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क्या कह रहे सर्वे और अमेरिकी सट्टा बाजार,जीतेंगे ट्रंप या होगी हार

क्या कोरोना अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इसी साल नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में हरा सकता है?

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क्या कोरोना अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इसी साल नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में हरा सकता है? वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट ऐसा ही इशारा कर रही है. 10 मई को छपी इस रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप भारी टेंशन में हैं क्योंकि चुनावी सर्वे कई इलाकों की सीनेट रेस में रिपब्लिकन पार्टी को डेमोक्रेटिक पार्टी से पिछड़ता बता रहे हैं. और तो और रिपब्लिकन पार्टी के अपने अंदरुनी सर्वे भी यही इशारा कर रहे हैं. रिपब्लिकन पार्टी के लोगों को डर लग रहा है कि ट्रंप की खराब हैंडलिंग और झूठ बोलने के चक्कर में वो सीनेट में बहुमत न खो दें.

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कोरोना के बाद गिरा ग्राफ

कोरोना महामारी के पहले माना जा रहा था कि व्हाइट हाउस में ट्रंप की दोबारा वापसी पक्की है लेकिन अब हालात काफी बदल गए हैं. मोटे तौर पर वो संभावित डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडन से आगे रहे हैं लेकिन अब फासला कम हो रहा है.

अमेरिका में राष्ट्रपति की लोकप्रियता का ग्राफ लगातार मॉनिटर किया जाता है. उनकी एप्रुवल रेटिंग पहले 51 % के ऊपर रहती थी, जो अब गिरकर 43% पर आ गई है. चुनाव की सटीक भविष्यवाणी करने वाली वेबसाइट ‘फाइवथर्टीएट’ के ताजा सर्वे के मुताबिक 10 मई को ये रेटिंग 43.4 प्रतिशत पर थी. ये सर्वे 200 सर्वेक्षणों का निचोड़ है.

ट्रंप के समर्थक भी कोरोना की बदइंतजामी के लिए ट्रंप से नाराज हैं. ऐसे में उनको एक तिहाई तट्स्थ वोटरों से वोट खींचने पड़ेंगे, वरना उनकी जीत खतरे में पड़ सकती है.

सट्टा बाजार में गिरा ट्रंप का भाव

अमेरिका का सट्टा बाजार ट्रंप की हार-जीत के मामले में क्या रुख दिखा रहा है. इस पर भी एक नजर डालनी चाहिए. अलग अलग बेटिंग कंपनियों के अलग-अलग भाव हैं लेकिन जो तकरीबन सभी ट्रंप की जीत के 50% आसार बता रहे हैं. ये कंसेंट रेट फरवरी में 62% था. कुल मिलाकर सट्टा बाजार में ऑड यानी रेट बदला है. ट्रंप की जीत का भाव नीचे गिरा है और पराजित माने जा रहे जो बाइडन का भाव सुधरा है.

फोर्ब्स पत्रिका के मुताबिक फिलहाल ट्रंप का भाव (-)120 और बाइडन का (+)110 है. मतलब सट्टा लगाने वाला जीता तो उसे 100 डॉलर मिलेंगे और हारा तो वो समाने वाले को 120 डॉलर देगा.

रिपब्लिकन पार्टी को इस बात की टेंशन है कि ट्रंप कोरोना के लिए चीन को दोषी बताकर चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन ये चाल उलटी पड़ सकती है. ट्रंप फरवरी महीने तक कोरोना से ठीक से निपटने के लिए शी जिनपिंग की तारीफ कर रहे थे. 25 जनवरी के इस ट्वीट में तो वो साफ कह रहे हैं कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए चीन बेहतरीन काम कर रहा है.

ट्रंप के बयानों पर अमेरिका के हालात भारी

अब इस महामारी से निपटने में ट्रंप को बहुत दिक्क्त आ रही है और बड़े पैमाने पर लोग बीमार पड़ रहे हैं. हजारों मौतें हो चुकी हैं. ठीक-ठाक चल रही अमेरिकी अर्थव्यवस्था लॉकडाउन की वजह से बुरी तरह से टूट रही है.

ग्रेट डिप्रेशन के बाद अमेरिका में बेरोजगारी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और करीब 2 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए हैं. ये आंकड़ा भी रिपब्लिकन नेताओं को डरा रहा है. ट्रंप को लगता था कि वो ‘चीनी कोरोना’ को अमेरिका का खलनायक बताकर अपना चुनाव निकाल लेंगे लेकिन अमेरिकी वोटरों का जो मूड अब सामने आ रहा है उसको देख कर ट्रंप की खिसियाहट बढ़ती जा रही है.

वो जिस तरीके से रोजाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में अजीबोगरीब बातें करते हैं, तरह-तरह की हरकतें करते हैं उसको भी अमेरिकी चुनावी पंडित घबराहट का ही सबूत मान रहे हैं. उनके ट्वीट इतने जहरीले होते जा रहे हैं कि कई बड़े टीवी एंकर उन्हें बीमार बता कर ‘गेट वेल सून’ कह रहे है.

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अपनों को भी नागवार ट्रंप की लफ्फाजी

यह भी याद रखना चाहिए कि ट्रंप पिछला चुनाव बहुत कम वोट से जीते थे. उसके बाद व्हाइट मिडिल क्लास अमेरिका को वो अपनी अंतर्मुखी और ‘विक्टिमहुड’ वाली नीति से लगातार रिझाते रहे. ज्यादातर सर्वेक्षणों में भी वो लोकप्रिय बने रहे लेकिन कोरोना की महामारी के घनघोर कुप्रबंधन ने उनकी साख को चौपट कर दिया है.

ऐसा लगता है ट्रंप के समर्थकों को भी एक बात समझ में आ गई है कि कोरोना की महामारी की गंभीरता ट्रंप नहीं समझ पाए, लगातार झूठ बोलते रहे और इससे लड़ने की कोई तैयारी नहीं की. कई बार तो वो झोलाछाप डॉक्टरों की तरह सलाह देते नजर आए कि ‘मलेरिया की गोली खा लो’ और ‘कीटनाशक इंजेक्शन ले लो’.

अब उनका समर्थक वोटर भी अपने आसपास हजारों मौत देखकर अपनी जान पर खतरा महसूस कर रहा है. ऐसे में ट्रंप का झूठ पर झूठ उसे भी नागवार गुजरा है. यही वजह है कि अब ट्रंप की टीम और रिपब्लिकन पार्टी में खलबली मच चुकी है.

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