ADVERTISEMENTREMOVE AD

पुतिन को हिला देने वाले वैगनर चीफ ने मारी पलटी, 24 घंटे में कैसे बदली रणनीति?

Yevgeny Prigozhin ने अपने भाड़े के सैनिकों को मॉस्को की ओर अपना मार्च रोकने के लिए कहा है.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

करीब 24 घंटे तक रूस और पुतिन की सांसे थामने वाले वैगनर ग्रुप (Wagner Group) के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन (Yevgeny Prigozhin) ने अब अपने पांव पीछे हटा लिए हैं. इसके अलावा ये भी तय हुआ है कि अब वैगनर मॉस्को की तरफ चढ़ाई नहीं करेंगे और विद्रोह का नेतृत्व करने वाले येवगेनी खुद बेलारूस चले जाएंगे.

लेकिन ऐसा क्या हुआ कि मॉस्को फतह का ख्वाब देख रहे येवगेनी ने अचानक से अपने तेवर और इरादे बदल दिए? देखिए इस स्टोरी में

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या है ताजा अपडेट?

समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के अनुसार, वैगनर ग्रुप के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन ने शनिवार (24 जून) को कहा कि उन्होंने अपने भाड़े के सैनिकों को मॉस्को की ओर अपना मार्च रोकने के लिए कहा है. यानी इन्होंने अपना इरादा बदल दिया है और अब रूस की तरफ चढ़ाई नहीं करेंगे. वैगनर के सिपाहियों को रूसी खून न बहाने और यूक्रेन में अपने फील्ड कैंपों में वापस जाने का आदेश दिया गया है.

इससे पहले वैगनर ने अपने सिपाही यूक्रेन से बुलाकर रोस्तोव-ऑन-डॉन शहर को सीज कर लिया था और अपना नियंत्रण कायम कर लिया था, इसके बाजद वे अगली चढ़ाई मॉस्को पर करने वाले थे. ये सिपाही मॉस्को से 200 किमो दूर थे.

मॉस्को पहले से ही वैगनर सैनिकों के आने की तैयारी कर रहा था, लेकिन अब समझौता हो गया है और क्रेमलिन ने भी इसपर सहमती जता दी है. येवगेनी भी मान गए हैं.

कैसे हुआ समझौता?

बेलारूस की समाचार एजेंसी बेल्टा और पेसकोव के अनुसार, प्रिगोझिन की सेनाओं के लिए समझौते की मध्यस्थता बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने की है. उन्होंने प्रिगोझिन के साथ बातचीत करने से पहले पुतिन से बात की थी. समझौते के अनुसार येवगेनी बेलारूस चले जाएंगे और अभियोजन का सामना नहीं करेंगे.

क्रेमलिन के एक प्रवक्ता के अनुसार, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रिगोझिन और उनकी सेनाओं को आजाद होने की अनुमति दे दी है, क्योंकि उनका "मुख्य लक्ष्य अप्रत्याशित परिणामों के साथ रक्तपात और आंतरिक टकराव से बचना था."

पेसकोव ने कहा कि वैगनर सेनाएं, जो कथित 'विद्रोह' में शामिल नहीं हुईं, उन पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा और वे रूसी रक्षा मंत्रालय में शामिल हो जाएंगी.

प्रस्तावित समझौते में वैगनर सैनिकों के लिए सुरक्षा गारंटी शामिल है, लेकिन यह विस्तार से नहीं बताया गया कि रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु को हटाने की प्रिगोझिन की मांग पूरी की जाएगी या नहीं. इससे पहले पुतिन ने धमकी दी थी कि जो भी बगावत पर उतरेगा उसे इसकी सजा मिलेगी.

बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के कार्यालय ने भी घोषणा की कि उन्होंने वैगनर को रोकने और तनाव को कम करने के लिए प्रिगोझिन के साथ एक समझौते पर बातचीत की है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पुतिन ने दी थी अंजाम भुगतने की धमकी

24 जून को जब प्रिगोझिन ने बगावत का बिगुल फूंका था तो राष्ट्रपति पुतिन का कड़ा रुख देखने को मिला था. उन्होंने कहा था कि येवगेनी प्रिगोझिन के नेतृत्व में सशस्त्र विद्रोह करने वालों को इसका परिणान भुगतना होगा. राष्ट्र के नाम टेलीविजन भाषण में पुतिन ने विद्रोह को "विश्वासघात" और "देशद्रोह" कहा था.

पुतिन ने कहा था कि, "विद्रोह करने वाले सभी लोगों को कड़ी सजा भुगतनी होगी. इसके लिए सशस्त्र बलों और अन्य सरकारी एजेंसियों को आवश्यक आदेश दे दिए गए हैं."

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा है कि वैगनर समूह सैनिकों द्वारा किए गए विद्रोह का कोई असर, यूक्रेन में रूस के मिलिट्री अभियान पर नहीं हुआ है. उसपर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. वैगनर के संस्थापक येवगेनी प्रिगोझिन ने बार-बार रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु पर निशाना साधा और उन्हों पद से हटाए जाने की मांग कर रहे थे. हालांकि, पेसकोव ने ये भी कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के शोइगु पर भरोसे में कोई बदलाव नहीं आया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या है वैगनर ग्रुप? क्यों इतना महत्वपूर्ण?

"पुतिन के शेफ" के रूप में जाने जाने वाले, प्रिगोझिन ने क्रीमिया पर आक्रमण में रूस की सहायता करने के लिए 2014 में वैगनर की स्थापना की थी. तब से ये दुनिया भर में, खास तौर पर अफ्रीका और सीरिया में रूसी कार्रवाईयों में शामिल रहा है.

वैगनर यूक्रेन के साथ रूस के चल रहे संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका में है और रूसी लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ रहा है. हालांकि, हाल ही में देखा गया है कि प्रिगोझिन और रूसी सैन्य अधिकारियों के बीच तनाव बढ़ रहा है.

वैगनर के भाड़े के सैनिकों ने पूर्वी यूक्रेनी शहर बख्मुट पर कब्जा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. प्रिगोझिन ने सैन्य अधिकारियों की आलोचना करते हुए उनपर अक्षमता और अपने सैनिकों को भूखा रखने का आरोप लगाया था. वे लगातार रक्षा मंत्री को हटाए जाने की मांग कर रहे थे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×