यूक्रेन के मुद्दे (Ukraine border dispute) पर पश्चिमी शक्तियों के साथ बढ़े तनाव के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुक्रवार, 4 जनवरी को बीजिंग में रूसी (Russia) राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की. बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक (Beijing Winter Olympics) की मेजबानी कर रहे जिनपिंग लगभग दो वर्षों बाद किसी वर्ल्ड लीडर के साथ अपनी पहली आमने-सामने की बैठक कर रहे हैं.
शुक्रवार की अपनी यात्रा के दौरान पुतिन ने चीन के साथ रूस के घनिष्ठ संबंधों की सराहना की. अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार पुतिन ने टेलीविजन पर टिप्पणी में कहा कि चीन के साथ रूस के संबंध "अभूतपूर्व प्रकृति और सम्मानजनक संबंधों का एक उदाहरण" हैं.
चीनी राज्य मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार दूसरी तरफ शी जिनपिंग ने कहा कि दोनों देशों के बीच यह बैठक चीन-रूस संबंधों में और अधिक जीवंतता लाएगी.
किन मुद्दों पर हुई बातचीत, गैस डील पर बनेगी बात?
खबरों में चल रहे यूक्रेन संकट के साथ-साथ दोनों वर्ल्ड लीडर्स ने बैठक के दौरान व्यापार पर भी चर्चा की. राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि रूस ने एक नई पाइपलाइन की मदद से चीन को सालाना 48 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस निर्यात बढ़ाने के लिए एक नयी डील तैयार की है. डील फाइनल होने के बाद यह पाइपलाइन अकेले रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र से सालाना 10 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस चीन तक पहुंचाएगी .
राष्ट्रपति पुतिन ने यह भी कहा कि वह दोनों महाशक्तियों के बीच के व्यापार को 200 अरब डॉलर तक बढ़ाना चाहते हैं, जो कि 2021 में 140 अरब डॉलर तक पहुंच गया था.
क्या रूस-चीन की दोस्ती यूक्रेन पर हमले की हद तक है?
एक बात साफ है कि यूक्रेन के मुद्दे पर पर अमेरिका के नेतृत्व वाली नाटो शक्तियों के साथ रूस के विवाद में उसका समर्थन करने के लिए चीन अधिक मुखर हो गया है.
लेकिन कीव (यूक्रेन की राजधानी) के साथ चीन की कम्युनिस्ट सरकार के अच्छे संबंध रहे हैं और यूक्रेन चीन का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार जो कि बेल्ट एंड रोड इंफ्रास्ट्रक्चर पहल का भी हिस्सा है. ऐसे में सवाल है कि क्या चीन यूक्रेन पर किसी भी संभावित हमले का स्वागत करेगा? संभवतः नहीं.
चीन रूस के साथ मिलकर अमेरिका के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने का सपना देखता रहा है. साथ ही चीन ने यह संकेत दिया है कि यदि अमेरिका ने रूस पर किसी भी प्रकार के प्रतिबंध लगाए तो वह रूस को आर्थिक रूप से समर्थन देगा.
लेकिन यूक्रेन पर हमले को लेकर खुलकर रूस के पाले में आने के अपने घाटे भी हैं, वो भी तब जब यूक्रेन बेल्ट एंड रोड इंफ्रास्ट्रक्च पहल का सक्रीय सदस्य है. जिस ‘सॉफ्ट पावर’ के लिए चीन इतनी मात्रा में आर्थिक निवेश कर रहा है, क्या वह उस ‘अपर हैंड’ को संकट में डालने को तैयार है?
जनवरी 2020 से चीन से बाहर नहीं गए शी जिनपिंग
मालूम हो कि चीन में कोविड -19 के प्रकोप शुरुआत के साथ शी जिनपिंग जनवरी 2020 से चीन के बाहर नहीं गए हैं. इसी के आस-पास वुहान शहर को बंद कर दिया गया था जहां पहली बार वायरस का पता चला था.
हालांकि अब बीजिंग एक शीतकालीन ओलंपिक की मेजबानी कर रहा है और शी जिनपिंग 20 से अधिक वर्ल्ड लीडर्स से मिलने को तैयार हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन ऐसा कर अपने सॉफ्ट पावर को मजबूत करने और राजनयिक बहिष्कार और कोविड के डर से जूझ रहे शीतकालीन ओलंपिक को सफल सिद्ध करने की तैयारी में हैं.
गौरतलब है कि चीन के द्वारा गलवान सीमा संघर्ष में घायल रेजिमेंटल कमांडर को बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक का मशालवाहक बनाए जाने के बाद भारत ने भी उद्घाटन और समापन समारोहों का डिप्लोमेटिक बॉयकॉट कर दिया है.
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