चीन (China) के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) तीन दिन की आधिकारिक यात्रा पर रूस की राजधानी मॉस्को (Moscow) पहुचे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद शी जिनपिंग की यह पहली रूस यात्रा है. मुलाकात के बाद व्लादिमीर पुतिन ने शी जिनपिंग से कहा है कि उन्होंने यूक्रेन संघर्ष के समाधान के लिए चीन के प्रस्तावों को देखा और उन्हें सम्मान के साथ देखा है. उन्होंने यह भी कहा कि जिनपिंग की यात्रा के दौरान उन्हें "इस मुद्दे पर चर्चा करने का अवसर" मिलेगा. दूसरी तरफ जिनपिंग ने कहा है कि उन्हें विश्वास है कि पुतिन को अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में रूसी लोगों का समर्थन प्राप्त होगा.
शी जिनपिंग का मॉस्को दौरा रूस और चीन के लिए कितना अहम है, इससे यूक्रेन युद्ध किस तरह प्रभावित होगा और दोनों देशों के आपसी संबंधों पर क्या असर होगा? इसके साथ यह जानने की कोशिश करेंगे कि व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग एक दूसरे से क्या चाहते हैं?
Xi Jinping और पुतिन की मुलाकात कितनी अहम? एक-दूसरे से क्या चाहते हैं रूस और चीन?
1. क्या चीन और रूस एक दूसरे के सहयोगी हैं?
चीन और रूस सैन्य समर्थन से एक-दूसरे की रक्षा करने के लिए कमिटमेंट नहीं किया है लेकिन दोनों देश करीबी रणनीतिक साझेदार हैं.
दोनों देशों की बीच का रिश्ता रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान गहरा हुआ क्योंकि रूस कई अन्य देशों से तेजी से अलग-थलग हो गया.
The New York Times की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी अधिकारियों ने कहा है कि मौजूदा वक्त में दोनों के बीच का संबंध "ऐतिहासिक ऊंचाई" पर हैं.
यह साझेदारी अमेरिकी शक्ति और प्रभाव को कमजोर करने की कोशिश लक्ष्य से प्रेरित है.
चीन और रूस के बीच संबंध हमेशा इतने अच्छे नही रहे हैं. 1960 के दशक में दोनों पक्ष भयंकर विरोधी थे और 1969 में बॉर्डर विवाद को लेकर भिड़ गए थे.
दोनों देश मध्य एशिया में अपने प्रभाव के लिए भी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. एक ऐसा क्षेत्र जिसे क्रेमलिन ने लंबे समय से अपने हिस्से के रूप में देखा है. चीन, कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे पूर्व सोवियत गणराज्यों में रेलमार्ग, राजमार्ग और ऊर्जा पाइपलाइनें बना रहा है, जो अभी भी एक महत्वपूर्ण सुरक्षा भागीदार के रूप में रूस पर भरोसा करते हैं.
Expand2. कितने अच्छे दोस्त हैं शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन?
रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने से ठीक पहले, शी जिनपिंग और पुतिन ने सार्वजनिक रूप से ऐलान किया था कि उनके देशों के संबंधों की "कोई सीमा नहीं" है.
जिनपिंग ने कई बार पुतिन को अपना सबसे अच्छा दोस्त बताया है. 2018 में रूस में एक इकोनॉमिक फॉरम के दौरान दोनों ने रूसी पैनकेक और वोडका शॉट्स साथ में खाया था.
साल 2019 में शी जिनपिंग के 66वें जन्मदिन पर पुतिन ने उन्हें एक केक और आइसक्रीम का एक बड़ा डिब्बा गिफ्ट किया था.
रविवार को एक चीनी अखबार में पब्लिश एक आर्टिकल में व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि दोनों का रिश्ता काफी लंबा और मजेदार रहा है. वो हाल के वर्षों में लगभग 40 बार मिल चुके हैं और हमेशा कार्यक्रमों में बात करने का वक्त मिल जाता है.
