अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तानी सेना के बचाव में तालिबान पर हवाई हमला किया है. पिछले शनिवार को तालिबान और अमेरिका के बीच समझौता हुआ था, जिसमें अमेरिकी सेना की वापसी पर सहमति बनी थी. लेकिन बुधवार को अमेरिकी सेना को अफगानिस्तानी सेना को बचाने के लिए एयर स्ट्राइक का सहारा लेना पड़ा. इस कार्रवाई के बाद अमेरिका और तालिबान के बीच समझौते के लिए खतरा और बढ़ गया है. इससे पहले अशरफ गनी की सरकार ने तालिबानी बंदियों को रिहा करने से इनकार कर दिया था.
शांति समझौते के बाद से ही हमलों का सिलसिला शुरू
अमेरिकी फौज के प्रवक्ता ने बताया कि तालिबान विद्रोहियों की ओर से अफगानिस्तानी सेना पर हमले किए गए. इसके बाद अमेरिकी सेना की ओर से जवाबी हमला किया गया. कतर में तालिबान और अमेरिकी दूत के बीच शांति समझौते के ठीक बाद तालिबान के अफगानिस्तानी फौज पर हमले शुरू हो गए थे. तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच 10 मार्च से शांति वार्ता शुरू होनी है.
जब भी जरूरत पड़ेगी अफगानिस्तानी सेना का बचाव करेंगे : यूएस फोर्स
अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के प्रवक्ता सोनी लेगेट ने ट्वीट कर कहा कि तालिबान के लड़ाके अफगान फौज पर बढ़-चढ़ कर हमले कर रहे हैं. तालिबान लड़ाकों ने हेलमंड के एक चेक प्वाइंट पर हमला किया है. हालांकि अमेरिकी सेना ने बचाव में जवाबी हमला किया है.
लेगेट ने तालिबान से बेवजह के हमले रोकने के लिए कहा है. उनका कहना है कि हमें शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता बरकरार रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जब भी जरूरत पड़ेगी हम अफगान सेना का बचाव करेंगे. उन्होंने कहा कि तालिबान ने अकेले मंगलवार को हेलमंड के चेक प्वाइंट्स पर 43 अटैक किए हैं.
अमेरिका और तालिबान के बीच समझौते के मुताबिक अमेरिकी नेतृत्व वाली नाटो फौज 14 महीने में अफगानिस्तान छोड़ देगी. इस समझौते के तहत तालिबान की ओर से बंधक बनाए गए 1000 लोगों के बदले अफगानिस्तान सरकार 5000 तालिबानी लड़ाकों को छोड़ देगी.
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