ADVERTISEMENTREMOVE AD

Turkey क्यों कर रहा Finland और Sweden की NATO सदस्यता का विरोध?

क्या अपनी कुर्सी बचाने की कोशिश कर रहे हैं Turkey के राष्ट्रपति एर्दोगान?

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

स्वीडन (Sweden) और फिनलैंड (Finland) , इन दो नॉर्डिक देशों ने दशकों के अपने न्यूट्रल स्टैंड को बदलते हुए आखिरकार सैन्य गठबंधन NATO में शामिल होने का फैसला कर लिया है. यूक्रेन पर रूस के हिंसक आक्रमण ने दोनों देशों को दहशत में डाल दिया है और उन्होंने अमेरिका के नेतृत्व वाले NATO में शामिल होने के लिए आवेदन दे दिया है. लेकिन NATO में शामिल होने के उनके रास्ते में एक बड़ी बाधा है- तुर्की (Turkey) .

निरंकुश और अलोकतांत्रिक नेता के रूप में तेजी से इमेज बनाते तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान ने कहा है कि वह इन दोनों देशों के NATO में शामिल होने से सहमत नहीं हैं.

तुर्की NATO मेंबरशिप के लिए स्वीडन और फिनलैंड के सामने 10 डिमांड रखकर उन्हें ब्लैकमेल कर रहा है. तुर्की के वोट के बिना दोनों देश इस सैन्य गठबंधन में शामिल नहीं हो सकते.

इस आर्टिकल में हम इन सवालों का जवाब खोजने की कोशिश करेंगे:

  • तुर्की स्वीडन और फिनलैंड के NATO सदस्यता के खिलाफ क्यों है ?

  • स्वीडन और फिनलैंड के सामने तुर्की ने क्या शर्तें रखी हैं?

  • तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान क्या अपनी कुर्सी बचाने की कोशिश कर रहे हैं ?

  • क्या तुर्की का यह स्टैंड NATO के लिए खतरनाक है?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

स्वीडन और फिनलैंड के NATO सदस्यता के खिलाफ क्यों है तुर्की?

स्वीडन और फिनलैंड के NATO सदस्यता पर तुर्की के राष्ट्रपति का विरोध उनके इस विचार पर आधारित है कि फिनलैंड और स्वीडन "आतंकवादियों" का समर्थन करते हैं. दोनों देशों ने कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) के सदस्यों को सुरक्षा और पनाह दे रखी है. PKK एक प्रमुख सशस्त्र समूह है जो तुर्की द्वारा लाखों कुर्द नागरिकों के ऊपर कथित अत्याचार का प्रतिरोध कर रहा है.

PKK को अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने एक आतंकवादी समूह के रूप में घोषित किया हुआ है. इसके बावजूद फिनलैंड और स्वीडन मानवाधिकारों के उल्लंन के मुद्दे पर PKK के सदस्यों को तुर्की वापस भेजने/प्रत्यर्पित करने से मना करते रहे हैं.

फिनलैंड और स्वीडन के खिलाफ राष्ट्रपति एर्दोगान का गुस्सा इस बात को लेकर भी है कि दोनों देशों ने तुर्की विद्वान और मौलवी फेतुल्लाह गुलेन के फॉलोवर्स को पनाह दे रखी है.

तुर्की के राष्ट्रपति ने गुलेनवादियों पर 2016 में उनकी सरकार के खिलाफ असफल तख्तापलट करने का आरोप लगाया था.

इतना ही नहीं दोनों देशों ने सीरिया में तुर्की की 2019 की घुसपैठ का भी विरोध किया था.

0

स्वीडन और फिनलैंड के सामने तुर्की ने क्या शर्तें रखी हैं?

तुर्की के राष्ट्रपति ने बुधवार, 18 मई को स्वीडन और फिनलैंड के सामने NATO सदस्यता पर वोट के बदले 10 मांगे रखीं. आलोचकों का दावा है कि वह दोनों देशों को सुरक्षा मुद्दे पर ब्लैकमेल कर रहे हैं क्योंकि सोमवार तक उन्होंने केवल 2 मांग ही सामने रही थी.

  • फिनलैंड और स्वीडन कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) के लिए अपना समर्थन समाप्त कर दें, जिसे तुर्की एक आतंकवादी संगठन मानता है.

  • उत्तरी सीरिया में तुर्की की घुसपैठ के बाद अक्टूबर 2019 में लगाए गए हथियारों के निर्यात पर से फिनलैंड और स्वीडन अपना बैन हटा लें.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या अपनी कुर्सी बचाने की कोशिश कर रहे तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान?

देशों की विदेश नीति अधिकांशतः सत्ता में मौजूद सरकार के घरेलू हितों से जुड़ी होती है. तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान का एक बड़ा डर यह है कि कुर्द तुर्की की सत्ता पर काबिज हो जाएंगे. साथ ही एर्दोगान की सरकार इस समूह के दमन के लिए अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं का सामना कर रही है.

तुर्की की कुर्द आबादी को देश के पूर्वी अनातोलियन क्षेत्र में स्वतंत्र चुनाव की अनुमति नहीं है, जबकि यहां वे बहुसंख्यक हैं. कुर्द भाषा में पढ़ने वाले स्कूलों-कॉलेजों और सांस्कृतिक संस्थानों को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है.

आलोचकों का आरोप है कि राष्ट्रपति एर्दोगान NATO सदस्यता के मुद्दे पर स्वीडन और फिनलैंड को ब्लैकमेल करके कुर्दों और उनके संगठन PKK को अलग-थलग करना चाहते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या तुर्की का यह स्टैंड NATO के लिए खतरनाक है?

इस सैन्य गठबंधन में किसी नए देश को शामिल करने के नियमों के अनुसार सभी वर्तमान सदस्यों के सहमति की आवश्यकता होती है. यही कारण है कि तुर्की फिनलैंड और स्वीडन के आवेदन पर प्रभावी रूप से वीटो लगा सकता है.

दूसरी ओर फिनलैंड और स्वीडन NATO की सदस्यता के मौजूदा मापदंडों पर गठबंधन के कई मौजूदा सदस्यों की तुलना में अधिक खड़ा उतरते हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×