक खाद्य असुरक्षा के संकट का सामना कर सकते हैं. गंभीर बाढ़, खत्म हो रही फसलों और बीमारी के प्रकोप के बावजूद, धन की कमी ने विश्व खाद्य कार्यक्रम को 2022 में अपनी खाद्य सहायता का हिस्सा निलंबित करने के लिए मजबूर किया.

    देश भर में संघर्ष से नागरिकों और मानवतावादी समर्थकों को भी खतरा है. सहायता कर्मियों के खिलाफ दक्षिण सूडान में लगातार दुनिया के उच्चतम स्तर की हिंसा होती है, जिससे उन्हें जरूरतमंद लोगों तक पहुंचने में मुश्किल होती है.
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  5. 5. 5.सीरिया (Syria): कई सालों की जंग से स्वास्थ्य संकट

    सीरिया में एक दशक से अधिक दिनों से चल रही जंग ने स्वास्थ्य प्रणाली को लगभग पूरी तरह से खत्म कर दिया है और देश को आर्थिक पतन के कगार पर छोड़ दिया है. पड़ोसी देश लेबनान में एक दशक के संघर्ष ने खाद्य कीमतों और गरीबी को और बढ़ा दिया है. मौजूदा वक्त में 75 प्रतिशत सीरिया के नागरिक अपनी सबसे बुनियादी जरूरतों को नहीं पूरा कर पा रहे हैं, इसके अलावा लाखों लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.

    2023 भी खतरों से भरा, घर छोड़कर भाग सकते हैं लोग

    इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में सीरिया के अंदर वस्तुओं की कीमतों में और बढ़ोतरी होगी. चल रहे संघर्ष और हवाई हमले नागरिकों को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर कर सकते हैं. पिछले एक दशक में पहली बार हैजा फैलने से सीरिया की स्वास्थ्य देखभाल और जल व्यवस्था के चरमराने का खतरा है.

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  6. 6. 6.यमन (Yemen): विफल संघर्षविराम से नए संघर्ष की आशंका

    यमन में संकट गहराता जा रहा है क्योंकि सशस्त्र समूहों और सरकारी फोर्स के बीच पिछले लगभग आठ सालों का संघर्ष अब तक नहीं सुलझ सका है. हालांकि युद्धविराम होने से कई महीनों तक लड़ाई में कमी देखने कों मिली. अक्टूबर 2022 में युद्धविराम खत्म हो गया और देश में हो रहे संघर्ष से आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी नकारात्मक परिणाम देखने को मिले.

    रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वक्त में देश की 80 प्रतिशत जनसंख्या अत्यधिक गरीबी में जिंदगी बिता रही है और 2.2 मिलियन बच्चे अत्यधिक कुपोषित हैं.

    फिर शुरू हो सकता है बड़ा संघर्ष

    सशस्त्र समूहों और सरकारी बलों के बीच युद्धविराम नहीं होने की वजह से 2023 में फिर से एक बड़ा संघर्ष फिर से शुरू हो सकता है. यमन में जब तक कोई लंबा युद्धविराम सम्झौता नहीं होगा, हिंसा का खतरा बना रहेगा.

    देश में स्थानीय स्तर पर लड़ाई जारी है, जिससे मानवीय संगठनों के लिए सबसे कमजोर लोगों को सहायता पहुंचाना मुश्किल हो गया है.

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  7. 7. 7.कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (Democratic Republic of the Congo): दशकों से चले आ रहे संघर्ष से जूझ रहा देश

    कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के पूर्वी इलाके में कब्जा करने के लिए 100 से अधिक सशस्त्र समूह लड़ाई कर रहे हैं. इन जंगों के दौरान नागरिकों को अक्सर निशाना बनाया जाता है. लगभग 10 वर्षों की निष्क्रियता के बाद, M23 सशस्त्र समूह ने 2022 में एक नया हमला शुरू किया, जिससे नागरिकों को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा.

    खसरा, मलेरिया और इबोला सहित प्रमुख बीमारी का प्रकोप पहले से ही कमजोर स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के लिए खतरा बना हुआ है, जिससे नागरिकों पर खतरे का साया मंडरा रहा है.

    सहायता संगठनों के खिलाफ बढ़ सकती है हिंसा

    कांगो में चल रहा संघर्ष प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है. जैसे-जैसे देश में चुनाव की तैयारी हो रही है, राजनीतिक अशांति बढ़ रही है. नेताओं पर जीत हासिल करने के लिए संघर्ष को उकसाने का आरोप लग रहा है. शांति प्रयासों के बावजूद, मतदान से पहले सहायता संगठनों के खिलाफ हिंसा बढ़ सकती है.