Expand3. रूस और चीन के बीच कैसे आर्थिक संबंध हैं?
2014 में यूक्रेन पर रूस के पहले आक्रमण के बाद से चीन और रूस के बीच आर्थिक संबंध काफी मजबूत हुए हैं. उस वक्त चीन ने रूस को ओबामा प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से बचने में मदद की थी, जो रूस की ग्लोबल मार्केट तक पहुंच को कम करने वाले थे.
पिछले साल यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद रूस के खिलाफ कठोर प्रतिबंधों के मद्देनजर, चीन ने कई ऐसे उत्पादों की आपूर्ति करने में मदद की है, जो रूस पहले पश्चिमी देशों से खरीदा करता था. इन प्रोडक्ट्स में कंप्यूटर चिप्स, स्मार्टफोन और सैन्य उपकरणों के लिए जरूरी कच्चा माल शामिल था. रूस और चीन के बीच व्यापार पिछले साल ज्यादा बढ़ा है.
Expand4. व्लादिमीर पुतिन चीन से क्या चाहते हैं?
व्लादिमीर पुतिन को अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद के लिए चीन की जरूरत है क्योंकि पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से रूस की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर हुआ है.
पश्चिमी देशों द्वारा पिछले साल रूसी कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की अपनी खरीद को बैन करने के बाद, चीन ने रूस से अधिक ऊर्जा खरीदकर उसकी मदद की.
The New York Times की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि यूक्रेन युद्ध की शुरुआत में, रूस ने चीन से सैन्य उपकरण और आर्थिक सहायता मांगी. अमेरिकी अधिकारियों ने हाल ही में कहा है कि चीन, यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल करने के लिए रूस को हथियार देने पर विचार कर रहा है. हालांकि चीन की तरफ से इस दावे का खंडन किया गया.
बता दें कि चीन की विदेश नीति संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों पर आधारित होने के बाद भी चीन ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा करने से परहेज किया है. हालांकि चीन ने खुद को यूक्रेन युद्ध में एक तटस्थ पार्टी के रूप में दिखाया है लेकिन चीन ने अमेरिका और नाटो को संघर्ष का दोषी ठहराते हुए रूसी बयानों का समर्थन किया.
लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि रूस को अपना पूरा समर्थन देने में चीन भी हिचकिचाता रहा है. युद्ध से उपजी उथल-पुथल और अस्थिरता चीन के विकास को खतरे में डाल सकती है और दुनिया भर में आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के उसके प्रयासों को कठिन बना सकती है.
Expand5. शी जिनपिंग रूस से क्या चाहते हैं?
शी जिनपिंग चाहते हैं कि व्लादिमीर पुतिन अमेरिका और पश्चिमी देशों का सामना करने के लिए समान विचारधारा वाले सहयोगी के रूप में उनके साथ शामिल हों.
शी जिनपिंग ने रूस के अखबार Russian Gazette में सोमवार को प्रकाशित एक लेख "Forging Ahead to Open a New Chapter of China-Russia Friendship, Cooperation and Common Development" में कहा कि 10 साल पहले राष्ट्रपति चुने जाने के बाद मैंने सबसे पहले रूस का दौरा किया था. उन्होंने कहा कि मैंने पिछले 10 वर्षों में आठ बार मॉस्को का दौरा किया. द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अवसरों के दौरान रूसी नेता से 40 से अधिक बार मुलाकात की.
शी ने अपने लेख में कहा कि पिछले साल से यूक्रेन संकट चौतरफा बढ़ा है. चीन हमेशा से ही मुद्दे के गुण-दोष के आधार पर निष्पक्ष स्थिति बनाए रखता है और सक्रिय रूप से शांति वार्ता को बढ़ावा देता है.
