ईरान के साथ हुए ऐतिहासिक परमाणु समझौते से अमेरिका अलग हो गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसकी घोषणा की. ओबामा के समय के इस समझौते की ट्रंप पहले भी कई बार आलोचना कर चुके हैं.
‘‘मेरे लिए यह साफ है कि हम ईरान के परमाणु बम को नहीं रोक सकते. ईरान समझौता मूल रूप से दोषपूर्ण है. इसलिए, मैं ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने की घोषणा कर रहा हूं.’’डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिकी राष्ट्रपति
ईरान को अमेरिका की चेतावनी
परमाणु समझौते से अलग होने के कुछ ही देर बाद ट्रंप ने ईरान के विवादित परमाणु हथियार कार्यक्रम पर उसके साथ सहयोग करने के खिलाफ चेताया. साथ ही ईरान के खिलाफ ताजा प्रतिबंधों वाले दस्तावेजों पर भी हस्ताक्षर किए. ट्रंप ने कहा कि इस समझौते ने ईरान को बड़ी मात्रा में धन दिया और इसे परमाणु हथियार हासिल करने से नहीं रोका.
ट्रंप ने प्रमुख यूरोपीय सहयोगियों और अमेरिका के टॉप डेमोक्रेट नेताओं की सलाह को नजरअंदाज करते हुए ये फैसला किया.
अपने चुनाव प्रचार के समय से ही ट्रंप ने ओबामा के समय के ईरान परमाणु समझौते की कई बार आलोचना की थी. उन्होंने समझौते को खराब बताया था. इस समझौते के लिए ईरान के साथ अमेरिका की तरफ से बातचीत उस समय के विदेश मंत्री जॉन केरी ने की थी.
क्या है ये समझौता?
जुलाई 2015 में हुआ ये समझौता ईरान और यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल के 5 स्थाई सदस्यों के बीच हुआ था. समझौते में ईयू और जर्मनी भी शामिल थे. उस वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा थे, इस समझौते के तहत ईरान को परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने के बदले में प्रतिबंधों से राहत दी गई थी. ट्रंप ने काफी समय पहले ही ये इशारा कर दिया था कि वो इस समझौते के उलट कुछ ऐलान कर सकते हैं.
अब इस समझौते से ट्रंप के अलग होने के ऐलान के बाद दुनियाभर में इसका प्रभाव पड़ सकता है. इससे ईरान की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी और पश्चिमी एशिया में भी तनाव बढ़ सकता है.
(इनपुटः PTI)
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