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  8. 8. 8.अफगानिस्तान (Afghanistan): गरीबी में पूरी आबादी, चंगुल में महिला अधिकार

    अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा करने के बाद से ही देश में लगातार स्थिति बिगड़ती नजर आई है. तालिबान की सरकार को एक साल से ज्यादा वक्त हो चुका है. देश में तमाम तरह के संकटों की वजह से अफगानिस्तान 2022 की वॉचलिस्ट में पहले स्थान पर है. देश की लगभग पूरी आबादी गरीबी में जी रही है.

    तालिबान सरकार आए दिन महिलाओं पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगा रही है और उनके अधिकारों को छीना जा रहा है. सरकार ने सभी स्थानीय और विदेशी गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को अपने यहां महिला कर्मचारियों को काम पर आने से रोकने का आदेश दिया है. 

    महिलाओं के लिए और ज्यादा खराब हो सकती है स्थिति

    देश में सूखे और बाढ़ की वजह से लाखों लोग अपनी बुनियादी जरूरतों को नहीं पूरा कर पा रहे हैं.

    आने वाले दिनों में अफगानिस्तान की महिलाओं और लड़कियों को और ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. उन पर हिंसा और शोषण का खतरा बना हुआ है. सरकार महिलाओं के लिए शिक्षा, पोशाक, यात्रा और राजनीतिक भागीदारी पर प्रतिबंध लगा रही है.

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  9. 9. 9.इथोपिया (Ethiopia): सूखे और संघर्ष से लाखों नागरिक परेशान

    इथियोपिया में लगातार पिछले 6 साल से बारिश नहीं हो रही है. देश के लगभग 24 मिलियन लोग सूखे से प्रभावित हैं और इसके बढ़ने की उम्मीद है. देश भर में तमाम तरह के संघर्ष लोगों का जीना हराम कर रहे हैं और मानवीय संगठनों की सहायता में बाधा बन रहे हैं. देश के 28.6 मिलियन लोगों को सहायता की जरूरत है.

    संसाधनों की कमी से भुखमरी की आशंका

    देश में बनी हुई खतरनाक स्थिति लोगों के सामने जीने का संकट पैदा कर रही है. यदि सहायता समूह राशि की कमी से बुरी तरह प्रभावित इथोपिया में संसाधनों की आपूर्ति नहीं कर पाएंगे, तो इथियोपिया के लोग भूखे मरेंगे क्योंकि वे सूखे और बढ़ती खाद्य कीमतों से खतरनाक रूप से प्रभावित हैं.

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  10. 10. 10.भुखमरी का संकट से जूझ रहा सोमालिया (Somalia)

    पूर्वी अफ्रीका में स्थित देश सोमालिया अभूतपूर्व सूखा और भुखमरी के संकट का सामना कर रहा है. लोग पहले ही भुखमरी से अपनी जान गंवा चुके हैं और देश पूरी तरह से अकाल के कगार पर है. रिपोर्ट के मुताबिक सोमालिया के इन हालातों के पीछे कोई प्राकृतिक वजह नहीं है बल्कि यह मानव जनित जलवायु परिवर्तन से आए सूखे की वजह से हो रहा है.

    दशकों के संघर्ष ने सोमालिया को इतना कमजोर बना दिया है कि देश इस तरह के किसी भी संकट का सामना करने के लिए खुद को तैयार नहीं कर पा रहा है. देश का बुनियादी ढांचा लगभग खत्म हो चुका है.

    जलवायु परिवर्तन और संघर्ष के कारण सोमालिया में खाद्य उत्पादन में गिरावट आई है. देश में 90% से अधिक गेहूं रूस और यूक्रेन से आता है.

    लगातार छठवें साल भी बारिश ना होने की आशंका

    इथियोपिया की तरह सोमालिया को भी 2023 में लगातार छठवें साल बिना बरसात के ही बिताना पड़ सकता है. रूस-यूक्रेन में युद्ध की वजह से खाने-पीने की चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं. नागरिकों को खाने के लिए जद्दोजहद का सामना करना पड़ रहा है.

    मानवीय संगठनों के पास गैर-राज्य सशस्त्र समूहों द्वारा नियंत्रित क्षेत्रों में लोगों तक पहुंचने की सीमित क्षमता है. यहां तक कि एक समूह द्वारा खाद्य वितरण को नष्ट करने और जल स्रोतों को जहरीला बनाने की भी खबरें सामने आई हैं.