शी जिनपिंग, आर्टिकल में लिखते हैंउन्होंने आगे कहा कि मैंने कई प्रस्ताव रखे हैं...संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों का पालन करना, सभी देशों की वैध सुरक्षा चिंताओं का सम्मान करना, संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सभी प्रयासों का समर्थन करना और वैश्विक औद्योगिक की स्थिरता सुनिश्चित करना. यूक्रेन संकट से निपटने के लिए चीन के बुनियादी सिद्धांत बन गए हैं.
शी ने कहा कि उनकी शांति योजना सभी पक्षों की वैध चिंताओं को ध्यान में रखती है और संकट पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की व्यापक आम समझ को दर्शाती है.
रूस-चीन संबंधों के बारे में जिनपिंग ने कहा कि
हमने एक साथ द्विपक्षीय संबंधों और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिए खाका तैयार किया है और पारस्परिक हित के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर समय पर संचार किया है, जो निरंतर, मजबूत नेतृत्व प्रदान करता है. रूस की मेरी आगामी यात्रा मित्रता, सहयोग और शांति की यात्रा होगी.
उन्होंने आगे कहा कि मैं आने वाले वर्षों में चीन-रूस व्यापक रणनीतिक साझेदारी साझेदारी के विकास के लिए एक नई नजर, एक नया खाका और नए उपायों को संयुक्त रूप से अपनाने के लिए राष्ट्रपति पुतिन के साथ काम करने की उम्मीद करता हूं.
रिपोर्ट के मुताबिक चीन अपनी सेना का आधुनिकीकरण करने के लिए रूस से अधिक एडवांस हथियार खरीद रहा है और दोनों देशों ने अपने संयुक्त सैन्य अभ्यास बढ़ा दिए हैं. पिछले साल जब राष्ट्रपति बाइडेन टोक्यो के दौरे पर थे, तो चीन और रूस ने बल के प्रदर्शन के रूप में पूर्वोत्तर एशिया में समुद्र के ऊपर बॉम्बर्स भेजे थे.
उम्मीद की जा रही है कि शी जिनपिंग अपनी शांति योजना को आगे बढ़ाने के लिए यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की से भी बात करेंगे.
Expand6. पश्चिम कर रहा विरोध, क्या है पुतिन की योजना?
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले पत्रकार दिमित्री मुरातोव का मानना है कि पुतिन अपना गुट खुद बना रहे हैं. वह अब पश्चिमी देशों पर विश्वास नहीं करते. ऐसे में व्लादिमी पुतिन सहयोगियों की तलाश कर रहे हैं. वो रूस चीन और भारत समेत लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के कुछ देशों के साथ मिलकर एक साझा विकल्प तलाशने की कोशिश कर रहे हैं. पुतिन एक ऐसी व्यवस्था बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो पश्चिमी देशों की विरोधी हो.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Expand
क्या चीन और रूस एक दूसरे के सहयोगी हैं?
चीन और रूस सैन्य समर्थन से एक-दूसरे की रक्षा करने के लिए कमिटमेंट नहीं किया है लेकिन दोनों देश करीबी रणनीतिक साझेदार हैं.
दोनों देशों की बीच का रिश्ता रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान गहरा हुआ क्योंकि रूस कई अन्य देशों से तेजी से अलग-थलग हो गया.
The New York Times की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी अधिकारियों ने कहा है कि मौजूदा वक्त में दोनों के बीच का संबंध "ऐतिहासिक ऊंचाई" पर हैं.
यह साझेदारी अमेरिकी शक्ति और प्रभाव को कमजोर करने की कोशिश लक्ष्य से प्रेरित है.
चीन और रूस के बीच संबंध हमेशा इतने अच्छे नही रहे हैं. 1960 के दशक में दोनों पक्ष भयंकर विरोधी थे और 1969 में बॉर्डर विवाद को लेकर भिड़ गए थे.
दोनों देश मध्य एशिया में अपने प्रभाव के लिए भी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. एक ऐसा क्षेत्र जिसे क्रेमलिन ने लंबे समय से अपने हिस्से के रूप में देखा है. चीन, कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे पूर्व सोवियत गणराज्यों में रेलमार्ग, राजमार्ग और ऊर्जा पाइपलाइनें बना रहा है, जो अभी भी एक महत्वपूर्ण सुरक्षा भागीदार के रूप में रूस पर भरोसा करते हैं.
कितने अच्छे दोस्त हैं शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन?
रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने से ठीक पहले, शी जिनपिंग और पुतिन ने सार्वजनिक रूप से ऐलान किया था कि उनके देशों के संबंधों की "कोई सीमा नहीं" है.
जिनपिंग ने कई बार पुतिन को अपना सबसे अच्छा दोस्त बताया है. 2018 में रूस में एक इकोनॉमिक फॉरम के दौरान दोनों ने रूसी पैनकेक और वोडका शॉट्स साथ में खाया था.
साल 2019 में शी जिनपिंग के 66वें जन्मदिन पर पुतिन ने उन्हें एक केक और आइसक्रीम का एक बड़ा डिब्बा गिफ्ट किया था.
रविवार को एक चीनी अखबार में पब्लिश एक आर्टिकल में व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि दोनों का रिश्ता काफी लंबा और मजेदार रहा है. वो हाल के वर्षों में लगभग 40 बार मिल चुके हैं और हमेशा कार्यक्रमों में बात करने का वक्त मिल जाता है.
रूस और चीन के बीच कैसे आर्थिक संबंध हैं?
2014 में यूक्रेन पर रूस के पहले आक्रमण के बाद से चीन और रूस के बीच आर्थिक संबंध काफी मजबूत हुए हैं. उस वक्त चीन ने रूस को ओबामा प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से बचने में मदद की थी, जो रूस की ग्लोबल मार्केट तक पहुंच को कम करने वाले थे.
पिछले साल यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद रूस के खिलाफ कठोर प्रतिबंधों के मद्देनजर, चीन ने कई ऐसे उत्पादों की आपूर्ति करने में मदद की है, जो रूस पहले पश्चिमी देशों से खरीदा करता था. इन प्रोडक्ट्स में कंप्यूटर चिप्स, स्मार्टफोन और सैन्य उपकरणों के लिए जरूरी कच्चा माल शामिल था. रूस और चीन के बीच व्यापार पिछले साल ज्यादा बढ़ा है.
व्लादिमीर पुतिन चीन से क्या चाहते हैं?
व्लादिमीर पुतिन को अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद के लिए चीन की जरूरत है क्योंकि पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से रूस की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर हुआ है.
पश्चिमी देशों द्वारा पिछले साल रूसी कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की अपनी खरीद को बैन करने के बाद, चीन ने रूस से अधिक ऊर्जा खरीदकर उसकी मदद की.
The New York Times की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि यूक्रेन युद्ध की शुरुआत में, रूस ने चीन से सैन्य उपकरण और आर्थिक सहायता मांगी. अमेरिकी अधिकारियों ने हाल ही में कहा है कि चीन, यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल करने के लिए रूस को हथियार देने पर विचार कर रहा है. हालांकि चीन की तरफ से इस दावे का खंडन किया गया.
बता दें कि चीन की विदेश नीति संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों पर आधारित होने के बाद भी चीन ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा करने से परहेज किया है. हालांकि चीन ने खुद को यूक्रेन युद्ध में एक तटस्थ पार्टी के रूप में दिखाया है लेकिन चीन ने अमेरिका और नाटो को संघर्ष का दोषी ठहराते हुए रूसी बयानों का समर्थन किया.
लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि रूस को अपना पूरा समर्थन देने में चीन भी हिचकिचाता रहा है. युद्ध से उपजी उथल-पुथल और अस्थिरता चीन के विकास को खतरे में डाल सकती है और दुनिया भर में आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के उसके प्रयासों को कठिन बना सकती है.
शी जिनपिंग रूस से क्या चाहते हैं?