    (हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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1.रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War): दुनिया का सबसे बड़ा विस्थापन संकट

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के मुताबिक रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से यूक्रेन में पिछले कई दशकों में दुनिया का सबसे तेज और बड़ा विस्थापन संकट पैदा हुआ. मौजूदा वक्त में यूक्रेन में ऐसे लोगों की संख्या काफी ज्यादा है, जो रिसोर्सेज न होने की वजह से सर्दी का सामना कर रहे हैं. इसके अलावा देश के नागरिकों को भोजन, पानी, स्वास्थ्य और इस तरह की कई जरूरतों के लिए संघर्ष झेलना पड़ रहा है. बता दें कि यूक्रेन वॉचलिस्ट देशों में शामिल हो चुका है.

2023 भी आशंकाओं से भरा

पिछले कई महीनों से रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. साल 2023 में भी इसके जारी रहने की आशंका है. यूक्रेन के नागरिक बड़ी संख्या में चोट, बीमारी और मौत के बढ़ते जोखिम का सामना कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक लाखों लोगों के देश छोड़ने की आशंका है. 6.5 मिलियन यूक्रेनी नागरिक देश के अंदर विस्थापित हो गए हैं, जबकि यूरोप भर में 7.8 मिलियन से अधिक शरणार्थी हैं.

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2.हैती (Haiti): सामूहिक हिंसा और जलवायु परिवर्तन से जूझ रहा देश

2021 में हैती के राष्ट्रपति जोवेनेल मोइज की हत्या हो गई. इसके बाद देश में राजनीतिक अस्थिरता और सामूहिक हिंसा के बढ़ते मामले देखे गए. तमाम तरह के संकटों की वजह से हैती ऐसे देशों में शामिल हो गया है, जो संकट के मामले में शीर्ष पर हैं.

देश में जलवायु परिवर्तन का असर और हैजा का प्रकोप आने से स्वास्थ्य और स्वच्छता प्रणालियों पर खास प्रभाव पड़ा है.

खाद्य असुरक्षा बढ़ने का डर

हैती में हो रही हिंसा की वजह से आने वाले दिनों में लोगों की आजीविका और जरूरी सेवाएं बाधित होते रहने के आशंका है. देश में अपहरण, बलात्कार और हत्याओं से संबंधित मामलों की संख्या में लागातार बढ़ोतरी देखी जा रही है, जिससे हजारों लोगों पर मौत का खतरा मंडराता दिख रहा है. IRC की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले दिनों में देश के अंदर खाद्य असुरक्षा के और ज्यादा खराब होने की आशंका है.

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3.बुर्किना फासो (Burkina Faso): हमले, राजनीतिक तनाव से जूझता देश

पश्चिमी अफ्रीकी देश बुर्किना फासो में लगातार हालात खराब होते जा रहे हैं. सशस्त्र समूह अपने हमलों को तेज कर रहे हैं और भूमि पर कब्जा कर रहे हैं. देश के राजनीतिक गुटों के बीच तनाव ने अस्थिरता को और ज्यादा बढ़ा दिया है. सशस्त्र बलों के सदस्यों ने 2022 में दो बार सत्ता पर कब्जा किया.

आशंकाओं से भरा है भविष्य

बुर्किना फासो का 40 फीसदी हिस्सा पर अब सशस्त्र समूहों का नियंत्रण है. देश में हो रहे संघर्ष और धन की कमी से मानवीय सहायता सही तरह से नहीं हो पा रही है. देश में खाने-पीने चीजों के दामों में लगभग 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. देश आने वाले दिनों में गंभीर संकट की आशंकाओं से भरा है.

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4.दक्षिण सूडान (South Sudan): जलवायु परिवर्तन से बढ़ा संकट

दक्षिण सूडान अभी भी 2018 में खत्म हुए गृहयुद्ध से पूरी तरह से नहीं उबर सका है. हालांकि संघर्ष कम हुआ है लेकिन स्थानीय स्तर पर लड़ाई व्यापक बनी हुई है. गंभीर बाढ़ और सूखे सहित जलवायु आपदाएं लोगों के लिए भोजन और बुनियादी संसाधनों तक पहुंच को लगातार कठिन बना रही हैं.

लाखों नागरिकों के सामने खाद्य असुरक्षा की आशंका

मौजूदा हालात को देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि आने वाले साल 2023 में पहले से कहीं अधिक देश के लगभग 7.8 मिलियन देश के नागरिक खाद्य असुरक्षा के संकट का सामना कर सकते हैं. गंभीर बाढ़, खत्म हो रही फसलों और बीमारी के प्रकोप के बावजूद, धन की कमी ने विश्व खाद्य कार्यक्रम को 2022 में अपनी खाद्य सहायता का हिस्सा निलंबित करने के लिए मजबूर किया.

देश भर में संघर्ष से नागरिकों और मानवतावादी समर्थकों को भी खतरा है. सहायता कर्मियों के खिलाफ दक्षिण सूडान में लगातार दुनिया के उच्चतम स्तर की हिंसा होती है, जिससे उन्हें जरूरतमंद लोगों तक पहुंचने में मुश्किल होती है.
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5.सीरिया (Syria): कई सालों की जंग से स्वास्थ्य संकट

सीरिया में एक दशक से अधिक दिनों से चल रही जंग ने स्वास्थ्य प्रणाली को लगभग पूरी तरह से खत्म कर दिया है और देश को आर्थिक पतन के कगार पर छोड़ दिया है. पड़ोसी देश लेबनान में एक दशक के संघर्ष ने खाद्य कीमतों और गरीबी को और बढ़ा दिया है. मौजूदा वक्त में 75 प्रतिशत सीरिया के नागरिक अपनी सबसे बुनियादी जरूरतों को नहीं पूरा कर पा रहे हैं, इसके अलावा लाखों लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.

2023 भी खतरों से भरा, घर छोड़कर भाग सकते हैं लोग

इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में सीरिया के अंदर वस्तुओं की कीमतों में और बढ़ोतरी होगी. चल रहे संघर्ष और हवाई हमले नागरिकों को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर कर सकते हैं. पिछले एक दशक में पहली बार हैजा फैलने से सीरिया की स्वास्थ्य देखभाल और जल व्यवस्था के चरमराने का खतरा है.

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6.यमन (Yemen): विफल संघर्षविराम से नए संघर्ष की आशंका

यमन में संकट गहराता जा रहा है क्योंकि सशस्त्र समूहों और सरकारी फोर्स के बीच पिछले लगभग आठ सालों का संघर्ष अब तक नहीं सुलझ सका है. हालांकि युद्धविराम होने से कई महीनों तक लड़ाई में कमी देखने कों मिली. अक्टूबर 2022 में युद्धविराम खत्म हो गया और देश में हो रहे संघर्ष से आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी नकारात्मक परिणाम देखने को मिले.

रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वक्त में देश की 80 प्रतिशत जनसंख्या अत्यधिक गरीबी में जिंदगी बिता रही है और 2.2 मिलियन बच्चे अत्यधिक कुपोषित हैं.

फिर शुरू हो सकता है बड़ा संघर्ष

सशस्त्र समूहों और सरकारी बलों के बीच युद्धविराम नहीं होने की वजह से 2023 में फिर से एक बड़ा संघर्ष फिर से शुरू हो सकता है. यमन में जब तक कोई लंबा युद्धविराम सम्झौता नहीं होगा, हिंसा का खतरा बना रहेगा.

देश में स्थानीय स्तर पर लड़ाई जारी है, जिससे मानवीय संगठनों के लिए सबसे कमजोर लोगों को सहायता पहुंचाना मुश्किल हो गया है.

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7.कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (Democratic Republic of the Congo): दशकों से चले आ रहे संघर्ष से जूझ रहा देश

कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के पूर्वी इलाके में कब्जा करने के लिए 100 से अधिक सशस्त्र समूह लड़ाई कर रहे हैं. इन जंगों के दौरान नागरिकों को अक्सर निशाना बनाया जाता है. लगभग 10 वर्षों की निष्क्रियता के बाद, M23 सशस्त्र समूह ने 2022 में एक नया हमला शुरू किया, जिससे नागरिकों को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा.

खसरा, मलेरिया और इबोला सहित प्रमुख बीमारी का प्रकोप पहले से ही कमजोर स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के लिए खतरा बना हुआ है, जिससे नागरिकों पर खतरे का साया मंडरा रहा है.

सहायता संगठनों के खिलाफ बढ़ सकती है हिंसा

कांगो में चल रहा संघर्ष प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है. जैसे-जैसे देश में चुनाव की तैयारी हो रही है, राजनीतिक अशांति बढ़ रही है. नेताओं पर जीत हासिल करने के लिए संघर्ष को उकसाने का आरोप लग रहा है. शांति प्रयासों के बावजूद, मतदान से पहले सहायता संगठनों के खिलाफ हिंसा बढ़ सकती है.