शी जिनपिंग चाहते हैं कि व्लादिमीर पुतिन अमेरिका और पश्चिमी देशों का सामना करने के लिए समान विचारधारा वाले सहयोगी के रूप में उनके साथ शामिल हों.
शी जिनपिंग ने रूस के अखबार Russian Gazette में सोमवार को प्रकाशित एक लेख "Forging Ahead to Open a New Chapter of China-Russia Friendship, Cooperation and Common Development" में कहा कि 10 साल पहले राष्ट्रपति चुने जाने के बाद मैंने सबसे पहले रूस का दौरा किया था. उन्होंने कहा कि मैंने पिछले 10 वर्षों में आठ बार मॉस्को का दौरा किया. द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अवसरों के दौरान रूसी नेता से 40 से अधिक बार मुलाकात की.
शी ने अपने लेख में कहा कि पिछले साल से यूक्रेन संकट चौतरफा बढ़ा है. चीन हमेशा से ही मुद्दे के गुण-दोष के आधार पर निष्पक्ष स्थिति बनाए रखता है और सक्रिय रूप से शांति वार्ता को बढ़ावा देता है.शी जिनपिंग, आर्टिकल में लिखते हैं
उन्होंने आगे कहा कि मैंने कई प्रस्ताव रखे हैं...संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों का पालन करना, सभी देशों की वैध सुरक्षा चिंताओं का सम्मान करना, संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सभी प्रयासों का समर्थन करना और वैश्विक औद्योगिक की स्थिरता सुनिश्चित करना. यूक्रेन संकट से निपटने के लिए चीन के बुनियादी सिद्धांत बन गए हैं.
शी ने कहा कि उनकी शांति योजना सभी पक्षों की वैध चिंताओं को ध्यान में रखती है और संकट पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की व्यापक आम समझ को दर्शाती है.
रूस-चीन संबंधों के बारे में जिनपिंग ने कहा कि
हमने एक साथ द्विपक्षीय संबंधों और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिए खाका तैयार किया है और पारस्परिक हित के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर समय पर संचार किया है, जो निरंतर, मजबूत नेतृत्व प्रदान करता है. रूस की मेरी आगामी यात्रा मित्रता, सहयोग और शांति की यात्रा होगी.
उन्होंने आगे कहा कि मैं आने वाले वर्षों में चीन-रूस व्यापक रणनीतिक साझेदारी साझेदारी के विकास के लिए एक नई नजर, एक नया खाका और नए उपायों को संयुक्त रूप से अपनाने के लिए राष्ट्रपति पुतिन के साथ काम करने की उम्मीद करता हूं.
रिपोर्ट के मुताबिक चीन अपनी सेना का आधुनिकीकरण करने के लिए रूस से अधिक एडवांस हथियार खरीद रहा है और दोनों देशों ने अपने संयुक्त सैन्य अभ्यास बढ़ा दिए हैं. पिछले साल जब राष्ट्रपति बाइडेन टोक्यो के दौरे पर थे, तो चीन और रूस ने बल के प्रदर्शन के रूप में पूर्वोत्तर एशिया में समुद्र के ऊपर बॉम्बर्स भेजे थे.
उम्मीद की जा रही है कि शी जिनपिंग अपनी शांति योजना को आगे बढ़ाने के लिए यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की से भी बात करेंगे.
पश्चिम कर रहा विरोध, क्या है पुतिन की योजना?
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले पत्रकार दिमित्री मुरातोव का मानना है कि पुतिन अपना गुट खुद बना रहे हैं. वह अब पश्चिमी देशों पर विश्वास नहीं करते. ऐसे में व्लादिमी पुतिन सहयोगियों की तलाश कर रहे हैं. वो रूस चीन और भारत समेत लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के कुछ देशों के साथ मिलकर एक साझा विकल्प तलाशने की कोशिश कर रहे हैं. पुतिन एक ऐसी व्यवस्था बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो पश्चिमी देशों की विरोधी हो.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)