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8.अफगानिस्तान (Afghanistan): गरीबी में पूरी आबादी, चंगुल में महिला अधिकार

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा करने के बाद से ही देश में लगातार स्थिति बिगड़ती नजर आई है. तालिबान की सरकार को एक साल से ज्यादा वक्त हो चुका है. देश में तमाम तरह के संकटों की वजह से अफगानिस्तान 2022 की वॉचलिस्ट में पहले स्थान पर है. देश की लगभग पूरी आबादी गरीबी में जी रही है.

तालिबान सरकार आए दिन महिलाओं पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगा रही है और उनके अधिकारों को छीना जा रहा है. सरकार ने सभी स्थानीय और विदेशी गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को अपने यहां महिला कर्मचारियों को काम पर आने से रोकने का आदेश दिया है. 

महिलाओं के लिए और ज्यादा खराब हो सकती है स्थिति

देश में सूखे और बाढ़ की वजह से लाखों लोग अपनी बुनियादी जरूरतों को नहीं पूरा कर पा रहे हैं.

आने वाले दिनों में अफगानिस्तान की महिलाओं और लड़कियों को और ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. उन पर हिंसा और शोषण का खतरा बना हुआ है. सरकार महिलाओं के लिए शिक्षा, पोशाक, यात्रा और राजनीतिक भागीदारी पर प्रतिबंध लगा रही है.

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9.इथोपिया (Ethiopia): सूखे और संघर्ष से लाखों नागरिक परेशान

इथियोपिया में लगातार पिछले 6 साल से बारिश नहीं हो रही है. देश के लगभग 24 मिलियन लोग सूखे से प्रभावित हैं और इसके बढ़ने की उम्मीद है. देश भर में तमाम तरह के संघर्ष लोगों का जीना हराम कर रहे हैं और मानवीय संगठनों की सहायता में बाधा बन रहे हैं. देश के 28.6 मिलियन लोगों को सहायता की जरूरत है.

संसाधनों की कमी से भुखमरी की आशंका

देश में बनी हुई खतरनाक स्थिति लोगों के सामने जीने का संकट पैदा कर रही है. यदि सहायता समूह राशि की कमी से बुरी तरह प्रभावित इथोपिया में संसाधनों की आपूर्ति नहीं कर पाएंगे, तो इथियोपिया के लोग भूखे मरेंगे क्योंकि वे सूखे और बढ़ती खाद्य कीमतों से खतरनाक रूप से प्रभावित हैं.

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10.भुखमरी का संकट से जूझ रहा सोमालिया (Somalia)

पूर्वी अफ्रीका में स्थित देश सोमालिया अभूतपूर्व सूखा और भुखमरी के संकट का सामना कर रहा है. लोग पहले ही भुखमरी से अपनी जान गंवा चुके हैं और देश पूरी तरह से अकाल के कगार पर है. रिपोर्ट के मुताबिक सोमालिया के इन हालातों के पीछे कोई प्राकृतिक वजह नहीं है बल्कि यह मानव जनित जलवायु परिवर्तन से आए सूखे की वजह से हो रहा है.

दशकों के संघर्ष ने सोमालिया को इतना कमजोर बना दिया है कि देश इस तरह के किसी भी संकट का सामना करने के लिए खुद को तैयार नहीं कर पा रहा है. देश का बुनियादी ढांचा लगभग खत्म हो चुका है.

जलवायु परिवर्तन और संघर्ष के कारण सोमालिया में खाद्य उत्पादन में गिरावट आई है. देश में 90% से अधिक गेहूं रूस और यूक्रेन से आता है.

लगातार छठवें साल भी बारिश ना होने की आशंका

इथियोपिया की तरह सोमालिया को भी 2023 में लगातार छठवें साल बिना बरसात के ही बिताना पड़ सकता है. रूस-यूक्रेन में युद्ध की वजह से खाने-पीने की चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं. नागरिकों को खाने के लिए जद्दोजहद का सामना करना पड़ रहा है.

मानवीय संगठनों के पास गैर-राज्य सशस्त्र समूहों द्वारा नियंत्रित क्षेत्रों में लोगों तक पहुंचने की सीमित क्षमता है. यहां तक कि एक समूह द्वारा खाद्य वितरण को नष्ट करने और जल स्रोतों को जहरीला बनाने की भी खबरें सामने आई हैं.

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